टैक्स नहीं बचा पायेंगे अब मल्टीनेशनल
२१ फ़रवरी २०१७ईयू मुख्यालय में हुई बैठक में वित्त मंत्रियों के बीच बहुराष्ट्रीय कंपनियों का सामना करने के लिए साझा नियम बनाने के अलावा टैक्स हैवन की साझा सूची बनाने पर सहमति हो गई. बड़ी कंपनियों के टैक्स बचाने से आय की कमी सरकार के कल्याणकारी खर्चों में लगातार कटौती की एक वजह रही है. मुख्य धारा की पार्टियों से नाराज लोग कई यूरोपीय देशों में पॉपुलिस्ट पार्टियों का साथ जा रहे हैं. ईयू के वित्त मंत्रियों का लक्ष्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कमाई पर टैक्स लेने के अलावा टैक्स हेवन की व्याख्या पर अलग अलग रुखों और विचारों में सामंजस्य बिठाकर नया नियम बनाना था. यह ऐसे धनी लोगों और कंपनियों से टैक्स वसूलने के यूरोपीय संघ के प्रयासों का हिस्सा है जो अपने मुनाफे को कम टैक्स या टैक्स मुक्त देशों में ट्रांसफर कर टैक्स बचाते हैं.
वित्त मंत्रियों का मकसद ऐसा समझौता था ताकि बहुराष्ट्रीय कंपनियां जिन देशों में सक्रिय हैं वहां के टैक्स और टैक्स डिडक्शन के नियमों में अंतर का फायदा न उठा पाएं. पिछले दिसंबर में हुई बैठक में वित्त मंत्रियों के बीच समझौता नहीं पाया था. सिक्लूना ने कहा है कि कंपनियों को नए नियमों के तहत दोहरा टैक्स नहीं देना होगा. वित्त मंत्रियों की बैठक में हुई सहमति को 2019 के अंत तक राष्ट्रीय संसदों को कानून का रूप देना होगा.
टैक्स हैवन लिस्ट
यूरोपीय संघ के देश अभी तक टैक्स हैवन की परिभाषा पर सहमत नहीं हो पाए थे. वित्त मंत्रियों के बीच टैक्स हैवन की व्याख्या करने की शर्तों पर भी सहमति हो जाने की उम्मीद है. अब तक वित्तीय मामलों में सहयोग न करने वाले देशों की साझा सूची पर सहमति नहीं होने की एक वजह यह भी रही है कि कई ईयू सदस्य देश अपने टैक्स हैवनों को बचाने को प्राथमिकता देते रहे हैं. पनामा और बहामास जैसे देशों में बड़े टैक्स घोटालों के सामाने आने के बाद साझा टैक्स हैवन सूची के विचार को गति मिली है. जीरो टैक्स वाले देशों को स्वटालित रूप से इस सूची में नहीं डाला जायेगा, लेकिन उन पर दबाव जरूर डाला जायेगा और यूरोपीय संघ के साथ टैक्स मामलों में सहयोग न करने पर प्रतिबंधों की धमकी दी जायेगी.
टैक्स हैवनों की ये सूची साल के अंत तक तैयार हो जाने की संभावना है. अब तक 92 देशों को पत्र भेजकर अपनी ऐसी प्रक्रियाओं की स्क्रीनिंग करने को कहा गया है जिसे टैक्स बचाने की सुविधा देना समझा जा सकता है. जिन देशों को ईयू ने चिट्ठी लिखी है उनमें अमेरिका भी शामिल है.
एमजे/ओएसजे (रॉयटर्स, एपी)