टाडा अदालत ने 1993 मुंबई बम धमाकों में पांच को दोषी ठहराया
१६ जून २०१७छह आरोपियों अबू सलेम, मुस्तफा दोसा, रियाज सिद्दीकी, फिरोज खान, ताहिर मर्चेंट और करीमउल्ला खान को मुंबई की विशेष टाडा अदालत ने 1993 में हुए श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में दोषी ठहराया है. मुंबई में 12 मार्च 1993 को हुए सिलसिलेवार बम धमाकों में 257 लोगों की मौत हो गयी थी और 713 लोग घायल हो गये थे. अदालत ने कुल सात आरोपियों में से एक अब्दुल कय्यूम को निर्दोष करार दिया है.
अदालत ने अभियुक्तों को आपराधिक षड़यंत्र रचने, हथियार पहुंचाने और हत्या का दोषी पाया है. इन अपराधों की अधिकतम सजा मृत्युदंड हो सकती है. अदालत इनकी सजा आने वाले कुछ हफ्तों में तय करेगी. अभियोजन पक्ष ने बम हमलों को 1992 में उत्तर प्रदेश में स्थित 16वीं सदी की बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किये जाने के बदले की कार्रवाई बताया. हिंदू कारसेवकों की इस कार्रवाई के बाद देश में कई जगहों पर सांप्रदायिक दंगे हुए थे, जिनमें 800 से भी अधिक लोग मारे गये थे. मारे जाने वालों में ज्यादातर मुसलमान थे.
इस मामले में इन सातों आरोपियों पर 2005 में सुनवाई शुरू हुई थी. करीब 12 साल बाद अदालत ने अपना अहम फैसला सुनाया है. सातों आरोपियों की सुनवाई मुख्य मामले से अलग कर दी गयी थी क्योंकि उन्हें मुख्य सुनवाई खत्म होने के वक्त गिरफ्तार किया गया था. मुस्तफा दोसा को 2004 में गिरफ्तार किया गया था. जबकि अबू सलेम का प्रत्यर्पण 2005 में पुर्तगाल से हुआ था. इसके अलावा बाकी के पांच आरोपी भी दुबई से भारत लाये गये थे.
2007 में सुनवाई के पहले चरण के पूरा होने पर टाडा अदालत ने इस मामले में याकूब मेमन सहित सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था जबकि 23 लोगों को अदालत ने बरी कर दिया था. सिलसिलेवार धमाके मुंबई के कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर हुए थे. इनमें स्टॉक एक्सचेंज, नरसी नार्थ स्ट्रीट, शिव सेना भवन, एयर इंडिया इमारत, सेंचुरी बाजार, माहिम, झवेरी बाजार, सी रॉक होटल, प्लाजा सिनेमा, जुहू सेंटूर होटल, सहार हवाई अड्डा और एयरपोर्ट सेंटूर होटल शामिल थे.
आरपी/एमजे (वार्ता, एएफपी)