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झारखंड में 'चुंबन प्रतियोगिता' पर बवाल

१२ दिसम्बर २०१७

आदिवासी संकोची स्वभाव के होते हैं और उनकी झिझक तोड़ने के लिए चुंबन प्रतियोगिता कराई गई. झारखंड मुक्ति मोर्चा के एक विधायक ने यही तर्क देकर चुंबन प्रतियोगिता कराई. अब उस पर हंगामा हो रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

राज्य की सत्ताधारी पार्टी बीजेपी ने आदिवासियों के लिए 'चुंबन प्रतियोगिता' का आयोजन करने के मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के विधायक साइमन मरांडी को विधानसभा से बर्खास्त करने की मांग की है. बीजेपी की झारखंड इकाई के उपाध्यक्ष हेमलाल मुर्मू ने आरोप लगाया कि झामुमो विधायक साइमन मरांडी ने चर्च और ईसाई मिशनरियों की तरह इस कार्यक्रम का आयोजन किया.

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संथाल परगना के रहने वाले मुर्मू ने कहा कि संथाल जनजाति में 'चुंबन' की ऐसी कोई परंपरा नहीं है. उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम समाज के लिए 'धब्बा' हैं. मुर्मू ने कहा, "हम विधानसभा अध्यक्ष से साइमन मरांडी को विधानसभा की सदस्यता से बर्खास्त करने की मांग करते हैं. संथाल जनजाति अभिवादन स्वीकार करते समय भी एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाते हैं. संथाल में, आदिवासी 'दोबो जोहर' कहते हुए अभिवादन करते हैं, जिसमें माथे पर मुट्ठी रखकर अभिवादन स्वीकार करते हैं."

यह कार्यक्रम स्वतंत्रता सेनानियों सिद्दो-कान्हू के नाम पर आयोजित किया गया था. पाकुर जिले के जिला प्रशासन ने इसकी जांच शुरू कर दी है.

साइमन मरांडी ने शनिवार रात अपने विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र लितिपारा के तहत तल्पाहारी गांव में आदिवासी दंपतियों की एक चुंबन प्रतियोगिता का आयोजन किया था. कार्यक्रम के बाद तीन आदिवासी दंपतियों को पुरस्कृत किया गया था.

झामुमो विधायक ने संवाददाताओं से सोमवार को बताया, "प्यार और आधुनिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए चुंबन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जनजाति लोग संकोची होते हैं. प्रतियोगिता में खुले में चुंबन करने से आदिवासी दंपतियों की झिझक खत्म होगी."

(चुंबन का सबसे पहला जिक्र भारतीय ग्रंथों में)

आईएएनएस