"ज्यादा शरणार्थियों को जगह दे जर्मनी"
२३ मई २०१४संसद के अध्यक्ष नॉर्बर्ट लामर्ट ने समारोही सभा को संबोधित करते हुए कहा, "ग्रुंडगेजेत्स जर्मन इतिहास के खास भाग्यशाली घटनाओं में एक है." 23 मई 1949 के जर्मन संविधान को स्वीकार किए जाने की वर्षगांठ पर सांसदों के अलावा जर्मन सरकार और संवैधानिक संस्थाओं के प्रतिनिधि इकट्ठा हुए थे. उस समय ग्रुंडगेजेत्स को जर्मनी के युवना लोकतंत्र के संविधान का आधार बताया गया था.
लामर्ट ने कहा कि 65 साल बाद यह देश में लोकतांत्रिक व्यवस्था में मिल जुल कर जीने का निर्विवाद आधार साबित हुआ है. लामर्ट ने कहा कि अपने 20 प्रतिशत विदेशी मूल के निवासियों के साथ जर्मनी जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक तौर पर युद्ध के तुरंत बाद के मुकाबले अलग देश हो गया है.
इसी हकीकत को स्वीकार करने के लिए इस मौके पर मुख्य भाषण देने के लिए विदेशी मूल के महत्वपूर्ण लेखक नवीद किरमानी को बुलाया गया था. अपनी छवि के अनुरूप किरमानी ने सांसदों को आश्चर्य में डालते हुए और शरणार्थियों को पनाह देने की मांग की.
47 वर्षीय किरमानी के भाषण का खास तौर पर इंतजार किया जा रहा था. उन्होंने अपने जोशीले भाषण से लोगों को प्रभावित भी किया. जीगेन शहर में ईरानी मूल के परिवार में जन्मे किरमानी ने कहा, "जर्मन रहने और प्यार करने लायक हो गया है." और इसमें ग्रुंडगेजेत्स के अद्भुत टेक्स्ट का भी योगदान रहा है.
खुद को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किए जाने को उन्होंने इस प्रक्रिया की मिसाल बताया, लेकिन साथ ही 1993 के उस कानून की आलोचना भी की जिसके तहत ऐसे देशों से होकर आने वाले लोगों को शरण नहीं दी जाती जहां राजनीतिक दमन नहीं हो रहा हो.
नवीद किरमानी ने कहा, "उम्मीद करें कि संविधान 70वीं वर्षगांठ तक इस बदसूरत, निर्दयी धब्बे से मुक्त किया जाएगा." उन्होंने यह भी कहा कि जर्मनी में वैधानिक रूप से और ज्यादा विदेशियों को आने की इजाजत देने की जरूरत है ताकि जरूरतमंद लोगों को शरणार्थी कानून का सहारा न लेना पड़े. सत्ताधारी सीडीयू पार्टी के संसदीय दल के नेता फोल्कर काउडर ने इसके जवाब में कहा, "जर्मनी यूरोप में सबसे ज्यादा शरणार्थियों को पनाह देने वाला देश है."
एमजे/एजेए (डीपीए, एएफपी)