"ज्ञान से भरा कार्यक्रम मंथन"
२६ अक्टूबर २०१२
ध्वनि की गति से आगे बाउमगार्टनर - कुछ चीजें होती है जो आपको ऐसे व्यक्ति से जोड़ देती है जिनके बारे में आप शायद पहले न जानते हो. बाउमगार्टनर का आसमान से कूदना भी एक ऐसी ही घटना है फेलिक्स बाउमगार्टनर ने आसमान से रिकॉर्ड तोड़ कूद का अपना सपना तो पूरा कर ही लिया पर उन लाखों लोगों को भी एक तरह की ख़ुशी का एहसास करा दिया जो इस पूरे आयोजन को अपनी आंखों से देख रहे थे और उनके इस अद्भुत कूद के विषय में DW का यह आलेख मुझे बेहद पसंद आया. साथ ही आपके मंथन कार्यक्रम का तो मैं फैन हो गया हूं, पर चाहता हूं कि इसमें आप दर्शकों के विज्ञान और तकनीक से संबंधित सवालों को भी शामिल करे ताकि हमारा और इस कार्यक्रम का जुडाव और ज्यादा मजबूत हो. मुझे ख़ुशी होगी अगर आप पृथ्वी के पर्यावरण की संरचना और उस पर बढ़ते तापमान के प्रभावों के विषय में अगले अंक में बताए.
प्रशांत शर्मा, झारखंड प्रशांत शर्मा, हटा, पोस्ट जूरी, जिला पूर्व सिंहभूम, झारखंड
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ईयू को नोबेलः मजाक है क्या - इस वर्ष शांति के नोबेल पुरस्कार से ईयू को नवाजा जाना मजाक नहीं बल्कि सही फैसला है. व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो बीते वर्ष में यूरोपीय संघ ने आर्थिक मंदी से जूझ रहे विश्व में अपने प्रयासों से स्थिरता स्थापित करने में बड़ी भूमिका निभाई है. यह आर्थिक उथल-पुथल ईयू संगठन में राजनीतिक अस्थिरता भी पैदा कर सकती थी लेकिन फ्रांस-जर्मनी और दूसरे सहयोगी देशों के प्रयासों से ईयू संगठन ने अपने महत्वपूर्ण साझेदार ग्रीस को संकट से बचाया. यही नहीं अपने प्रयासों से विश्व अर्थ-तंत्र को भी पटरी पर लाने में सहयोग किया. वित्तीय संकट के दुष्प्रभाव से गृहयुद्ध जैसी परिस्थितियों पर काबू पाने में सफल रहे. बिखराव की परिस्थितियों में अपने संगठन को एकजुट रख पाना कोई मज़ाक नहीं है. बीते एक वर्ष पर एशियाई देशों में चल रही आपसी खींचतान पर नज़र डालें तो फर्क सामने दिख ही जाता है.
माधव शर्मा नोखा जोधा, नागौर, राजस्थान
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आपके ज्ञान से भरा कार्यक्रम मंथन अपने क्लब सदस्यों के साथ मिल कर देखा. हमारे अधिकतर क्लब सदस्य स्टूडेंट है. यह कार्यक्रम उनकी पढाई में कहीं न कहीं काम आयेगा. श्रीलंका में बिजली उत्पादन, कार्बन डाईआक्साइड का स्थानांतरण रोचक लगे. इसके अलावा सिलिकन उत्पादन, गुरुत्वाकर्षण, कछुओं का संरक्षण,संगीत से मरीज की घबराहट कम करना भी पसन्द आये. अगर आप यह मंथन कार्यक्रम रविवार को दिखाए तो और भी बहुत सारे लोग इसको देख सकेंगे. अगले मंथन की प्रतीक्षा में..
सुनीलबरन दास, आरबीआई लिस्नर्स क्लब, नादिया, पश्चिम बंगाल
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सिंता रोमा पर अत्याचार की कहानी आपने चित्रों द्वारा बयां की, सचमुच देख और पढ़कर दिल रो उठा. कुछ पंक्तियां प्रतिक्रिया स्वरुप भेज रहा हूं.
मानव कहलाने में मन सकुचाता है।
दर्द और टीसों भरी है दासतान बेहद तुम्हारी,
क्या मनुज पर दनुजता ही रहती है हावी सदा ही?
इस धरा पर एक पिता की जब हैं सब संतान सारी,
फिर एक भाई ही भाई पर करता क्यों अन्याय भारी.
कैसे मिट सकते वे घाव,बच्चों की चीखें भारी,
मानव की इस दानवता से तो पशुता भी है हारी,
कौन भरेगा उन जख्मों को समझ नहीं कुछ आता है,
अब तो मानव कहलाने में भी मन सकुचाता है.
प्रमोद महेशवरी, फतेहपुर-शेखावटी, राजस्थान
संकलनः विनोद चड्ढा
संपादनः आभा मोंढे