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जीनियस चोर बना फ़ेसबुक का हीरो

१५ जुलाई २०१०

होनहार बिरवान के होत चिकने पात, यह कहावत अपराध के जगत के लिए भी लागू है. हवाई जहाज चुराकर मशहूर हुआ कोल्टन हैरिस मूर अब भी दुनिया के सबसे जीनियस लोगों में है. उसका कहना है, मौका दो महीने भर में लादेन को पकड़ लूंगा.

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फ़ेसबुक पर 69 हज़ार फ़ैन्सतस्वीर: picture alliance/dpa

उसकी उम्र है सिर्फ़ 19 साल, नाम है कोल्टन हैरिस मूर. कानून से मुठभेड़ की उसकी कहानी तब शुरू हुई थी, जब वह सिर्फ़ 12 साल का था. जिस शहर में वह पहुंच जाता था, वहां उठाईगीरी की बाढ़ लग जाती थी. ख़ासकर कार चोरी के मामले में उसे स्पेशलिस्ट समझा जाता था.

उम्र बढ़ती है, हाथ में निखार आता है. आख़िर उसने एक हवाई जहाज़ चुरा लिया. सन 2009 में सीएट्ल के पास कास्केड पहाड़ियों में एक प्राइवेट हवाई जहाज़ के मलबे मिले. तहकीकात के दौरान पता चला कि यह हवाई जहाज़ आइडैहो के एक हैंगर में रखा गया था, जहां कोल्टन के खाली पैर के निशान मिले. और यहीं से जन्म हुआ खाली पैर उठाईगीर या बेयरफ़ुट बैंडिट के मिथक का. उसके नाम अंतर्राष्ट्रीय वारंट जारी करना पड़ा और सन 2007 में उसे गिरफ़्तार कर लिया गया, क़ैद की सज़ा दी गई. लेकिन सन 2008 में ही वह जेल से भाग निकला, कहीं कोई सुराग नहीं था, लेकिन जहां-जहां से वह गुजरा, चोरी की बाढ़ आ गई. महीनों के अंदर भारी चोरी के 50 मामले सामने आए.

इस बीच में इंटरनेट पर वह हीरो बन चुका है. फ़ेसबुक पर उसका फ़ैन पेज है, जिसके लगभग 69 हज़ार सदस्य हैं. वाशिंगटन स्टेट में वह लगभग पुलिस की पकड़ में आ गया था, लेकिन पलक झपकते ही 6 फ़ीट पांच इंच का हैरिस मूर ग़ायब हो गया. डिप्टी शेरिफ़ का कहना था कि सिर्फ़ घने जंगल के भीतर से उसके ठहाके की आवाज़ सुनाई दे रही थी.

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लगभग आईनस्टाईन सा आईक्यूतस्वीर: ullstein bild - AISA

उसकी मां पैम कोएलर कहती हैं कि उनका बेटा अपराधी तो है, लेकिन है जीनियस. एकबार एक आई क्यू टेस्ट में पाया गया कि उसका आई क्यू महान वैज्ञानिक आईनस्टाईन से सिर्फ़ तीन अंक कम है.

खैर, इस बार बहामा में उसे गिरफ़्तार कर अमेरिका भेज दिया गया है. बहामा में उसकी वकील मोनिक गोमेज़ ने मज़ाक में उससे पूछा कि वह सीआईए में क्यों नहीं भर्ती हो जाता है? उसने वादा किया है कि इस बारे में वह गंभीरता से सोचेगा. वैसे उसका कहना है कि अगर उसे मौक़ा दिया जाए तो वह महीनेभर के अंदर ओसामा बिन लादेन को पकड़ लेगा. तो फिर देर किस बात की?

रिपोर्ट: एजेंसिया/उज्ज्वल भट्टाचार्य

संपादन: ओ सिंह