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जीएसटी के कारण 2017 भारत के लिए अहम साल

२६ दिसम्बर २०१७

आजादी के बाद से 70वें साल में भारत में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू किया गया है, जिसने देश की संघीय प्रणाली में एकीकृत बाजार को पैदा किया है.

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Indien Bank in Mumbai
तस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images

इसे लागू करने में हालांकि व्यापार और उद्योग को कई कठिनाइयों का भी सामना करना पड़ा. इस महीने की शुरुआत में उद्योग मंडल फिक्की की 90वीं आम बैठक में कॉरपोरेट नेतृत्व मंडल द्वारा यह पूछे जाने पर कि कर संग्रहण में कमी पर जीएसटी का क्या असर है? वित्तमंत्री अरुण जेटली ने उन्हीं पर इसकी जिम्मेदारी डाल दी.

जेटली ने कहा, "आप उद्योग से हैं. आपने ही लंबे समय से जीएसटी लाने की मांग की थी, इतने बड़े पैमाने पर सुधार को लागू करने से प्रारंभिक समस्याएं आती ही हैं, तो अब आप उस प्रणाली में जाना चाहते हैं, जो 70 साल पुरानी है."

इससे पहले की प्रणाली में केंद्र और राज्य द्वारा वसूले जाने वाले करों की संख्या काफी अधिक थी, जिससे माल की आवाजाही में काफी देर लगती थी, क्योंकि उन्हें कई बार अलग-अलग करों को चुकाना होता था.

Indien Callcenter in Gurgaon
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Kember

अब राज्य स्तरीय करों को अखिल भारतीय जीएसटी से बदल दिया गया है, जिसमें राज्यों के सेस और सरचार्ज, लक्जरी टैक्स, राज्य वैट, खरीद शुल्क, केंद्रीय बिक्री कर, विज्ञापनों पर कर, मनोरंजन कर, प्रवेश शुल्क के विभिन्न संस्करण और लॉटरी व सट्टेबाजी पर कर शामिल है.

वहीं, जीएसटी में जिन केंद्रीय करों को समाहित किया गया है, उनमें सेवा कर, विशेष अतिरिक्त सीमा शुल्क (एसएडी), विशेष महत्व के सामान पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क, औषधीय व शौचालय के सामानों पर उत्पाद शुल्क, वस्त्र या व उत्पादों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क और सरचार्ज शामिल हैं.

नई अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था, जो भारतीय बाजार को एकीकृत करती है. उसमें चार स्लैब - पांच फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी और 28 फीसदी शामिल हैं.

इसमें एक नई सुविधा इनपुट टैक्स क्रेडिट की दी गई है, जहां वस्तु एवं सेवा प्रदाता को इस्तेमाल किए गए सामानों पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ मिलता है. जिससे कर की वास्तविक दर कम हो जाती है.

साल की दूसरी छमाही में सर्वोच्च संघीय संस्था जीएसटी परिषद द्वारा करों की चार दरों की संरचना का बड़े पैमाने पर पुनर्मूल्यांकन किया गया, जिसमें 1,200 सामानों में से 50 को शीर्ष 28 फीसदी कर की सूची में रखा गया. इसमें वे सामान शामिल हैं, जिन्हें लक्जरी श्रेणी की वस्तुएं मानी जाती हैं.

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तस्वीर: Chandan Khanna/AFP/Getty Images

पिछले महीने हुई परिषद की बैठक में कई उपभोक्ता सामानों पर जीएसटी कर में कटौती की गई, जिसमें चॉकलेट, च्यूइंग गम, शैम्पू, डियोडरेंट, शू पॉलिश, डिटरजेंट, न्यूट्रिशन ड्रिंक्स, मार्बल और कॉस्मेटिक्स शामिल हैं. जबकि वाशिंग मशीन और एयर कंडीशनर जैसे लक्जरी सामानों को 28 फीसदी जीएसटी स्लैब में शामिल किया गया है.

तेल और गैस समेत पेट्रोलियम पदार्थो को अभी भी जीएसटी में शामिल नहीं किया गया है, जबकि उद्योग जगत इसे जीएसटी में रखने की मांग कर रहा है, ताकि वह इन पर भी इनपुट क्रेडिट का लाभ उठा सके.

वहीं, रियल एस्टेट क्षेत्र को भी जीएसटी के अंतर्गत रखने का मुद्दा लंबे समय से जीएसटी परिषद के पास लंबित है.

परिषद के अध्यक्ष जेटली ने यहां उद्योग जगत के नेतृत्व को संबोधित करते हुए कहा, "सहकारी संघवाद की सर्वोत्तम भावना में सर्वसम्मति से सब कुछ हासिल किया गया है. कोई भी राजनीति नहीं है, यहां तक कि उन राज्यों से भी सहमति हासिल हुई है, जहां विपक्षी दल शासन में हैं."

वहीं, जीएसटी के बारे में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष की राय 'अल्पकालिक उथल-पुथल मचानेवाली' की है.

जीएसटी लागू होने से पहले जुलाई में व्यवसायियों ने अपना पुराना माल खाली कर दिया और अनिश्चितता के कारण नए माल की खरीदारी नहीं की. इसके साथ अन्य कारकों ने मिलकर चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर को धीमा कर दिया और यह घटकर 5.7 फीसदी पर आ गई, जो कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार की सबसे कम दर है. हालांकि लगातार पांच तिमाहियों की गिरावट के बाद निर्माण क्षेत्र के उत्पादन में वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सिंतबर) के दौरान तेजी दर्ज की गई और यह 6.3 फीसदी पर रही.

इसके अलावा जीएसटी लागू करने के बाद जीएसटी नेटवर्क के पोर्टल में तकनीकी खराबियां भी देखी गईं, जिससे अंतिम समय में रिटर्न फाइल करने के दौरान प्रणाली पर काफी अधिक भार दर्ज किया गया और सरकार अंतिम तिथि को कई बार बढ़ाने पर मजबूर हुई. इस तकनीकी खामी के कारण कई उद्योगों की कार्यशील पूंजी अटक गई, क्योंकि उन्हें समय पर कर रिफंड हासिल नहीं हो सका.

हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के अंतर्राष्ट्रीय अध्ययन और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर तथा केरल के मुख्यमंत्री के आर्थिक सलाहकार गीता गोपीनाथ ने अपने विश्लेषण में इस महीने की शुरुआत में मुंबई में कहा, "जीएसटी एक वास्तविक सुधार है. यह अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने का एक तरीका है. यह कर अनुपालन सुनिश्चित करने का एक बहुत ही प्रभावशाली तरीका है, जिससे काला धन अर्जित करना कठिन होता है. मेरा मतबल है कि यह काले धन को अर्जित करना कठिन बना सकता है, उसे रोक नहीं सकता."

विश्व बैंक ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की कि एज ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैकिंग 30 पायदान बढ़ गई है और देश इस मामले में शीर्ष 100 देशों में शामिल हो गया है. इसके मूल्यांकन में जीएसटी को लागू करने का बहुत बड़ा योगदान रहा है.

विश्वजीत चौधरी (आईएएनएस)