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जी-20 में छायेंगे अमेरिकी विदेश मंत्री टिलरसन

१५ फ़रवरी २०१७

बॉन में जी-20 देशों के सम्मेलन में पहुंच रहे विदेश मंत्रियों की निगाहें अमेरिकी विदेश मंत्री पर होंगी. यह जानने के लिए नए राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन में अगले चार साल में अमेरिका की नीति क्या होगी.

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USA Sigmar Gabriel trifft Rex Tillerson
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. von Jutrczenka

गुरुवार और शुक्रवार को जर्मनी की पुरानी राजधानी बॉन में हो रहे सम्मेलन में साझेदार देश अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से ये आश्वासन चाहेंगे कि राष्ट्रपति ट्रंप वैश्विक अर्थव्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय विकास पर जी-20 देशों के एक दशक पुराने सहयोग को अधर में नहीं छोड़ेंगे. दूसरी ओर रूस, चीन, सऊदी अरब और तुर्की उस इंसान को भांपना चाहेंगे जिनके साथ उन्हें आने वाले सालों में सीरिया, यूक्रेन या दक्षिण चीन सागर जैसे कई संवेदनशील मसलों पर साथ काम करना है.

थिंक टैंक चैंथम हाउस के फेलो और ओबामा प्रशासन में आर्थिक मामलों के सलाहकार रहे क्रिस्टोफर स्मार्ट कहते हैं, "किसी भी देश के लिए जो अमेरिका नहीं है के लिए मामला यह समझना है कि ट्रंप के लिए अमेरिका फर्स्ट का मतलब क्या है." मल्टीलैटरल कूटनीति से अलग हटने का मतलब यह होगा कि अमेरिका के बहुत से साथी वाशिंगटन के ध्यान के लिए एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते नजर आएंगे, जिसका मतलब नए मोर्चों का खुलना होगा. साथ ही छोटे देशों को अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अलावा पर्दे के पीछे होने वाली सौदेबाजियों का खर्च उठाने को मजबूर होना होगा. पहले यह काम मुख्य रूप से अमेरिकी विदेश मंत्रालय करता था.

Deutschland Auftakt der deutschen G20-Präsidentschaft 2017
तस्वीर: picture alliance/dpa/B. von Jutrczenka

अब तक टिलरसन ने राष्ट्रपति ट्रंप के मुकाबले नरम रवैया दिखाया है और अतीत से संबंध तोड़ने के बदले निरंतरता की इच्छा का संकेत दिया है. क्रिस्टोफर स्मार्ट का कहना है कि ये व्यवहार में कैसे काम करेगा और राष्ट्रपति सचमुच किसकी सुनते हैं, यह बात बॉन आए विदेश मंत्री सम्मेलन के दो सत्रों और सरकारी गेस्ट हाउस में होने वाली द्विपक्षीय बैठकों में पता करना चाहेंगे. जी-20 बैठक से ठीक पहले मॉस्को से अपने संबंधों के कारण ट्रंप के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइकल फ्लिन को इस्तीफा देना पड़ा है. इस ओर ध्यान दिलाते हुए स्मार्ट कहते हैं कि रूस के साथ बातचीत दिलचस्प होगी. सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व विदेश राज्य मंत्री एमजे अकबर कर रहे हैं.

इस हफ्ते होने वाली चर्चा 7-8 जुलाई को हैम्बर्ग में होने वाली जी-20 शिखर भेंट के लिए ड्रेस रिहर्सल होगी, जिसमें आने की ट्रंप ने पुष्टि की है. जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने अमेरिका के साथ सहयोग की इच्छा पर जोर देकर ट्रंप के साथ अपने मतभेदों को कमकर आंकने की कोशिश की है हालांकि ट्रंप ने उनकी शरणार्थी नीति को पूरी तरह विफल बताया था. इस महीने की शुरुआत में जर्मन विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएल ने सीनेट द्वारा पुष्टि के तुरंत बाद अमेरिका जाकर टिलरसन से मुलाकात की थी. गाब्रिएल हाल ही में मंत्रिमंडल में हुए फेरबदल के बाद विदेश मंत्री बने हैं. उन्होंने कहा कि जी-20 के बीच बातचीत यह साबित करने के लिए जरूरी है कि विदेश नीति संकट प्रबंधन ही नहीं है.

Deutschland | US-Präsident Obama wird von Bundeskanzlerin Merkel in Empfang genommen
तस्वीर: Reuters/F. Bensch

अमेरिका का नाम लिए बिना गाब्रिएल ने कहा आतंकवाद, पानी की कमी और मानवीय इमरजेंसी के कारण होने वाली समस्याएं अलग थलग रह कर नहीं सुलझायी जा सकती है. हाल के सालों में जर्मनी में सीरिया, इराक और अफगानिस्तान के विवादों के कारण बड़े पैमाने पर शरणार्थियों  का आना हुआ है. गाब्रिएल ने कहा, "जलवायु परिवर्तन को बाड़ लगाकर नहीं रोका जा सकता." फिर भी बहुत कम लोगों को उम्मीद है कि जी-20 का सम्मेलन इस बार उतना आराम से हो सकेगा जितना दो साल पहले जी-7 देशों का शिखर सम्मेलन हुआ था. उस सम्मेलन में मैर्केल और ओबामा के बीच पारस्परिक समझ दिखी.

जर्मनी के वामपंथी संगठन और गुट गुरुवार को सम्मेलन भवन के पास विरोध प्रदर्शन की योजना बना रहे हैं. सम्मेसन उसी इमारत में हो रहा है जो देश की राजधानी बॉन से बर्लिन ले जाये जाने तक संसद भवन थी. उसके बाद से बॉन मल्टीलैटरल कूटनीति के जर्मनी के सपने की मिसाल बन गया है. यहां अंतरराष्ट्रीय संगठनों और संयुक्त राष्ट्र के कई दफ्तर हैं जिनका मुख्य फोकस जलवायु परिवर्तन पर है. इस मसले पर भी नए अमेरिकी प्रशासन से संदेह व्यक्त किया है.

एमजे/ओएसजे (एपी)