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जी 20 कॉन्फ्रेंस: जबान पर सहयोग, दिल में कशमकश

ओंकार सिंह जनौटी
१६ फ़रवरी २०१७

बॉन में जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक में सहयोग, सहयोग जैसे शब्द बहुत सुनाई पड़े, लेकिन पर्दे के पीछे मौजूद तनाव इस मौके पर पर्दे के सामने भी साफ दिखा.

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Deutschland G 20 Außenministertreffen in Bonn
तस्वीर: Reuters/S. Schuermann

एक दूसरे के साथ खड़े होते वक्त कभी चेहरों पर असहजता दिख रही थी, तो कभी बिल्कुल न होती बातचीत या फिर कुछ कुछ धड़ों के बीच सिमटी बातचीत. जर्मन शहर बॉन में गुरुवार को जी-20 देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक का पहला दिन इसी अंदाज में गुजरा.

मेजबान जर्मनी के विदेश मंत्री जिगमार ग्राबिएल ने मेहमानों का स्वागत किया. इस मौके पर उन्होंने रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव के सामने यूक्रेन का मसला उठाया. रूसी विदेश मंत्री से उन्होंने पूर्वी यूक्रेन से भारी हथियार हटाने की मांग की. फिलहाल वहां संघर्ष विराम है, जिसे गाब्रिएल ने बेहद क्षण भंगुर करार दिया. साफ है कि अब जर्मनी के शहर म्यूनिख में होने वाली सुरक्षा कॉन्फ्रेंस में भी यूक्रेन का मुद्दा प्रमुख रूप से उठेगा.

Deutschland G 20 Außenministertreffen in Bonn PK Gabriel
जर्मन विदेश मंत्री जिगमार गाब्रिएलतस्वीर: Reuters/T. Schmuelgen

अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली अंतरराष्ट्रीय स्तर की कॉन्फ्रेंस थी. ऐसे में सभी नेताओं की नजर अमेरिका के नए विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन पर टिकी रहीं. दुनिया जानना चाहती है कि ट्रंप के शासन में अमेरिका की विदेश नीति कहा जाएंगी. रूस से निकटता के चक्कर में हाल ही में अमेरिका के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकर माइकल फ्लिन को पद से इस्तीफा देना पड़ा.

लिहाजा बॉन में टिलरसन ने रूसी विदेश मंत्री के साथ बहुत ज्यादा नजदीकी नहीं दिखाई. सेर्गेई लावरोव से आमने सामने बात करने के बाद अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि अमेरिका रूस से सहयोग करने को तैयार है, लेकिन सहयोग अमेरिका के हित में होना चाहिए, "व्यावहारिक सहयोग के मौके सामने आने पर अमेरिका रूस के साथ काम करने के बारे में सोच सकता है, सहयोग अमेरिका के लोगों के हित में होना चाहिए." इस तरह टिलरसन ने घुमा फिराकर अमेरिकी राष्ट्रपति के "अमेरिका फर्स्ट" नारे को जाहिर किया.

Deutschland G 20 Außenministertreffen in Bonn Tillerson und Lawrow
रूसी विदेश मंत्री लावरोव (बाएं) से पहली बार मिलते अमेरिकी विदेश मंत्री टिलरसनतस्वीर: picture-alliance/dpa/A. Shcherbak

ट्रंप ने अब तक दुश्मनों से ज्यादा दोस्तों को चिंता में डाला है. द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से अमेरिका का करीबी साझेदार रहा पश्चिमी यूरोप चिंता में है. ऐसी चिंताओं पर थोड़ा मरहम लगाते हुए अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा, "जहां हम एक दूसरे से आंख नहीं मिलाते, वहां अमेरिका अपने और अपने सहयोगियों के हितों की रक्षा करेगा."

बॉन कॉन्फ्रेंस से 24 घंटे पहले अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस ने कहा था कि यूरोप के नाटो सदस्यों को सैन्य संगठन में अपना वित्तीय योगदान बढ़ाना होगा. ऐसा न हुआ तो अमेरिका अपनी वचनबद्धता में संशोधन करना पड़ेगा. अमेरिकी रक्षा मंत्री के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए जर्मन विदेश मंत्री ने कहा कि सैन्य बजट के मुद्दे पर व्यापक बातचीत होनी चाहिए. गाब्रिएल ने कहा कि जर्मनी शरणार्थी से निपटने के लिए 30 से 40 अरब यूरो खर्च कर रहा है. यह भी नाटो और सुरक्षा से जुड़ा हुआ मुद्दा है. बर्लिन के रुख से साफ है कि वह नाटो में ज्यादा पैसा लगाने की मांग कर रहे अमेरिका के सामने ये आंकड़े भी रखेगा.

दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस शुक्रवार को समाप्त होगी. यूक्रेन, सीरिया, अफगानिस्तान और अफ्रीका की चर्चा में कितना कुछ ठोस निकलता है, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि बदलती दुनिया में जी-20 देश एक दूसरे पर कितना भरोसा कर पाते हैं.

(टाइम बम जैसे विवाद)