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जापान में विदेशी कार्यकर्ता को रोका तो हुआ जुर्माना

२५ मार्च २०१६

जापान की एक अदालत ने पशु रक्षा के लिए अहम फैसले में कहा है कि एक अक्वेरियम को ऑस्ट्रेलिया के पशु संरक्षण कार्यकर्ता को रोकने का कोई हक नहीं है. वह अक्वेरियम के कब्जे में बेबी अल्बीनो डॉल्फिन की जांच करने गया था.

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Japan Walfang
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Kyodo

सैरा लूकस ऑस्ट्रेलिया फॉर डॉल्फिन की प्रमुख हैं. उन्हें अल्बीनो डॉल्फिन की चिंता है क्योंकि उन्हें छोटे टैंक में बहुत सारी दूसरी डॉल्फिनों के साथ क्लोरीन वाले पानी में रखा गया है. केंद्रीय जापान के ताइजी शहर में यह अक्वेरियम सैलानियों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है. इसे लोकप्रिय बनाने में ऑस्कर जीतने वाली फिल्म द कोव की भी भूमिका रही है, जिसमें स्थानीय मछुआरों द्वारा उन्हें जमा करने बाद में उन्हें मीट के लिए मारने की कहानी सुनाई गई है. अक्वेरियम ने सैरा लूकस को अल्बीनो डॉल्फिन की हालत देखने आने से रोक दिया था.

अक्वेरियम के अधिकारियों का कहना है कि वह गैर जापानी पशु संरक्षण कार्यकर्ताओं को नियमित रूप से रोकता रहा है. उनमें सी शेफर्ड के सदस्य भी हैं जो हर साल डॉल्फिन के शिकार का विरोध करने आते हैं. लेकिन अक्वेरियम को विदेशी पर्यटकों और दर्शकों से कोई गुरेज नहीं है. उनका वहां स्वागत होता है. लूकस ने 2014 में अक्वेरियम में घुसने की कोशिश की थी, लेकिन उनसे कहा गया था कि एंटी व्हेलर लोगों का स्वागत नहीं है.

वाकायामा जिला अदालत ने सैरा लूकस को रोकने के अक्वेरियम के अधिकार को नहीं माना और उसे लूकस को 110,000 येन का हर्जाना देने को कहा. लूकस ने अदालत के फैसले को डॉल्फिन की हत्या रोकने के संघर्ष में जीत बताया. लूकस ने कहा, "आज का फैसला दिखाता है कि जापानी कानून की मदद से पशुओं की तकलीफ रोकी जा सकती है."

ताइजी म्यूजियम के उप प्रमुख टेत्सुओ कीरीहाता ने कहा कि वे अदालत के फैसले से संतुष्ट हैं क्योंकि शुरू में 30 लाख येन के हर्जाने की मांग की गई थी. उन्होंने कहा कि म्यूजियम की बहुत सारी दलीलों पर ध्यान दिया गया है. उनका कहना है कि अल्बीनो डॉल्फिन ठीक से खा पी रहा है और दूसरे डॉल्फिनों के साथ घुल मिल गया है. उन्होंने कहा कि ब्लड टेस्ट दिखाते हैं कि उसका स्वास्थ्य ठीक है और यह समझना कि दूसरे डॉल्फिन उसे डराते धमकाते हैं, यह प्रकृति का हिस्सा है. जापान की सरकार डॉल्फिन के शिकार को परंपरा का हिस्सा बताती है और उस पर रोक लगाने से मना कर रही है. ताइजी शिकार की विश्व भर में आलोचना हुई थी.

एमजे/आरपी (एपी)