1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

जापान ने परमाणु ऊर्जा को कहा सायोनारा

१५ सितम्बर २०१२

जापान ने कहा है कि अगले तीन दशकों में वह परमाणु ऊर्जा पर पूरी तरह रोक लगा देगा. इस फैसले के साथ जापान जर्मनी और स्विट्जरलैंड जैसे देशों की सूची में जुड़ गया है जो परमाणु ऊर्जा को अलविदा कहने का फैसला कर चुके हैं.

https://p.dw.com/p/169fC
तस्वीर: Reuters

पिछले साल जापान में आए भूकंप और सूनामी के बाद फुकुशीमा दाइची परमाणु घर में खराबी आई. 1986 के चेर्नोबिल के हादसे के बाद से यह अब तक का सबसे बड़ा परमाणु हादसा है. इसी को देखते हुए जर्मनी ने परमाणु ऊर्जा का रास्ता छोड़ देने का फैसला किया. अब काफी सोच विचार के बाद जापान ने भी यही राह अपना ली है. हादसे से पहले तक जापान परमाणु ऊर्जा इस्तेमाल करने वाला तीसरा सबसे बड़ा देश था.

शुक्रवार को एक बयान जारी कर जापान सरकार ने कहा, "सरकार हर मुमकिन नीति का सहारा लेगी जिसकी मदद से 2030 के दशक में परमाणु ऊर्जा का उत्पादन बंद किया जा सके." सरकार मंत्रियों के साथ कई बैठकों के बाद इस फैसले पर पहुंची है. पिछले महीने प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा ने परमाणु ऊर्जा का विरोध कर रहे कार्यकर्ताओं से भी मुलाकात की. प्रधानमंत्री के दफ्तर से जारी इस बयान में कहा गया है, "कई जापानी चाहते हैं कि एक ऐसा समाज बनाया जाए जो परमाणु ऊर्जा पर निर्भर ना हो. लेकिन दूसरी ओर यह बात भी साफ है कि ऐसा पूरी तरह कब और कैसे हो सकेगा इस विषय पर राय बंटी हुई है."

Treffen Premierminister Japan Noda mit Anti-Atomkraft-Aktivisten
परमाणु ऊर्जा का विरोध करने वाले कार्यकर्ताओं के साथ प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा की बैठकतस्वीर: dapd

जर्मनी ने भी पिछले साल ही ऐसा निर्णय लिया है. अंगेला मैर्केल ने वादा किया है कि सरकार 2022 तक देश को पूरी तरह परमाणु ऊर्जा रहित बनाने में कामयाब हो सकेगी. वहीं स्विट्जरलैंड ने 2034 तक का लक्ष्य तय किया है. जापान ने कहा है कि 2040 से पहले तक वह ऐसा करने में सफल हो सकेगा. फुकुशिमा हादसे से पहले तक जापान में एक तिहाई ऊर्जा का उत्पादन परमाणु बिजली घरों से ही होता था. जापान की योजना थी कि 2030 तक देश में परमाणु बिजली घर की संख्या 50 प्रतिशत बढ़ाई जा सके.

हालांकि अब जापान को तेल, कोयले और गैस के आयात पर पहले से काफी ज्यादा निर्भर रहना होगा. सरकार ने पिछले हफ्ते ही एक अनुमान लगा कर बताया कि परमाणु ऊर्जा के उत्पादन के बंद होने का मतलब होगा कि देश को सालाना आयात के लिए तीन खरब येन यानी करीब 40 अरब डॉलर से अधिक खर्च करना होगा.

माना जाता है कि प्रधानमंत्री नोडा परमाणु ऊर्जा के उत्पादन को बंद करने के हक में नहीं हैं. अब तक देश के पचास में से कुल दो ही बिजली घरों को ही सूनामी के कारण खराब हो जाने पर पूरी तरह बंद किया गया है. कई दूसरे को जांच के लिए रोका हुआ है. कार्यकर्ताओं का मानना है कि नोडा मामला शांत होने की फिराक में हैं ताकि वह उन्हें फिर से चालू करवा सकें.

कई निजी कंपनियों ने भी यह तर्क दिया है कि यदि परमाणु ऊर्जा का उत्पादन पूरी तरह बंद हो जाता है तो उस से बिजली की कीमतों में भारी इजाफा होगा जो जापान के लोगों के हक में नहीं होगा. हालांकि अधिकतर नागरिक फुकुशिमा जैसे हादसे से एक बार फिर गुजरने की जगह बिजली के लिए अधिक कीमतें चुकाने को बेहतर विकल्प मान रहे हैं.

आईबी/एनआर (एएफपी/रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी