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जहां 100 से 90 बलात्कारों की किसी को खबर ही नहीं लगती

१४ अक्टूबर २०१६

एक सर्वे के मुताबिक इंडोनेशिया में बलात्कार के 90 प्रतिशत मामले कभी प्रकाश में नहीं आ पाते. ऐसा इसलिए कि यौन हिंसा के पीड़ितों को लगता है कि उल्टे उन्हें ही परेशान किया जाएगा.

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Indonesien Kindesmissbrauch Proteste in Banda Aceh
तस्वीर: Getty Images/AFP/C. Mahyuddin

पिछले दिनों इंडोनेशिया में हुए एक सर्वे से ये बात उभर कर सामने आई है. सर्वे में ऑनलाइन 25,213 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से सिर्फ 6.5 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उन्होंने अपने यौन शोषण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वहीं 93 प्रतिशत लोगों का कहना है कि उन्होंने इस बारे में किसी को नहीं बताया. उन्हें डर था कि औरों को इस बारे में बताने से उन्हें ही मुश्किलें झेलनी पड़ेंगी.

इस सर्वे के मुताबिक जिन लोगों का बलात्कार हुआ, उनमें से दो तिहाई की उम्र 18 साल से कम थी. चेंज.ओआरजी वेबसाइट के साथ मिलकर इस सर्वे को करने वाली संस्था लेनतेरा सिनतास इंडोनेशिया में कैम्पेन डायरेक्टर सोफिया हागा कहती हैं. "इससे पता चलता है कि इस मुद्दे को लेकर देश में कितनी संवेदनहीनता है कि लोग इस बारे में बात ही नहीं करना चाहते." उनका कहना है, "इस बारे में किसी को न बताने की सबसे बड़ी वजह है सामाजिक कलंक जो उन्हें झेलना होगा. उन्हीं को दोषी ठहराया जाएगा. इसलिए उन्हें खामोश रहना ही बेहतर लगता है."

सर्वे में हिस्सा लेने वाले लोगों में लगभग 58 फीसदी महिलाएं थीं जबकि कुछ ट्रांसजेंडर लोग भी थे. उन्होंने अपने साथ गालीगलौज होने की बात भी कही. 25 प्रतिशत का कहना है कि उनका शारीरिक उत्पीड़न भी हुआ. इसमें जबरदस्ती छूना और चूमना भी शामिल है.

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने मई में एक कानून मंजूर किया था जिसमें बच्चों का बलात्कार करने वालों को अधिकतम मौत की सजा का प्रावधान है. ये कानून अप्रैल में 14 साल की एक लड़की के बलात्कार और बाद में हत्या पर भारी जनाक्रोश के बाद बनाया गया है. इस कानून के तहत बलात्कार करने वालों को रासायिक रूप से बधिया किया जाएगा. इसके अलावा उन पर एक चिप भी लगाई जा सकती है ताकि पता चलता रहे कि वो कहां कहां जा रहे हैं.

सरकार ने कहा है कि वो 2017 तक एक डाटा सेंटर बनाना चाहती है जहां महिला और बच्चों के खिलाफ होने वाली यौन हिंसा से जुड़े आंकड़े जुटाए जाएंगे. महिला अधिकार समूहों का कहना है कि सटीक आंकड़े न होने की वजह से यौन हिंसा को रोकने और जागरुकता फैलाने की कोशिशों में बाधा आती है.

एके/एमजे (रॉयटर्स)