जहरीली फसल पैदा करेगा मौसम
३ जून २०१६संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (यूएनईपी) की रिपोर्ट विषैले खाने पर चिंता जताई गई है. यूएनईपी की चीफ साइंटिस्ट जैक्लिन मैकग्लाडे ने डॉयचे वेले से खास बातचीत में इसके कारण भी बताए. मैकग्लाडे के मुताबिक, "गर्मी बढ़ने या बाढ़ की दशा में पौधे खुद को बचाने के लिए अनेक उपाय करते हैं. वे खुद को परिस्थितियों के मुताबिक ढालते हैं और इस दौरान उनमें कई जहरीले तत्व विकसित होते हैं. यह लोगों और मवेशियों के लिए भी विषैले होते हैं."
मौसमी बदलावों के कारण जौं और बाजरे की फसल का विकास धीमा पड़ रहा है. इसके लिए नाइट्रेट जिम्मेदार होता है. अगर पौधे में नाइट्रेट की मात्रा और ज्यादा बढ़ने लगे तो वह विषैला हो जाएगा. नाइट्रेट इंसान और मवेशियों के दिमाग पर हमला करता है.
वैज्ञानिक प्रुसिक एसिड कहे जाने वाले हाइड्रोजन साइनायड की भी चेतावनी दे रहे हैं. तरुण, बाजरा, ज्वार में यह विकसित हो सकता है. दुनिया की ज्यादातर गरीब आबादी इन फसलों पर निर्भर है. यह शरीर के प्रतिरोधी तंत्र पर हमला करता है.
यूएनईपी की रिपोर्ट के मुताबिक ये विषैले तत्व इंसान के तंत्रिका तंत्र पर हमला कर सकते हैं. इनके चलते सांस लेने में तकलीफ भी हो सकती है. गर्भ में पल रहे बच्चे पर तो इनका असर और घातक होता है. गर्भपात का खतरा भी बढ़ जाता है.
मैकग्लाडे के मुताबिक बाढ़ के चलते अनाज पर फंगस लग सकता है. पूर्वी अफ्रीका के कई देशों में ऐसी समस्याएं सामने आ चुकी हैं. अगर ऐसे अन्न को छांटा न जाए तो पिसाई के बाद आटा जहरीला होगा. विकसित देशों में जहरीले अनाज की पहचान पहले ही कर ली जाती है. लेकिन विकासशील देशों के पास इस तरह की तकनीक नहीं है.