जर्मनी से लोकतंत्र ले जाना चाहते हैं सीरियाई शरणार्थी
११ सितम्बर २०१७जर्मनी के गोएटिंगन शहर में नाश्ते की मेज पर बैठे सीरियाई छात्र अब्दुलरहमान अब्बासी अपने माता पिता के साथ जर्मनी के चुनावों पर चर्चा कर रहे हैं. डेंटल कॉलेज के छात्र अब्बासी और उनके माता पिता को जर्मनी के चुनाव में वोट देने का अधिकार नहीं है. अब्बासी तो साढ़े तीन साल से जर्मनी में हैं लेकिन उनके माता पिता डेढ़ साल पहले यहां आये. हालांकि इन सब में चुनाव को लेकर खूब दिलचस्पी है. अब्बासी कहते हैं, "यह एक अनमोल अनुभव है क्योंकि हमारे देश में इस तरह से नहीं होता. वहां सिर्फ एक ही पार्टी है और कोई विपक्ष नहीं." अब्बासी ना सिर्फ जर्मन चुनावों पर नजर रख रहे हैं बल्कि वह यहां के मध्य वामपंथी दल एसपीडी को पसंद भी करने लगे हैं. अब्बासी ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "मैंने 2015 में राजनीतिक अनुभव लेना शुरू कर दिया था."
अब्बासी जर्मनी में रह रहे उन कई छात्रों में हैं जो अपने भविष्य के लिए यहां की राजनीति में दिलचस्पी ले रहे हैं, भले ही उन्हें यहां रहना पड़े या फिर सीरिया में. समर फाहेद सीरिया से भागने के पहले एक वामपंथी कार्यकर्ताओं के गुट से जुड़े थे जो बशर अल असद की सत्ता का विरोध करता था. हाल ही में वह भी एसपीडी के सदस्य बन गये. सीरिया में स्वायदा के रहने वाले 27 साल के फाहेद कहते हैं, "हम नहीं जानते कि लोकतंत्र क्या होता है क्योंकि हमारे यहां तानाशाही शासन है. यहां हम राजनीतिक अभियानों, सासंदों के कर्तव्यों और राजनीतक दलों की संरचना के बारे में ज्यादा चीजें देख और समझ रहे हैं."
जब बात जर्मन पार्टियों के चुनावी कार्यक्रमों की आती है तो सीरियाई लोग आप्रवासन और शिक्षा जैसे मुद्दों में दिलचस्पी दिखाते हैं,. फाहेद ने कहा, "एक विदेशी के रूप में मैं उस जर्मन पार्टी में दिलचस्पी रखता हूं जो शरणार्थियों से हेलमेल, नौकरियों के ज्यादा मौके पैदा करने के साथ ही और ज्यादा शरणार्थियों का स्वागत करने की इच्छुक है." फाहेद का कहना है, "एसपीडी सीडीयू की तुलना में शरणार्थियों का ज्यादा स्वागत करती है." सीडीयू यानी क्रिश्चियन डेमोक्रैटिक पार्टी चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी है जिसने शरणार्थियों के लिए जर्मनी के दरवाजे खोल दिये थे.
कातरीन बेनजेनबर्ग एसपीडी की सदस्य हैं और उन्होंने बेंजामिन व्रुचाक के साथ मिल कर सीरियाई शरणार्थियों के लिए राजनीतिक शिक्षा की कार्यशाला शुरू की है. उन्होंने छात्रों से हुई चर्चा के दौरान यह अनुभव किया कि कई शरणार्थी राजनीतिक दलों को भ्रष्ट मानते हैं. अप्रैल में शुरू हुई इस कार्यशाला का मकसद जर्मनी में आये नये लोगों को यह दिखाना है कि यहां राजनीति कैसे काम करती है. बेनजेनबर्ग ने यह देखा कि कार्यशाला के अंत में कई लोगों ने जर्मनी की लोकतांत्रिक व्यवस्था में गहरी रुचि दिखायी और यह भी मांग रखी कि एक झूठमूठ का चुनाव उनके सामने किया जाये.
व्रुचाक ने बताया, "उन्होंने इस बारे में भी खूब सवाल किये कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जर्मनी लोकतांत्रिक तरीके से कैसे विकसित हुआ." व्रुचाक ने यह भी कहा, "मुझे नहीं लगता कि ये लोग पार्टियों में जाएंगे क्योंकि इनमें से बहुत सारे जल्दी ही सीरिया लौटना चाहते हैं."
कुछ सीरियाई लोगों के मन में अपने तबाह देश को फिर से बनाने की चाहत है और इसके लिए वे जर्मन राजनीति के बारे में जानकारी जुटा रहे हैं. फाहेद का कहना है कि वे 10 साल या 15 साल बाद या कब सीरिया जाएंगे ये तो नहीं पता लेकिन वहां जाने के पहले जर्मनी में राजनीति शास्त्र की पढ़ाई करनी है और जर्मनी की राजनीति में करियर बनाना है. उन्होने कहा, "शायद हम जर्मन राजनीतिक पार्टयों से बेहतर राजनीतिक दल बना सकें."
एनआर/एके (डीपीए)