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जर्मनी में अंगदान अभियान चलाएगी सरकार

२८ सितम्बर २०११

अंग प्रत्यारोपण मरीजों की जान बचाने में अहम साबित हो सकता है, लेकिन दानकर्ताओं के अभाव में बहुत से मरीज प्रत्यारोपण के इंतजार में रहते हैं. जर्मनी में स्थिति को बदलने के लिए नया प्रत्यारोपण कानून बनाने पर बहस हो रही है.

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विपक्ष के नेता फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर ने अपनी पत्नी को किडनी दान कीतस्वीर: dapd

जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री डानिएल बार की योजना है कि सार्वजनिक और गैर सरकारी स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को यह जिम्मेदारी दी जाएगी कि वे अपने बीमाधारकों को अंगदान के बारे में जानकारी दें और उनसे पूछें कि क्या वे अपना अंग दान करना चाहते हैं. अतिरिक्त खर्च बचाने के लिए ऐसा आनेवाले समय में तब किया जाएगा जब बीमाधारकों को इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ कार्ड भेजा जाएगा.

बीमा कंपनियां की भूमिका

बीमाधारकों का जवाब अंगदान परिचयपत्र में रजिस्टर किया जाएगा, जो बीमा कंपनियों के पास होगा. बीमाधारकों को अंगदान के लिए हां करने, ना करने या यह कहने का विकल्प होगा कि वे अभी फैसला नहीं करना चाहते हैं. बीमा कंपनियों को यह भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी कि वे बीमाधारकों के सवालों का जवाब देने के लिए प्रशिक्षित व्यक्ति को रखें.

इस प्रस्ताव का लक्ष्य अंगदान के लिए तैयार लोगों और सचमुच अंगदान करने वाले लोगों की संख्या में अंतर को दूर करना. जर्मनी में 75 प्रतिशत लोगों ने अंगदान की तैयारी दिखाई है लेकिन सिर्फ 25 प्रतिशत लोगों ने अंगदान की इच्छा रजिस्टर कराई है. वर्तमान पहल के जरिए ऐसे लोगों से अंगदान की स्वीकृति ली जा सकेगी जिंहोंने अभी तक ऐसा नहीं किया है.

Niederlande Fernsehen Nieren Show BNN Zuschauer Nierenpatienten
नीदरलैंड्स में तो अंगदान को लेकर एक टीवी "बिग डोनर शो" भी चलता हैतस्वीर: AP

आम तौर पर अंगदान के बारे में गंभीरता से तब विचार किया जाता है जब आस पास में ऐसी कोई घटना घटती है, या जब आदमी स्वयं बीमार हो जाता है. लेकिन अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया इतनी आसान भी नहीं होती. इसलिए जर्मनी में प्रत्यारोपण का इंतजार कर रहे हर चौथे व्यक्ति की मौत हो जाती है.

पिछले महीनों में सरकार और चिकित्सकों ने अंगदान को प्रोत्साहन देने के लिए विभिन्न पहलकदमियां चलाई हैं. चिकित्सक संघ ने तो अंगदान को अनिवार्य बनाने की मांग भी रखी थी, लेकिन बाद में उसे यह सोचकर त्याग दिया गया कि वह संविधान के अनुकूल नहीं है.

संसद में बड़ी पार्टियों का समर्थन

संसद में नया प्रत्यारोपण कानून बनाना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा क्योंकि सत्ताधारी सीडीयू और सीएसयू पार्टियों के अलावा मुख्य विपक्षी पार्टी एसपीडी भी लोगों को फैसला लेने के लिए राजी करवाने की पक्षधर है. यूनियन पार्टियों के संसदीय दल के नेता फोल्कर काउडर ने अंगदान वक्त्व्य का प्रस्ताव दिया है, लेकिन यह ऐच्छिक होगा. नागरिकों को जीवन में कम से कम एक बार अंगदान के बारे में सोचने की स्थिति में लाया जाएगा.

अब तक यह प्रस्ताव था कि नागरिकों के साथ इस संबंध में उन्हें परिचयपत्र देते समय या ड्राइविंग लाइसेंस देते समय बात की जाए. चिकित्सकों के संघ ने भी इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ कार्ड देते समय बीमाधारकों के साथ अंगदान के मुद्दे पर बात करने की सलाह दी थी. बाद में अंगदान संबंधी सूचना इसी कार्ड में शामिल की जा सकती है.

जर्मन अंग प्रत्यारोपण फाउंडेशन के अनुसार इस समय हर दिन औसत 11 मरीजों को अंग प्रत्यारोपित किया जाता है, लेकिन साथ ही हर दिन तीन ऐसे लोगों की मौत हो जाती है जो दान में किडनी या हृदय जैसा अंग मिलने का इंतजार कर रहे हैं. इस समय 12000 लोग अंग पाने की सूची में हैं.

2010 में 1296 लोगों ने मृत्यु के बाद अपने अंग दान किए. यह संख्या 2009 के मुकाबले 79 ज्यादा थी. पिछले साल प्रति करोड़ 159 लोगों ने अंगदान किया. 2010 में 4205 अंगों का दान हुआ और देश के 50 प्रत्यारोपण केंद्रों में 4326 अंग प्रत्यारोपण किए गए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: वी कुमार

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