जर्मनी की सबसे यादगार गाड़ियां
जर्मन ऑटोनिर्माताओं ने दुनिया को हमेशा अपनी अद्भुत डिजाइनों और मॉडलों से हैरान किया है. कारप्रेमियों की पसंद का ख्याल रखते हुये जर्मन कंपनियों ने एक से एक गाड़ियां उतारीं. डालते हैं एक नजर ऐेसी ही गाड़ियों पर.
VW बीटल (1938)
इस पुराने मॉडल पर लोगों का भरोसा हमेशा बना रहा. वीडब्ल्यू बीटल दुनिया की सबसे मशहूर कारों में से एक हैं. साल 1938 से लेकर 2003 तक, कभी इसकी मूल डिजाइन में बदलाव नहीं लाया गया.
VW टी1(1950)
जर्मनी में 'बुली' नाम से मशहूर रंगबिरंगी वीडब्ल्यू कैंपरवैन को हिप्पी मूवमेंट का प्रतीक माना जाता है. फोक्सवागन ने अब तक ऐसी करीब 1 करोड़ वीडब्ल्यू बसें बेची हैं, इनमें से 18 लाख तो केवल टी1 मॉडल थे.
मेसरश्मिट केबिन स्कूटर (1953)
एयरक्रॉफ्ट बनाने वाली मेसरश्मिट का कारोबार दूसरे विश्वयुद्ध के बाद मंदा पड़ गया. तब कंपनी ने एक इंजीनियर के कॉर मॉडल पर काम करने के लिये हामी भर दी. लेकिन 1956 में फिर से कंपनी केवल एयरक्रॉफ्ट बनाने में लग गई.
मर्सिडीज 300 एसएल (1954)
गुलविंग नाम से मशहूर इस कार के पंख जैसे दरवाजे इसकी खासियत रहे. 300 एसएल सिल्वर ऐरो रेसिंग कार मर्सिडीज को वापस मोटरस्पोर्ट्स में लाई. बड़े रेसिंग इवेंट जीतने के बाद इस कार का आम सड़कों के लिए भी उत्पादन हुआ
BMW इसेटा (1955)
स्पीड के मामले में यह गाड़ी कुछ पीछे रही लेकिन साल 1955 से 1962 के दौरान यह बीएमडब्ल्यू के सफल मॉडलों में से एक थी. मोटरसाइकिल के इंजन वाली इस सस्ती और टिकाऊ गाड़ी को बबल कार के नाम से भी जाना जाता था.
गोग्गोमोबिल (1955)
माइक्रोकारों की सूची में शामिल हंस ग्लास की "गोग्गो" का नाम कंपनी मालिक के पोते पर था. दूसरी मिनी गाड़ियों की तरह गोग्गो में चार से अधिक लोग नहीं समाते. इसे मोटरसाइकिल के ड्राइविंग लाइसेंस वाले भी चला सकते थे.
पोर्शे 911 (1963)
911, ऑटोमोबाइल इतिहास में सबसे लंबे समय के चले आ रहे मॉडलों में से एक है. अपने हर नये रूप में इस ट्रेडमार्क पोर्शे मॉडल ने हेडलाइट्स जैसी अपनी खास विशेषताओं को बरकरार रखा है. इनसे ये कहीं भी पहचानी जा सकती हैं.
मर्सिडीज-बेंज 600 (1964)
60 और 70 के दशक में जर्मन सेडान गाड़ियों में टेलिफोन, फ्रीजर कम्पार्टमेंट आदि होते थे. सेलिब्रिटीज इसे काफी पसंद करते. हालांकि जर्मन सरकार को यह उनके बजट मुताबिक नहीं लगी, उन्होंने कई मौकों पर यह गाड़ियां किराये पर लीं.
ट्राबांट 601 (1964)
बर्लिन की दीवार के गिरने के बाद यह कार स्पॉटलाइट में आई. जैसे व्हीडब्ल्यू बीटल को पश्चिम के लोगों की पसंद माना जाता था वैसे ही ट्राबांट को पूर्वी जर्मनी की. कभी जर्मन सड़कों पर 33 हजार ट्राबांट गाड़ियां दौड़ा करती थीं.
ओपेल काडेट बे
जर्मनी के एक बैंड ने अपने गाने में इस कार को सबसे कूल कार कहा है. करीब 27 लाख ग्राहकों ने ओपेल पर भरोसा दिखाया है और इसे सफल मॉडल बनाया है. 70 के दशक में ओपेल के विज्ञापन में स्लोगन था "दास ऑटो".
वॉर्टबुर्ग 353 (1966)
इसका नाम आइसेनाख में स्थित महल के नाम पर पड़ा. इस गाड़ी को निर्यात के लिये तैयार किया जाता रहा. हंगरी और ग्रेट ब्रिटेन में सस्ती गाड़ियों की खूब मांग रही. पश्चिमी जर्मनी में गाड़ियों की मांग काफी कम थी.
एनएसयू रो 80 (1967)
एनएसयू के रो 80 मॉडल ने ट्विन रोटर वांकेल इंजन वाली पहली कार लाकर खलबली मचा दी और इसे 'कार ऑफ द ईयर' 1967 का खिताब भी मिला. हालांकि कुछ तकनीकी कमियों के चलते यह बहुत सफल साबित नहीं हुई.
मर्सिडीज बेंज/8 "स्ट्रोक एट" (1968)
130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार वाली कंजर्वेटिव डब्ल्यू 114/115 सीरीज सेडान, मर्सिडीज की सबसे तेज गाड़ियों में से एक रही. इस गाड़ी पर तकरीबन 19 लाख ग्राहकों ने भरोसा जताया.
ओपेल जीटी (1968)
अमेरिकी प्रतिद्वंदी को अपने विज्ञापनों के जरिये जबाव देने वाली ओपेल ने इस गाड़ी के लिये स्लोगन दिया "ओनली फ्लाइंग इज बेटर". कोको कोला की बोतल की तरह घुमावदार आकार वाली ये कार अपने खास लुक के लिये मशहूर हुई.
VW टाइप 181 (1969)
पहले पहल इन गाड़ियों को बस जर्मन सेना के लिये ही बनाया जाता था लेकिन इन गाड़ियों को आम युवाओं के बीच भी काफी पसंद किया गया. इसे अमेरिका में खूब पसंद किया गया और वहां इसे "द थिंग" पुकारा गया
ओपेल मान्टा (1970)
मिडिल क्लास स्पोर्टी व्हीकल के विचार के साथ बनाई गई यह गाड़ी जल्द ही युवाओं की पसंद बन गई. जर्मन फिल्म निर्माताओं ने तो इस गाड़ी के नाम पर फिल्में भी बनाईं.
VW गॉल्फ (1974)
साल 1974 में VW का पहला गोल्फ मॉडल बाजार में उतरा जो एक स्पोर्टी कार थी. इसकी क्षमता बहुत अच्छी थी जिसका फायदा 70 के दशक में सामने आये तेल संकट के दौरान मिला. इसकी अपार सफलता से कंपनी खुद हैरान रह गयी.
ऑडी क्वात्रों (1980)
इतावली शब्द क्वात्रो का अर्थ है चार. इस मॉडल को अच्छा रिस्पांस मिला हालांकि इसके चार साल बाद कंपनी ने हाई परफॉर्मेंस क्वात्रो स्पोर्ट बाजार में उतारी, जिसके महज 220 मॉडल ही उतारे गए. (मेलिंडा राइस, जिल्के व्युंश/एए)