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जर्मनी और ब्राजील के बीच फुटबॉल का फाइनल

ओंकार सिंह जनौटी१९ अगस्त २०१६

रियो ओलंपिक का फुटबॉल फाइनल एक बार दुनिया भर को अपनी आगोश में लेने को तैयार है. शनिवार को फाइनल में ब्राजील का सामना जर्मनी है. क्या ब्राजील जर्मनी से हिसाब चुकता कर पाएगा?

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तस्वीर: Getty Images

8 जुलाई 2014 की शाम, फुटबॉल वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में मेजबान ब्राजील का सामना जर्मनी से हुआ. इसके बाद जो हुआ वो किसी से छुपा नहीं है. जर्मनी ने ब्राजील को रुला दिया. पहले हाफ में 3-0 से पिछड़ चुकी ब्राजीलियाई टीम आखिरी सीटी बजने पर 7-1 से हार चुकी थी, वो फुटबॉल इतिहास में ब्राजील की सबसे शर्मनाक हार थी. ब्राजील के फुटबॉल जगत में उसके बाद तूफान आ गया. कोच, सपोर्टिंग स्टाफ और कुछ अधिकारियों की तड़ातड़ छुट्टी हुई.

अब दो साल बाद फिर फुटबॉल का रोमांच दोनों देशों को आमने सामने ले आया है. इस बार दांव पर ओलंपिक का गोल्ड मेडल है. 20 अगस्त को फाइनल में मेजबान का सामना जर्मनी से है. और इस बार ब्राजील 7-1 की शर्मनाक हार का बदला चुकाने को तैयार दिखता है. जर्मनी ने ओलंपिक में अपने दूसरी श्रेणी की टीम भेजी है. वहीं ब्राजील करीब करीब पूरी ताकत के साथ मैदान पर उतरा है. नेमार, गाब्रियल जेजस और गाब्रिय बारबोसा महंगी लीग फुटबॉल छोड़कर अपने देश को गोल्ड मेडल जिताने के लिए मैदान पर उतरे हैं.

FIFA WM 2014 Deutschland vs Brasilien 08.07.2014
8 जुलाई 2014 की एक तस्वीरतस्वीर: Reuters

सेमीफाइनल में होंडुरास को 6-0 से रौंदकर ब्राजील ने फाइनल में जगह बनाई. उस मैच के दौरान फैन्स नारे लगा रहे थे कि, "जर्मनी, तुम इंतजार करो, तुम्हार भी टाइम आने वाला है." वहीं बुधवार को जर्मनी ने नाइजीरिया को 2-0 से हराकर फाइनल का टिकट बुक किया.

फुटबॉल के पावरहाउस माने जाने वाले जर्मनी और ब्राजील ने अब तक ओलंपिक में गोल्ड मेडल नहीं जीता है. 1976 में पूर्वी जर्मनी ने गोल्ड मेडल जीता था, लेकिन एकीकरण के बाद जर्मनी यह कमाल नहीं कर सका है. दूसरी तरफ ब्राजील अपने घर में फाइनल जीतकर वर्ल्ड कप का गम भी हल्का करना चाहता है.

जर्मनी की टीम भले ही कागज पर उतनी ताकतवर न दिखे, लेकिन फुटबॉल के पंडितों और ब्राजील के फैंस को पता है कि जर्मन टीम आराम से रंग में भंग कर सकती है. जर्मनी एक स्टार वाली टीमों को लपेटना अच्छी तरह से जानता है. ऐसे में अगर ब्राजील सिर्फ नेमार के दम पर आगे बढ़ा तो उसे भारी मुश्किल होगी.

बिना बड़े खिलाड़ियों और नेशनल कोच के फाइनल जर्मनी ऐसे नहीं पहुंचा है. ओलंपिक में जाने से ठीक एक हफ्ता पहले टीम चुनी गई. ज्यादातर खिलाड़ी युवा और अंजाने चेहरे हैं. 2012 में जर्मनी के यूथ ट्रेनर बने होर्स्ट रुबेश रियो में टीम के मैनेजर हैं. रुबेश के मुताबिक कि ब्राजील की टीम बेहद मजबूत है. पर वह यह भी जानते हैं कि उनके लड़के रियो से सोना लेकर लौटना चाहते हैं. और लड़कियां भी, जर्मनी की महिला फुटबॉल टीम का सामना फाइनल में स्वीडन से है.

(देखिये: खेलों में अक्सर ऐसा रवैया देखा जाता है कि कुछ भी कर के जीत हासिल करनी है. कई बार ऐसे में लोग अपने प्रतिस्पर्धियों को नुकसान भी पहुंचाते हैं. लेकिन रियो ओलंपिक की दौड़ में इंसानियत की एक मिसाल देखने को मिली.)