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जर्मन सेना को धन और सहानुभूति की ज़रूरत

२७ मार्च २००९

जर्मन संसद के सेना आयुक्त राइनहोल्ड रॉब्बे ने जर्मन सेना पर अपनी रिपोर्ट में शिक़ायत की है कि सेना के पास धन की कमी तो है ही, आम लोगों की सहानुभूति और एकजुटता का भी अभाव है.

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तस्वीर: picture-alliance/ dpa/dpaweb

एसपीडी के पूर्व सांसद और बुंडेसटाग के सेना आयुक्त राइनहोल्ड रॉब्बे ने 2008 की रिपोर्ट पेश की है जिसमें उन्होंने एक बार फिर जर्मन सेना बुंडेसवेयर की कमियों की ओर ध्यान दिलाया है. बहुत से जर्मन सैनिक अपने नियोक्ता बुंडेसवेयर को अफ़सरशाही, भारी भरकम और कम बजट वाला मानते हैं और उन्होंने सेना आयुक्त रॉबे से इसकी शिक़ायत भी की है.

Bericht des Wehrbeauftragten Robbe
बुंडेसटाग अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपते रॉब्बेतस्वीर: picture-alliance/ dpa

हम अपनी जान जाने तक कोटे और नियमों का पालन कर रहे हैं. रॉबे ने एक अधिकारी के हवाले से कहा और जर्मन सेना की दुविधा बताने के लिए उसी अधिकारी का हवाला दिया कि हम महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी होना चाहते हैं, लेकिन बुनियादी चीज़ों का अभाव है.

सैनिकों का कहना है कि अमेरिकी या ब्रिटिश सेना के मुक़ाबले जर्मन सेना दक़ियानूसी और पुरातनपंथी है. एक अधिकारी ने रॉबे को बताया कि उसे अपनी टीम को चलाते रहने के लिए नियमों के ख़िलाफ़ काम करना पड़ रहा है. अत्यंत पुराने वायरलेस सेट, मरम्मत के लिए धन का अभाव, अधिकारियों द्वारा ठुकरा दिये जाते बेहतरी के प्रस्ताव पर्दे के पीछे झांके तो खामियां ही खामियां. रॉबे पूरी तरह आश्वस्त हैं कि एक आधुनिक और लचीली सेना ऐसी नहीं दिखती.

सैनिकों का मन यह सुन सुन कर भर गया है कि कुछ चीज़ें काम क्यों नहीं कर रहीं, कहना है जर्मन संसद के सेना प्रभारी राइनहोल्ड रॉबे का. इस स्थिति को देखते हुए उनका सवाल है कि क्या जर्मन सेना अभी भी युवा लोगों के लिए आकर्षक नियोक्ता है. कुछ क्षेत्रों में तो बिल्कुल नहीं. स्वास्थ्य सेवा की हालत इतनी ख़राब है कि वहां 400 अधिकारियों की कमी है. रॉबे कहते हैं कि सेना के चिकित्सालयों में 100 डॉक्टरों ने बिना कारण ही नौकरी नहीं छोड़ी है.

50 Jahre Bundeswehrkrankenhaus Hamburg
डॉक्टर छोड़ रहे हैं जर्मन सेनातस्वीर: picture-alliance/ dpa

बढ़ती नौकरशाही और विदेशों में तैनाती के कारण बढ़ता दबाव अकसर नौकरी छोड़ने का कारण होता है. राइनहोल्ड रॉबे ने सेना के लिए अधिक बजट की मांग की है, लेकिन साथ ही कहा है कि वे उन लोगों के लिए अधिक एकजुटता और सहानुभूति की उम्मीद करते हैं जो देश की कठिन सेवा कर रहे हैं.

सेना आयुक्त की शिक़ायत है कि दूसरे देशों के विपरीत जर्मन सेना के आंतरिक जीवन में लेखकों, फ़िल्मकारों और अन्य कलाकारों को शायद ही कोई दिलचस्पी होती है. व्यापक जनमत का भी बुंडेसवेयर पर तब ध्यान जाता है, जब तैनाती के दौरान किसी सैनिक की मौत हो जाती है.

रिपोर्ट: नीना वैर्कहौएज़र/महेश झा

संपादन: राम यादव