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जर्मन आम चुनावों पर दुनिया भर की निगाहें

इनेस पोल
१२ जून २०१७

जर्मनी में इस साल सितंबर में आम चुनाव होने हैं, जिन पर पूरी दुनिया टकटकी लगाये है. जर्मनी के आम चुनाव क्यों अहम हैं और डीडब्ल्यू कैसे इनकी कवरेज करेगा, बता रही हैं डॉयचे वेले की मुख्य संपादक इनेस पोल.

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Deutschland Reichstag
तस्वीर: picture-alliance/R. Goldmann

सबकी नजरें जर्मनी पर टिकी हैं. जर्मनी पर पहले से कहीं ज्यादा तवज्जो है. ज्यादातर लोग तारीफ और सराहना ही करते हैं. कुछ हैरान भी होते हैं, एक तरह से ईर्ष्या भी करते हैं कि जर्मनी इतनी सारी चुनौतियों और समस्याओं के बावजूद कैसे स्थिरता बनाए रख पाने में सक्षम है. कुछ लोग यूरोप में जर्मनी की बढ़ती हुई ताकत को लेकर आशंकित भी हैं.

जर्मनी और उसकी चांसलर अंगेला मैर्केल को "यूरोप की आखिरी उम्मीद" के तौर पर देखा जा रहा है. साथ ही, यूरोप पर खुद के नियम थोपने के आरोप भी उन पर लगते हैं, ताकि बड़े निर्यातक और आर्थिक ताकत के तौर पर जर्मनी का फायदा हो.

दया या फिर दरकते प्रभाव का नतीजा?

इस सवाल का जबाव इस बात पर निर्भर करता है कि मैं दुनिया में कहा हूं. मुझे ऐसे लोग भी मिलते हैं जो दस लाख शरणार्थियों को अपने यहां जगह देने के जर्मनी के फैसले को दयालुता भरा कदम मानते हैं, दूसरी तरफ ऐसे लोगों से भी वास्ता पड़ता है जो इसे "ईसाई यूरोप का अंत" बताते हुए इस कदम की निंदा करते हैं.

विचारों की इसी भिन्नता के साथ हम डॉयचे वेले में जर्मनी के आने वाले चुनावों को देखते हैं. जर्मनी में नयी संसद चुनने के लिए 24 सितंबर को वोट डाले जायेंगे. जर्मनी के अंतरराष्ट्रीय प्रसारक के तौर पर, हम उस पर और ज्यादा ध्यान केंद्रित करना चाहते हैं जो कुछ जर्मनी में हो रहा है. वे कौन सी बातें है जिनके चलते जर्मनी अपनी मौजूदा परिस्थितियों से मोटे तौर पर संतुष्ट है. वे कौन सी बातें हैं जिनके कारण कुछ लोग भविष्य को लेकर आशंकित हैं और वे महसूस करते हैं कि जिस देश में वे अपने बच्चों की परवरिश कर रहे हैं, वह अब वैसा नहीं रहा, जैसा वे सोचते थे. क्या जर्मनी वाकई आप्रवासियों का देश बनने के लिए तैयार है. या फिर क्या धुर दक्षिणपंथियों को मिलने वाली चुनावी सफलता इस बात का सबूत है कि देश ऐसी दिशा में आगे बढ़ रहा है जिसे लेकर बहुत से मतदाता सहज नहीं हैं.

Ines Pohl
डॉयचे वेले की मुख्य संपादक इनेस पोलतस्वीर: DW/P. Böll

इसके अलावा, हम आपको यह भी बताएंगे कि जर्मनी की आर्थिक सफलता के कारण क्या हैं, जर्मनी का एजुकेशन सिस्टम कैसे काम करता है और कौन सी बातें इसे अलग बनाती हैं. हम जर्मनी का नेतृत्व करने वाली शख्सियतों से आपको रूबरू करायेंगे. इनमें अंगेला मैर्केल खास तौर से शामिल हैं जो न सिर्फ एक लोकप्रिय नेता हैं बल्कि दुनिया की सबसे जानी-मानी शख्सियतों में गिनी जाती हैं. वह चौथी बार चांसलर पद की उम्मीदवार के तौर पर चुनावी मैदान में हैं. यह भी जानिए कि जर्मन राजनेताओं से क्या उम्मीदें हैं और विदेश नीति किस तरफ जायेगी?

सवाल और भी हैं: गठबंधन कितने महत्वपूर्ण हैं, खास कर नाटो गठबंधन? कौन विकास का समर्थन करता है और कौन सैन्य खर्च का? जर्मनी यूरोपीय संघ में अपनी भूमिका को कैसे देखता है?

हमसे बात करिए: जर्मनी क्या है?

हम जो कुछ भी करते हैं, उसके जरिए हम नजदीकी तौर पर आपसे जुड़ना चाहते हैं, अपने पाठकों, दर्शकों और श्रोताओं से. #askDW के साथ हमारे संवाददाता सवाल पूछेंगे और हमें आपके जवाबों का इंतजार रहेगा. हम जानना चाहते हैं कि आप किन विषयों के बारे में जानना और समझना चाहते हैं, हम उन विषयों को आप तक कैसे लेकर आयें और साथ ही आप अपनी राय भी हमारे साथ साझा करें.

जैसे जैसे जर्मनी चुनाव प्रचार की तरफ बढ़ रहा है, तो हम ऐसा मंच बनना चाहते हैं जहां दुनिया के साथ उन 30 भाषाओं में लगातार संवाद होता रहे, जो DW बोलता है. सुरक्षा, नाटो और यूरोपीय संघ से जुड़े मुद्दों पर इसकी क्या भूमिका होगी? एक चुनी हुई सरकार से आपकी क्या आशाएं हैं? आपकी क्या आशंकाएं हैं? वे कौन सी साझा जर्मन ताकत और कमजोरियां हैं जो आप देखते हैं?

ट्विटर, फेसबुक, टीवी और हमारी वेबासइट पर आपको हैशटैग #GermanyDecides मिलेगा. हम संवाद में आपका सक्रिय योगदान चाहते हैं. दुनिया भर में फैले हमारे रिपोर्टर और बर्लिन और बॉन में मौजूद संपादकीय टीमें अब से लेकर 24 सितंबर तक आपको बतायेंगी कि जर्मनी में क्या हो रहा है, किन मुद्दों पर वोट पड़ेंगे.