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जर्मन आम चुनाव में पेंशनरों का मुद्दा

सबरीना पाब्स्ट
१८ अगस्त २०१७

जर्मनी की 8.2 करोड़ आबादी में करीब 2.1 करोड़ बुजुर्ग हैं. उनमें से 16 फीसदी गरीबी के खतरे में हैं और तादाद लगातार बढ़ रही है. संसदीय चुनावों में बुढ़ापे की गरीबी अहम मुद्दा है और विभिन्न पार्टियां अलग अलग नारे दे रही है.

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Symbolbild Alter & Rente Frau mit Rollator
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Steinberg

59 साल की हेल्गा कहती हैं, "मैं भविष्य के लिए बहुत चिंतित हूं." वह एक वृद्धाश्रम में नर्स है और अपने काम से खुश रही हैं, "आप इसके लिए या तो पैदा होती हैं या नहीं." लेकिन पिछले पांच सालों से वह पीठ के दर्द से परेशान रही है. 2016 में तय हो गया कि वह यह काम और नहीं कर पायेगी. पेंशन पाने में अभी चार साल बाकी हैं. चार साल काम नहीं करने और बीमा फीस न चुकाने का मतलब होगा पेंशन में भारी कमी.

हर पांचवां पेंशनर खतरे में

अभी तक वृद्धावस्था में गरीबी जर्मनी में कोई समस्या नहीं थी. 65 साल से ज्यादा उम्र के करीब 2.1 करोड़ पेंशनरों में से 2 प्रतिशत सरकारी मदद ले रहे हैं. बैरटल्समन फाउंडेशन के एक नये स्टडी के अनुसार इनकी संख्या बढ़ने की आशंका है. 2030 के बाद पेंशन में जाने वालों में हर पांचवां गरीबी के खतरे में होगा. इसके साथ 67 वर्षीय पेंशनरों में गरीबी का जोखिम 20 प्रतिशत हो जायेगा.

पेंशनरों को जर्मनी में तब गरीबी के खतरे में समझा जाता है जब उनकी मासिक आय 958 यूरो से कम होती है. कम पेंशन पाने का खतरा खासकर तब बहुत गंभीर होता है जब लोग काम की उम्र के दौरान बीमारी की वजह से नौकरी नहीं कर पाते या पूरे समय नहीं कर पाते या वे जो सेल्फ एमप्लयाड होते हैं या अनियमित रूप से कमाते हैं. फुल टाइम काम न करने वाले, कम तनख्वाह वाले या लंबे समय तक बेरोजगार रहने वाले लोगों को भी पर्याप्त पेंशन नहीं मिलता.

रिस्टर बीमा

समस्या से निबटने के लिए गेरहार्ड श्रोएडर की सरकार ने रिस्टर पेंशन योजना चालू की थी. इस साल अंगेला मैर्केल की सरकार ने दफ्तर के और निजी पेंशन को बेहतर बनाने के लिए एक कानून पास किया है. इसके तहत बुढ़ापे के लिए बचत करने वाले लोगों को वार्षिक 175 यूरो की मदद सरकार देगी. इसके अलावा ऐसे लोगों से जिन्हें बेसिक सरकारी पेंशन मिल रही है, महीने में 200 यूरो की रिस्टर या दफ्तरी पेंशन पर कोई कटौती नहीं होगी. अब तक कम आय वाले लोगों के लिए बुढ़ापे के लिए धन बचाना फायदे का सौदा नहीं था.

Infografik Risiko Altersarmut - ein Vergleich Englisch

तीन लोगों के लिए 1400

हेल्गा की कमाई इतनी नहीं थी कि वह निजी तौर पर बचत करती. दो बच्चों के साथ 1400 यूरो महीने की तनख्वाह में हर सेंट का हिसाब रखना पड़ता था. "आखिर मैं उसमें से कैसे बचत करती." बेटियों के घर से जाने के बाद वे छोटे घर में शिफ्ट हो गयीं. अब वे कोलोन में 50 वर्गमीटर मकान के लिए 530 यूरो किराये देती है. उस पर से दूसरे खर्च.

जर्मन वृद्धावस्था शोध केंद्र की लाउरा रोमेउ को इस विकास पर कोई हैरानी नहीं है. खासकर कम वेतन वाले और अकेले बच्चे पालने वालों को जीने के लिए हर यूरो की जरूरत होती है. उनके लिए सीडीयू और एसपीडी की गठबंधन सरकार ने 850 यूरो के न्यूनतम पेंशन की योजना बनाई है. ये जिंदगी में काम करने वाले लोगों के लिए बेसिक सामाजिक सुरक्षा भत्ता के ऊपर होगा. सीडीयू इसके लिए 40 साल तक पेंशन बीमा में योगदान देने और निजी बचत की शर्त रख रही है. अब तक मासिक आय 823 यूरो से कम होने पर बेसिक सुरक्षा भत्ता के लिए आवेदन दिया जा सकता है.  

पेंशन का स्तर

एसपीडी इसे एकजुटता पेंशन का नाम दे रही है जो बेसिक सुरक्षा भत्ता से 10 प्रतिशत ज्यादा होगी. इसके लिए कम से कम 35 साल तक पेंशन बीमा में योगदान देना होगा. इसके अलावा बीमारी के कारण काम न करने वालों के लिए एसपीडी बीमारी पेंशन को बेहतर बनाना चाहती है. इसके अलावा एसपीडी पेंशन बीमा में कर्मचारियों के योगदान को वेतन के 22 प्रतिशत पर स्थिर रखना चाहती है तथा पेंशन की राशि को भी औसत 48 प्रतिशत से नीचे गिरने को रोकना चाहती है. इसके अलावा एसपीडी और सीडीयू दफ्तर से मिलने वाले पेंशन को भी बेहतर बनाना चाहती है.

Symbolbild Armut unter Rentnern Altersarmut
तस्वीर: picture-alliance/dpa

रोमेउ गोर्दे इसमें एक बड़ी समस्या देखती हैं. "दप्तर का पेंशन सबकी मदद नहीं करता क्योंकि वह खास लोगों के लिए है और कम आय वालों को सुरक्षा नहीं देता." जर्मन सरकार के एक स्टडी के अनुसार दफ्तर वाले पेंशन सिस्टम में ज्यादातर लोग सार्वजनिक सेवाओं से आते हैं. खासकर गैर सरकारी संस्थानों में काम करने वालों में बहुत कम लोगों के पास दफ्तर वाला पेंशन बीमा है.

विपक्ष की मांग

सरकारी पार्टियों के विपरीत विपक्ष बुढ़ापे की गरीबी से निबटने के लिए सरकारी बजट का इस्तेमाल करना चाहता है. ग्रीन पार्टी 67 साल की उम्र से पूरे पेंशन की मांग कर रही है. वह हर किसी के लिए 850 यूरो के गारंटी पेंशन की समर्थक है जिसका भुगतान सरकारी बजट से हो. पेंशन की राशि तय किये जाने में वह बच्चों की परवरिश में लगाये गये सालों को भी जोड़ना चाहती है जिसका फायदा महिलाओं को मिलेगा जो बच्चों के पालन पोषण के कारण काम नहीं कर पातीं और पेंशन में कमी के रूप में उसका खामियाजा चुकाती हैं.

वामपंथी डी लिंके पेंशन के मामले में बहुत आक्रामक है. वह सरकारी, दफ्तर और निजी पेंशन के तीन पायों वाले जर्मन पेंशन सिस्टम की जगह पर सिर्फ सार्वजनिक पेंशन सिस्टम की हिमायती है. इसके लिए वह मासिक कमाई करने वाले हर व्यक्ति के लिए पेंशन बीमा में देनदारी को अनिवार्य करना चाहती है. इस समय सेल्फ एम्प्लयॉड लोगों और सरकारी कर्मचारियों को पेंशन बीमा में कोई योगदान नहीं देना पड़ता है. बुढ़ापे में गरीबी से निबटने के लिए डी लिंके हर किसी के लिए 1050 यूरो मासिक का न्यूनतन पेंशन लाना चाहती है. लिबरल फ्री डेमोक्रैटिक पार्टी चाहती है हर कोई 60 की उम्र के बाद पेंशन ले सके, शर्त ये है कि पेंशन बेसिक सुरक्षा भत्ता से कम न हो.

सबरीना पाब्स्ट