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जबरन शादी मानवाधिकारों का हनन

१९ अप्रैल २०१२

जर्मन इस्लाम कांफ्रेंस ने मुस्लिम परिवारों में बच्चों की जबरन शादी और घरेलू हिंसा की आलोचना की है और उन्हें मौलिक मानवाधिकारों का हनन बताया है. बर्लिन में गुरुवार को सातवां इस्लाम सम्मेलन हुआ.

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तस्वीर: dapd

इस्लाम कांफ्रेंस की शुरुआत 2006 में तत्कालीन गृह मंत्री वोल्फगांग शौएब्ले की पहल पर हुई थी. इसका लक्ष्य राजनीतिक अधिकारियों और मुसलमानों के सामाजिक प्रतिनिधियों को एक मंच पर बिठाकर समाज में मुस्लिम आप्रवासियों के घुलने मिलने की समस्याओं का हल निकालना था. सम्मेलन ने आने वाले महीनों में कट्टरपंथी हिंसा की रोकथाम को अपने काम की प्राथमिकता बनाया है.

कट्टरपंथी हिंसा की रोकथाम में सिर्फ मुसलमानों के बीच कट्टरपंथ और यहूदी विरोध की भावना ही मुद्दा नहीं है बल्कि जर्मन समाज के एक हिस्से में इस्लाम विरोधी भावना भी. जर्मन गृह मंत्री हंस-पेटर फ्रीडरिष ने उग्र दक्षिणपंथ की निंदा की.नवनाजियों द्वारा पिछले सालों में एक पुलिसकर्मी सहित दस लोगों की हत्या के बाद मुसलमानों के अंदर डर बैठ गया है. फ्रीडरिष ने कहा कि हर व्यक्ति को यह बात साफ होनी चाहिए, "हमारे देश में हर आदमी सुरक्षा और आजादी में जी सकता है."

Salafistische Prediger
सलाफी मुल्लातस्वीर: picture-alliance/dpa

अक्षुण्णता का अधिकार

सम्मेलन के बाद जारी एक बयान में कहा गया है कि हर किसी को "शारीरिक और मानसिक अक्षुण्णता के अधिकार के अलावा अपना फैसला लेने वैध कानूनों के अनुसार शादी करने या न करने का अधिकार" है. सम्मेलन के भागीदारों ने इस पर अफसोस व्यक्त किया है कि अभी भी इन मानवाधिकारों को अक्सर नकारा जा रहा है.

सम्मेलन के बाद बर्लिन में पत्रकारों को संबोधित करते हुए गृह मंत्री हंस-पेटर फ्रीडरिष ने कहा कि माता-पिता द्वारा बेटियों की जबरन शादी और परिवार में महिलाओं के साथ मारपीट पितृ सत्तात्मक संरचनाओं की देन है जो लोग अपने अपने देशों से लेकर आते हैं, उनका धर्म से लेना देना नहीं है. एशिया और अफ्रीका के देशों में बच्चों की शादी माता-पिता द्वारा तय करने की परंपरा है और इन देशों से आने वाले आप्रवासियों परंपरा को बनाए रखने के नाम पर अक्सर अपने बच्चों की शादी उनके विरोध के बावजूद अपने देशों में कर देते हैं.

पिछले समय में शादी से मना करने या स्वयं अपनी पसंद का साथी चुनने के मामलों में परिवार की इज्जत बचाने के नाम पर अपने ही रिश्तेदारों या भाईयों द्वारा लड़कियों की बर्बर हत्या के मामले सामने आए हैं. बहुत से मामले में जान बचाने के लिए लड़कियों को घर से भागना पड़ता है और दूसरी पहचान लेकर डर के साये में जीना पड़ता है. जर्मनी में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और जबरी शादी करवाने के लिए सजा का प्रावधान कर दिया गया है.

Islamkonferenz 2012 Hans-Peter Friedrich
गृह मंत्री फ्रीडरिषतस्वीर: dapd

इस्लाम सम्मेलन ने इस समस्या पर चर्चा की है और बयान में कहा है कि इस्लाम एक खुला और सहिष्णु धर्म है जो शारीरिक और मानसिक हिंसा तथा मर्जी के बगैर शादी के खिलाफ है और लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को बढ़ावा देता है.

कुरान बांटने पर विवाद

इस्लाम सम्मेलन में इस्लाम के कट्टरपंथी सलाफी संप्रदाय के लोगों द्वारा धार्मिक ग्रंथ कुरान बांटने के अभियान पर भी चर्चा हुई. गृह मंत्री फ्रीडरिष ने यह मुद्दा उठाते हुए सम्मेलन के आरंभ में ही कहा, "हम सब सहमत हैं कि सलाफी कट्टरपंथ को स्वीकार नहीं किया जा सकता, और वह जर्मनी जैसे खुले समाज में मेल नहीं खाता." उन्होंने कहा कि इस्लाम कांफ्रेंस का संदेश है कि कट्टरपंथी सलाफियों को जर्मनी के मुसलमानों के बीच बहुमत नहीं है.

पिछले सप्ताहों में सलाफी समुदाय ने जर्मनी में लाखों की संख्या में पवित्र कुरान बांटा है. उनका लक्ष्य युवा मुसलमानों के अलावा दूसरे धर्म के लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करना है. हालांकि जर्मनी में सलाफियों की संख्या सिर्फ 4000 मानी जाती है, लेकिन इस अभियान के चलते सुरक्षा अधिकारियों की भी चिंता बढ़ गई है. उन्हें हिंसा भड़कने की चिंता है. फ्रीडरिष ने कहा है कि यह मुद्दा अभी भी बड़ी चिंता का मुद्दा है.

Islamkonferenz 2010 Kenan Kolat
केनान कोलाततस्वीर: picture-alliance/dpa

लोअर सेक्सनी के गृहमंत्री ऊवे शुइनेमन ने सलाफियों पर खुफिया सेवा की नजर रखने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि वे शरिया पर आधारित देश बनाना चाहते हैं और ईसाईयों, यहूदियों और संविधान समर्थक मुसलमानों के खिलाफ हैं. जर्मनी में तुर्की समुदाय के अध्यक्ष केनान कोलात का कहना है कि सलाफियों के पास नस्लवादियों की तरह सवालों के आसान जवाब हैं. उनसे सामाजिक तौर पर लड़ा जाना चाहिए.

विपक्ष ने इस्लाम कांफ्रेंस की आलोचना की है. विपक्षी एसपीडी की उपाध्यक्ष आयदान ओएजोगुज ने कहा है कि जर्मन गृह मंत्री छोटे सर्किल में भी विफल रहे हैं. हर साल भागीदार कम हो रहे हैं क्योंकि उन्हें नहीं लगता कि गृह मंत्री उनके साथ गंभीरता से बातचीत करना चाहते हैं. वामपंथी सांसद सेविम दागदेलेन का कहना है कि यदि संवाद न हो तो इस्लाम सम्मेलन व्यर्थ है. ग्रीन सांसद फोल्कर बेक ने सम्मेलन की नई शुरुआत की मांग की है.

रिपोर्ट: महेश झा (डीपीए, एएफपी)

संपादन: आभा मोंढे