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"जब मौत टल सकती है तो जन्म क्यों नहीं"

अपूर्वा अग्रवाल
२१ दिसम्बर २०१७

ईशा फांउडेशन के संस्थापक और भारत के 50 सबसे अधिक प्रभावी लोगों में शामिल सदगुरू जग्गी वासुदेव का मानना है कि धरती को बचाने के लिए जरूरी है बढ़ती जनसंख्या को काबू करना.

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Deutschland Sadhguru auf dem Global Landscapes Forum in Bonn
तस्वीर: DW/I. Banos

सदगुरू के नाम से मशहूर जग्गी वासुदेव जर्मनी के बॉन शहर में ग्लोबल लैंडस्केप फोरम में नदियों को लेकर भारत में अपने कामों के बारे में विस्तार से बता रहे थे. इस दौरान सदगुरू ने कहा, "योग मेरे लिए कोई शारीरिक मुद्रा नहीं है बल्कि योग मेरे लिए ब्रहामंड के साथ जुड़ाव है, मेरे अनुभव के साथ जुड़ाव है." उन्होंने कहा कि हमारे ग्रह की आबादी लगातार बढ़ी रही है जो वाकई संसाधनों पर बोझ डाल रही है. ऐसे में अगर हम वाकई अपनी धरती को बचाना चाहते हैं तो हमें बढ़ती आबादी को रोकना होगा. उन्होंने कहा, "जब व्यक्ति ने मौत को स्थगित कर दिया तो क्यों नहीं जन्म को किया जा सकता."

डीडब्ल्यू से बातचीत में सदगुरू ने कहा कि अगर हम काम करने के मौजूदा ढांचे पर आगे बढ़ते हैं तो अगले 15 सालों में भारत की तकरीबन 60 फीसदी सदानीरा नदियां, मौसमी नदियों में तब्दील हो जाएगी. सदगुरू कहते हैं, "हमारी इतनी क्षमता है कि हम इन नदियों को बहते रहने दे सकते हैं. इन नदियों का प्रवाह बना रहे उसके लिए पर्याप्त वनस्पति होना चाहिए क्योंकि यही एकमात्र तरीका है जिससे आप ऐसा कर सकते हैं." सदगुरू कहते हैं, "अब ऐसा माना जाने लगा है कि वह नदियों पर बांध तैयार कर उनके बहाव को धीमा कर सकते हैं, जिससे लोगों को त्वरित लाभ मिल सकता है लेकिन यह टिकाऊ नहीं है. ऐसे में अगर मौजूदा तरीके पर चलते रहे तो हमें मानकर चलना चाहिए की हम 1.3 अरब लोगों की जिंदगियों के जीवन को जोखिम में डाल रहे हैं."

सदगुरू ने बताया कि तकरीबन 22 साल पहले उन्होंने तमिलनाडु में जल और मिट्टी को बचाने के लिए प्रोजेक्ट ग्रीनहैंड्स शुरू किया था. इस कार्यक्रम के तहत तकरीबन 3.2 करोड़ पेड़ भी लगाए गए लेकिन जल्द ही उन्हें समझ आ गया कि एक व्यक्ति, व्यक्तिगत स्तर पर और सामूहिक स्तर पर कितना कर सकता है. सदगुरू मानते हैं, "ऐसे कदम टिकाऊ समाधान साबित नहीं हो सकते, टिकाऊ समाधानों के लिए हमें एक नीति की आवश्यकता है जो बताये कि हम अपने पर्यावरणीय स्तर को अगले 50 साल में, और इसके बाद अगले 100 सालों में कैसा चाहते हैं."

कार्यक्रम में शामिल जर्मनी की पर्यावरण मंत्री बारबरा हेंड्रिक्स ने कार्यक्रम के पहले दिन सभी मेहमानों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि दुनिया जिन पर्यावरण चुनौतियों से जूझ रही है वह अपने आप में बहुत बड़ी है. ऐसे में दुनिया की तमाम संस्थाओं के पास जैवविविधता के क्षेत्र में साथ काम करने का मौका है. इस दिशा में ग्लोबल लैंडस्केप फोरम (जीएलएफ) एक ऐसा कार्यकारी मंच है जो स्थानीय स्तर पर आजमाए जा रहे इनोवेटिव आईडियाज को साथ जोड़ने का काम करता है.