जब चलने लगें विशाल ढांचे
क्या आप जानते है कि पुलों, इमारतों या दीवारों जैसे बड़े ढांचों को कैसे नई जगह पहुंचाया जाता है?
मल्टीलिफ्ट 1
जर्मन राज्य सैक्सोन आनहाल्ट में 1,700 टन भारी और 30 मीटर लंबे रेलवे फुटब्रिज को तीन मीटर खिसकाना था. फ्लुइड मल्टीलिफ्ट तकनीक इस काम को अंजाम दिया गया. पुल को सरकाने में कई कंस्ट्रक्शन कंपनियों ने मिलकर काम किया.
मल्टीलिफ्ट 2
फ्लूइड मल्टीलिफ्ट के तहत पुल के नीचे के ट्रैक को धीरे धीरे सरकाया गया. ट्रैक को उठाने और चलाने में लिक्विड नाइट्रोजन की मदद ली गई ताकि घर्षण कम से कम हो.
मल्टीलिफ्ट 3
इतने विशाल ढांचे को दूसरी जगह पहुंचाने में एक दर्जन टैंकरों से लाई गई लिक्विड नाइट्रोजन इस्तेमाल की गई. इस दौरान सुरक्षा के लिए रेल ट्रैफिक को रोक दिया गया.
थियेटर भी सरका
माइनिंगेन थियेटर की ऐतिहासिक दीवार को सरकाने में भी फ्लुइड तकनीक का इस्तेमाल किया गया. इंजीनियरों ने बेहद बारीकी से दीवार को इमारत से अलग कर दिया. बाद में थियेटर को हॉल को बड़ा किया और दीवार को फिर से जोड़ दिया गया.
बावेरियन स्टेशन लाइपजिग
लाइपजिग शहर के रेलवे स्टेशन में सुरंग बनाने की जरूरत महसूस हुई. सुरंग बनाने के लिए 20 मीटर ऊंचे, 30 मीटर चौड़े और 2,800 टन भारी पोर्च को हटाना था. 10 अप्रैल 2006 को यह सफलता से किया गया.
ऐसे सरका गेट
पोर्च की नींव को कंक्रीट और स्टील से साधा गया. फिर नीचे से उसे सरकाया गया. 2009 में जब सुरंग बनकर तैयार हुई तो पोर्च को फिर से पुरानी जगह सरका दिया गया.
अबु सिम्बेल टेंपल
मूविंग टेक्निक का जबदरस्त नमूना अबु सिम्बेल की दो इमारतों में दिखा. 3000 साल पुराने इस मंदिर को नील नदी बने बांध से खतरा था, लिहाजा मंदिर को दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया.
कैप हैटेरेस लाइट
1999 में अमेरिका के उत्तरी कैरोलाइना में एक लाइटहाउस को हटाना पड़ा. 1870 में बने लाइटहाउस को भूक्षरण से खतरा था. व्हील सिस्टम की मदद से इस ऊंचे ढांचे को सही सलामत 900 मीटर दूर ले जाया गया.