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जंग की बरसी पर अर्जेंटीना और ब्रिटेन का वाकयुद्ध

२ अप्रैल २०१२

विश्वयुद्ध खत्म हो गया, यूएन बन गया, अंतरराष्ट्रीय अदालतें खड़ी हो गईं, लेकिन दशकों पुराने विवाद अब भी जस के तस हैं. ऐसा ही एक विवाद अर्जेंटीना और ब्रिटेन का है. फॉकलैंड द्वीपों को लेकर दोनों कई दशकों से झगड़ रहे हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

अर्जेंटीना की राष्ट्रपति क्रिस्टीना फर्नांडीज ने एक बार फिर ब्रिटेन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी है. अर्जेंटीना चाहता है कि ब्रिटेन फॉकलैंड द्वीप वापस लौटाए. 30 साल पहले अर्जेंटीना ने द्वीप को वापस लेने की पुरजोर कोशिश की, जो नाकाम रही. सोमवार को उस कोशिश की 30वीं बरसी के मौके पर अर्जेंटीना की राष्ट्रपति ने फिर से द्वीप वापस लेने का आह्वान किया.

राष्ट्र प्रमुखों का वाक युद्ध

फर्नांडीज देशभक्ति की भावना उभारने के लिए सैकड़ों रैलियां करने जा रही है. फर्नांडीज का कहना है कि ब्रिटेन को लातिन अमेरिका के द्वीपों का संप्रुभता का सम्मान करना चाहिए. लातिन अमेरिकी द्वीपों को लास माल्विनास कहा जाता है.

वामपंथियों ने अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में ब्रिटेन के दूतावास के सामने मार्च करने का एलान किया है. नोबेल पुरस्कार विजेता भी ब्रिटेन पर द्वीप के सैन्यीकरण का आरोप लगा रहे हैं. अर्जेंटीना की सरकार के नेता ब्रिटेन के कार्गो और क्रूज जहाजों का बहिष्कार कर रहे हैं.

अर्जेंटीना के कैबिनेट मंत्री कंपनियों से कह चुके हैं कि वह ब्रिटिश कंपनियों के साथ कारोबार न करें. ब्रिटेन से हो रहे आयात का विकल्प भी ढूंढा जा रहा है. ब्रिटेन के निवेशकों को अदालती मुकदमों की चेतावनी भी दी गई है. लातिन अमेरिका के दूसरे देश भी इस मुद्दे पर अर्जेंटीना के साथ हैं.

Der argentinische Kreuzer ARA General Belgrano liegt mit schwerer Schlagseite im Atlantischen Ozean, Falklandkrieg
1982 में ब्रिटिश पनडुब्बी के हमले के बाद डूबता अर्जेंटीना का युद्धपोततस्वीर: cc

वहीं ब्रिटेन ने अर्जेंटीना को फिर सख्त लहजे में जवाब दिया है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने सोमवार को कहा, "तीस साल पहले आज ही के दिन फॉकलैंड द्वीपों के लोगों ने गुस्सैल हरकत का सामना किया. यह हरकत उनसे आजादी और जीने का तरीका छीनने के लिए की गई थी." ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने साफ किया कि फॉकलैंड ब्रिटेन का हिस्सा बना रहेगा.

क्या है विवाद

अर्जेंटीना का आरोप है कि ब्रिटेन की फौजों ने 1833 में फॉकलैंड द्वीपों पर कब्जा किया. फॉकलैंड को 150 साल तक ब्रिटेन ने अपना उपनिवेश बनाए रखा. ब्रिटेन कहता है कि इस मुद्दे पर किसी तरह के समझौते की आवश्यकता ही नहीं है. लंदन का तर्क है कि फॉकलैंड द्वीप ब्रिटेन का स्व प्रशासित विदेशी क्षेत्र है. वहां कई पीढ़ियों से रह रहे लोग ही फॉकलैंड का भविष्य तय करेंगे. ज्यादातर द्वीपवासी खुल कर कहते हैं कि वह ब्रिटेन के साथ रहना चाहते हैं.

दुनिया इस वक्त 2012 में है. लेकिन इस पुराने विवाद का कोई हल निकलता नहीं दिख रहा है, उल्टा मनमुटाव और तीखा होता दिख रहा है. दोनों पक्षों की भवनाएं ज्यादा कट्टर और शक्तिशाली होती जा रही हैं. ईमेल और सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए भी अर्जेंटीना और ब्रिटेन के लोग झगड़ रहे हैं. अर्जेंटीना के लोग द्वीपवासियों को 'लुटेरा' कहते हैं. एक अर्जेंटीनावासी ने कहा, "तुम लोगों ने अर्जेंटीना से द्वीप चुराए. तुम बदमिजाज, लोभी, अपराधी हो...बस इंतजार करो."

अर्जेंटीना द्वीपवासियों को लुभाने के लिए हर तरह की कोशिशें कर चुका है. बीते चार दशकों में अर्जेंटीना ने फॉकलैंड की शिक्षा और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में मदद की. ब्रिटेन द्वीपवासियों को हांगकांग जैसी स्वायत्तता देने की तैयारी में था. लेकिन तभी दो अप्रैल 1982 को अर्जेंटीना की सेना ने द्वीप पर हमला कर दिया. अर्जेंटीना को लगा कि द्वीपवासी उसकी सेना का साथ देंगे, लेकिन स्थानीय लोग ब्रिटेन के पक्ष में थे. जुंटा के हजारों जवान सैनिक बिना गर्म कपड़ों और जरूरी तैयारी के द्वीप में पहुंच थे. ब्रिटिश सेना के मुताबिक अर्जेंटीना के सैनिक बहादुरी से लड़े लेकिन कोई टक्कर नहीं दे सके. 14 जून को अर्जेंटीना की सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया. युद्ध में अर्जेंटीना के 649 और ब्रिटेन के 255 सैनिक मारे गए.

Großbritannien Falkland Krieg Flagge in Axax Bay Jahrestag
तस्वीर: AP

विवाद की तह में लालच

1990 में संबंध कुछ सुधरने शुरू हुए. कई संधियां हुईं. लेकिन 2003 में फर्नांडीज के पति के सत्ता में आने के बाद पुरानी दुश्मनी लौट आई. 1998 में पता चला कि द्वीप में तेल और गैस का अपार भंडार है. अरबों डॉलर की यह संपदा भी अब झगड़े को सुलगा रही है.

अर्जेंटीना और ब्रिटेन के झगड़े की मार द्वीपवासियों पर पड़ती है. अर्जेंटीना के रुख में फिर से आइ सख्ती को देखते हुए द्वीपवासी भी अब ब्रिटेन के समर्थन में रैलियां कर रहे हैं. रविवार को 3,000 स्थानीय निवासी ब्रिटेन और फॉकलैंड के झंडे लेकर सड़कों पर उतरे. युद्ध की 30वीं बरसी और भावनाओं के गुबार के बीच अर्जेंटीना के कुछ पूर्व सैनिक फॉकलैंड में है. वे युद्ध में मारे गए अपने साथियों को श्रद्धाजंलि देने पहुंचे हैं.

रिपोर्टः एपी, एफपी/ ओ सिंह

संपादनः एन रंजन

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