छोटी कार, बड़ा बाज़ार
६ जनवरी २०१०कमोबेश सभी ऑटोमोबाइल कंपनियां अब छोटे और कम क़ीमत की कार बाज़ार में उतार रही हैं. एशिया, यूरोप और मध्य पूर्व के देशों में यातायात और बढ़ती पार्किंग समस्या के चलते भी लोगों का रुझान छोटी और मध्यम कारों की और बढ़ा है.
दिल्ली में चल रहे 10वें ऑटो एक्सपो में भी यही बात नज़र आती है. यह परिवर्तन एकाएक नहीं हुआ है. छोटी कारों को भारत जैसे अत्यधिक जनसंख्या वाले देश में हाथों हाथ लिया गया. इसके पीछे कई कारण रहे जैसे मध्यमवर्गीय परिवारों की बढ़ती क्रय शक्ति, लगातार बढ़ता यातायात और पार्किंग की समस्या, छोटे शहरों का मध्यम शहरों में बदलना, फाइनेंस का आसानी से कम दरों पर उपलब्ध होना, लोगों को अपने बजट में कई विकल्पों का मिलना.
पिछले साल की मंदी की मार से उबर रहे लोगों के लिए अब कम क़ीमत की कारों के बहुत से विकल्प हैं. एक अनुमान के अनुसार 2016 तक भारत में कारों की बिक्री 30 लाख सालाना हो जाएगी और अभी बिक्री में लगभग दो तिहाई हिस्सा हचबैक कारों का है.
जापान की मशहूर ऑटोमोबाइल कंपनी टोयोटा इस साल के अंत तक अपनी छोटी गाड़ी इटीयोस भारत में लाएगी. वहीं जर्मन कंपनी वॉक्सवैगन अगले साल तक अपनी छोटी कार पोलो को बाजार में पेश करेगी. अमेरीकी ऑटोमोबाइल कंपनी जनरल मोटर्स भी शेवर्ले स्पार्क के साथ छोटी कारों की दौड़ में पहले से है और आकर्षक लुक्स वाली नई शेवर्ले बीट इसकी ताज़ातरीन पेशकश है. एक और अमेरीकी ऑटोमोबाइल कंपनी फोर्ड भी भारत में छोटी कारों के मॉडल लॉन्च करने वाली है.
फ्रांस की ऑटोमोबाइल कंपनी रेनां भी निसान के साथ मिल कर भारत में छोटी और सस्ती कार लाने की तैयारी में है. कोरियाई कंपनी ह्यूंदेई आई10 और आई20 के बाद अब आई30 लेकर आ रही है. जापान की एक और बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनी होंडा की भी 1200 सीसी की एक छोटी और स्टाइलिश कार 2011 तक बाज़ार में आने की उम्मीद है.
भारतीय कार बाज़ार की पुरानी और विश्वसनीय कार निर्माता मारुति ने भी एक और नई छोटी गाड़ी का कॉन्सेप्ट पेश किया है. एफ3 नाम की इस कार में छह लोग बैठ सकेंगे और इस गाड़ी के दरवाज़े पुराने ज़माने की गाड़ियों की तरह उल्टे खुलते हैं.
इतनी सारी कारें और इतनी आकर्षक कीमतों से तो अब लगता है कि आम आदमी का कार का सपना अब सपना नहीं रहेगा.
सौजन्यः संदीपसिंह सिसोदिया, वेबदुनिया, (संपादनः ए जमाल)