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चुनावी भाषण के कारण राबड़ी मुश्किल में

५ अप्रैल २००९

राबड़ी देवी अपने भाषण के कारण मुसीबत में पड़ गई हैं. आरोप है कि उन्होंने भाषण में मुख्यमंत्री नीतिश कुमार के ख़िलाफ़ अभद्र भाषा का उपयोग किया. चुनाव से पहले जीडीयू और भी परेशानियों से दो चार हो रहा है.

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राबड़ी पर एफआईआर मामले में लालू की टिप्पणी नहींतस्वीर: AP

राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी अपने एक भाषण के कारण मुसीबत में फँस गयी हैं. उन पर आरोप है कि उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जनता दल (यू) की बिहार राज्य शाखा के अध्यक्ष राजीवरंजन सिंह उर्फ़ लल्लन सिंह के खिलाफ अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया है. सारण लोकसभा क्षेत्र में अपने पति लालू प्रसाद यादव का चुनाव प्रचार करते हुए एक जनसभा को संबोधित करने के क्रम में राबड़ी देवी ने संयम को भुलाकर नीतीश कुमार और लल्लन सिंह को एक-दूसरे का साला बता दिया. आम प्रचलन में साला शब्द गाली की तरह इस्तेमाल किया जाता है. राबड़ी देवी के भाषण की खबर मिलते ही नीतीश कुमार की सरकार और पार्टी, दोनों ही हरकत में आ गए. उनके खिलाफ छपरा के एक थाने में एफआईआर दर्ज करा दी गयी. अब राबड़ी देवी को स्वयं थाने में हाज़िर होकर ज़मानत के लिए अर्जी देनी होगी.

JDU Politiker und unabhängiger Kandidat aus dem Wahlkreis Muzzafarpur, George Fernandes
जीडीयू से बाहर फर्नान्डिस अब स्वतंत्र उम्मीदवारतस्वीर: UNI

यही नहीं, जनता दल(यू) ने निर्वाचन आयोग के पास भी गुहार लगाई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने संवाददाताओं को इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए बताया कि आयोग से अनुरोध किया गया है कि राबड़ी देवी को चुनाव प्रचार करने से रोका जाए. यही नहीं, जनता दल(यू) ने यह विचित्र मांग भी की है कि राबड़ी देवी की विधानसभा सदस्यता रद्द की जाए. हालांकि जनता दल(यू) के नीतीश कुमार और शरद यादव जैसे नेताओं ने उत्तर प्रदेश के पीलीभीत लोकसभा क्षेत्र में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार वरुण गाँधी के मुस्लिम-विरोधी बयानों से अपनी असहमति ज़ाहिर की है, लेकिन उनकी ओर से ऐसी तीखी प्रतिक्रिया देखने में नहीं आयी जैसी रविवार को राबड़ी देवी के बयान पर देखने में आयी है. बिहार में जनता दल(यू) और बीजेपी मिल कर सरकार चला रहे हैं और जेडी(यू) राष्ट्रीय स्तर पर एनडीए में शामिल है.

जनता दल(यू) भी परेशानियों से मुक्त नहीं है. उसके सर्वाधिक वरिष्ठ नेता जॉर्ज फर्नांडिस के बाद अब पूर्व केंद्रीय मंत्री दिग्विजय सिंह ने भी पार्टी से विद्रोह कर दिया है. इन दोनों को ही इस बार चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया गया था. फर्नांडिस निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर बिहार की मुजफ्फरपुर सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. रविवार को दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा की सदस्यता से इस्तीफा देकर बिहार की बांका सीट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया.