चीन में आतंकवाद के खिलाफ कानून पास
२९ अक्टूबर २०११शनिवार को चीन में पास हुए इस नए कानून में आतंकवाद से लड़ने के लिए उठाए जाने वाले जरूरी कदमों का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि सुरक्षा बलों को किस तरह आतंकवादी गतिविधियों से निपटना चाहिए. इसके आधार पर चीन सरकार उन लोगों के नाम सार्वजनिक कर सकेगी, जिन पर आतंकवादी गतिविधियों में शामिल होने का संदेह होगा. कानूनी अधिकारी ली वाईशोऊ ने बताया, "हमारा देश आतंकवादी गतिविधियों से बड़ा खतरा महसूस कर रहा है. उसके खिलाफ लड़ाई लंबी और जटिल होगी. रोज ब रोज यह और ज्यादा गहन होती जा रही है."
कानून जरूरी
ली ने कहा है कि देश में अभी तक एक कानून नहीं था जो समूची समस्या से निपट सके और इस वजह से शक्ति के सही इस्तेमाल में दिक्कतें आ रही थीं. उन्होंने कहा कि सही वक्त आने पर आतंकवादी संगठनों और संदिग्धों की सूची प्रकाशित की जाएगी. ली के मुताबिक नया कानून आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय लड़ाई में चीन की हिस्सेदारी सुनिश्चित करने में मदद करेगा.
सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस कानून में आतंकवाद की परिभाषा है, "आतंकवादी वे होते हैं जो जनता में डर फैलाना चाहते हैं या हिंसा, तोड़फोड़, धमकी या अन्य तरीकों से सरकार या अंतरराष्ट्रीय संगठनों पर दबाव बनाना चाहते हैं."
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ की रिपोर्ट के मुताबिक, "ये गतिविधियां हत्याओं, बड़े आर्थिक नुकसान, सार्वजनिक संपत्ति के नुकसान और सामाजिक व्यवस्था में गड़बड़ी पैदा करके समाज को नुकसान पहुंचाती हैं या उसकी कोशिश करती हैं."
शिन्हुआ ने लिखा है कि उकसाना, पैसे उगाहन और किसी भी तरह से मदद करना भी आतंकवादी गतिविधि माना जाएगा. चीन का कहना है कि अल कायदा और मध्य एशियाई आतंकवादी सगंठनों से जुड़े आतंकवादी संगठन पश्चिमी प्रांत शिनजियांग में सक्रिय हैं और वे पूर्वी तुर्किस्तान नाम का स्वतंत्र राष्ट्र बनाना चाहते हैं. हालांकि बहुत से जानकार कहते हैं कि ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट नाम का यह संगठन या फिर अल कायदा उतना प्रभाव नहीं रखते जितना चीन उसे पेश करता है.
क्यों चाहिए कानून
शिन जियांग में कई हिंसक वारदात हो चुकी हैं. प्रांत के दो शहरों में कुछ महीने पहले हुई हिंसा में 32 लोगों की जान गई थी. इस सिलसिले में पिछले महीने चार लोगों को मौत की सजा सुनाई गई.
काशगर और होतान में हुई इस हिंसा के लिए सरकार धार्मिक और अलगाववादी आतंकवादियों को जिम्मेदार ठहराती है. ये दोनों शहर शिन जियांग के दक्षिण में हैं जहां उईगुर आबादी रहती है. उईगुर टर्किश भाषा बोलने वाले मुसलमान हैं जिनमें से ज्यादातर लोग अपने धर्म संस्कृति और भाषा पर चीन के शासन और नियंत्रण को पसंद नहीं करते.
शिन जियांग का इलाका चीन के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. तेल और गैस से समृद्ध इस इलाके में चीन की कुल जमीन का छठा हिस्सा आता है. देश की सीमा अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत और मध्य एशिया से इसी इलाके में लगती है. इसलिए बीजिंग किसी भी सूरत में इस इलाके पर अपनी पकड़ कमजोर नहीं होने देना चाहता.
रिपोर्टः रॉयटर्स/वी कुमार
संपादनः ओ सिंह