1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

चीन ने धुंधलाई भारत की उम्मीदें

२४ जून २०१६

चीन साफ तौर पर एनएसजी में भारत को सदस्यता दिए जाने के खिलाफ दिखाई दिया है. दक्षिण कोरियाई राजधानी सोल में जारी एनएसजी समूह के दो-दिवसीय सम्मेलन में भारत के पक्ष में एकमत फैसला होने के संकेत नहीं हैं.

https://p.dw.com/p/1JCKZ
Chinas Präsident Xi Jinping in Indien Premierminister Narenda Modi
तस्वीर: Reuters/Amit Dave

चीन को अभी भी भारत को एनएसजी में शामिल किए जाने के सवाल पर आपत्ति है. चीनी विदेश मंत्रालय के आर्म्स कंट्रोल विभाग के प्रमुख वांग कून ने कहा है कि न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप (एनएसजी) में भारत जैसे गैर-एनपीटी देशों को शामिल करने के लिए सर्वसम्मति नहीं है.

भारत ने परमाणु अप्रसार संधि एनपीटी पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं. चीनी अधिकारी ने दोहराया कि एनएसजी में शामिल होने के लिए अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर होना "अनिवार्य" है. और यह भी साफ किया कि यह नियम चीन के नहीं बल्कि पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय के बनाए हुए हैं. उन्होंने कहा कि "अगर एनपीटी के सवाल पर यहां-वहां अपवाद किए जाते हैं, तो अंतरराष्ट्रीय अप्रसार का सिस्टम पूरी तरह तबाह हो जाएगा."

एनएसजी के सदस्यों की बैठक 23 और 24 जून को सोल में हो रही है. अमेरिका जैसे कई महत्वपूर्ण देशों के समर्थन के बावजूद चीन भारत को परमाणु व्यापार में शामिल देशों की संस्था में शामिल किए जाने पर विचार करने के लिए राजी नहीं है. चीन के मुख्य वार्ताकार ने बताया कि इस हफ्ते एनएसजी की बैठक में भारत की सदस्यता के मुद्दे पर आधिकारिक रूप से कोई चर्चा नहीं हुई.

अमेरिका ने 2008 में भारत के साथ परमाणु सहयोग समझौता किया था. अमेरिका का मानना है कि भारत एक ऐसा परमाणु शक्ति संपन्न देश है जो नियमों का पालन का करता है और परमाणु हथियारों के प्रसार में शामिल नहीं है. एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था भारत को 48-देशों के समूह एनएसजी में शामिल किए जाने का अमेरिका समर्थन करता है.

अमेरिका के साथ हुई परमाणु संधि के समय से ही भारत को एनएसजी सदस्य जैसी ज्यादातर सुविधाएं मिली हुई हैं. 2008 में वॉशिंगटन के साथ संधि करने के समय भारत को एनएसजी के नियमों में छूट दी गई थी.

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ताशकंद में जारी शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात की. लेकिन एनएसजी में भारत की सदस्यता के समर्थन के लिए चीन को मनाने की कोशिशें नाकाम रहीं.

भारत की दावेदारी का विरोध करने वालों का तर्क है कि इससे भारत के चिर प्रति्वंदी देश पाकिस्तान को नाराजगी होगी और इस कारण पाकिस्तान के गहरे सहयोगी चीन को भी. इसीलिए चीन ने भारत की मांग के साथ साथ पाकिस्तान का नाम जोड़ते हुए कहा था कि अगर कोई अपवाद हो, तो दोनों देशों के लिए होना चाहिए.

हालांकि पाकिस्तान के पुराने रिकॉर्ड को देखते हुए उसे एनएसजी में शामिल किए जाने के सवाल पर कई देशों को कड़ी आपत्ति होगी. पाकिस्तान में वैज्ञानिक अब्दुल कादिर खान को परमाणु हथियारों का जनक माना जाता है. लेकिन खान ने कई सालों तक अवैध नेटवर्कों के माध्यम से परमाणु हथियारों के रहस्य उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों को बेचे थे.

आरपी/एमजे (रॉयटर्स)