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चीन के कर्ज में डूबा अमेरिका

१७ दिसम्बर २०१३

अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन उस पर चीन का कर्ज बढ़ता जा रहा है. अमेरिकी कोषागार के मुताबिक उस पर चीन का 1,300 अरब डॉलर से ज्यादा बकाया है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सोमवार को जारी आंकड़ों का हवाला देते हुए अमेरिकी कोषागार ने कहा कि अक्टूबर में पहली बार अमेरिका पर चढ़ा चीन का कर्ज 1,300 अरब डॉलर के पार गया. अगर हॉन्ग कॉन्ग के बॉन्ड भी मिला दिए जाएं, तो इस कर्ज की सीमा 1,440 अरब डॉलर है.

दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच इस तरह का रिश्ता दूसरे मुद्दे पर भी असर डालता है. कुछ महीने पहले अमेरिकी बजट संकट के दौरान चीन ने डॉलर जमा करने की रफ्तार धीमी कर दी. इस दौरान चीन ने अमेरिका को चेतावनी भी दी कि वो बजट घाटे को कम करने कोशिश करे.

(सबसे ज्यादा मुनाफे में रहने वाले देश और उनके निवेश फंड)

वहीं अमेरिका लगातार चीन से कहता आ रहा है कि वह अपनी मुद्रा का मूल्य बढ़ाए. अमेरिका का आरोप है कि चीन सस्ती मुद्रा के फायदा उठाकर अपना निर्यात चमकाने में लगा है. सस्ते युआन की वजह से अमेरिकी कंपनियां चीनी सामान के सामने नहीं टिक पा रही हैं. दूसरे देशों में भी चीन इस तरह बाजार बढ़ा रहा है.

अमेरिका और चीन कारोबार के मामले में एक दूसरे के सबसे बड़े साझीदार हैं लेकिन व्यापार बुरी तरह चीन के पक्ष में झुका हुआ है. भुगतान संतुलन बरकरार रखने के लिए खस्ताहाल अमेरिकी कोषागार बॉन्ड जारी करता आया है, जिन्हें चीन खरीद रहा है. इस कर्ज से बाहर निकलने के लिए अमेरिकी कोषागार के पास इसके अलावा कोई और चारा भी नहीं है. अगर अमेरिका डॉलर में भुगतान करेगा तो डॉलर की कीमत ऊपर जाएगी, जिससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था को घाटा और चीन को फायदा होगा.

चीन का विदेशी मुद्रा भंडार इस वक्त करीब 3,660 अरब डॉलर का है. इसमें 40 फीसदी अमेरिकी डॉलर है. चीन के बाद जापान अमेरिका का दूसरा बड़ा कर्जदाता है. वॉशिंगटन पर उसका 1,170 अरब कर्ज चढ़ा है.

(कारोबार में कहां कितने रोड़े​​​​​​​)

ओएसजे/एजेए (एएफपी)

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