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चीन की मदद से पाकिस्तान में बिजली संकट का 'अंत'

५ दिसम्बर २०१७

कुछ ही साल पहले की बात है कि बिजली की कमी से पाकिस्तान हलकान हो रहा था, अब वही पाकिस्तान अपनी आधी से ज्यादा आबादी को बिना कटौती के बिजली मुहैया कराने जा रहा है.

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Pakistan Neelum-Jhelum Wasserkraft Projekt
तस्वीर: picture-alliance/Photoshot/L. Tian

पाकिस्तान में बीते सालों में एक तरफ जहां बिजली पर आधारित उद्योग और कारोबार बंद हो रहे थे और इसकी कमी से जूझ रहे लोग आए दिन विरोध प्रदर्शनों में जुटे थे वहां अब स्थिति एक दम से बदल गयी है. चीने के भारी निवेश ने पाकिस्तान को बिजली की कमी से निजात दिला दी है. ये और बात है कि विशेषज्ञों इन योजनाओं के लंबे समय तक चलते रहने पर सवाल उठा रहे हैं.

चीन ने पाकिस्तान के दक्षिण पश्चिमी बलूचिस्तान प्रांत से लगते समुद्री इलाके में बंदरगाह बनाने में मदद दी है. इसके साथ ही कई बिजली घरों को भी तैयार किया जा रहा है. 60 अरब डॉलर से ज्यादा की परियोजनाओं का मकसद मध्यपूर्व, अफ्रीका और यूरोप को जोड़ने वाला एक व्यापारिक मार्ग बनाना है. इस विशाल परियोजना में तकरीबन 35 अरब डॉलर की रकम पाकिस्तान में बिजली पैदा करने पर खर्च की जा रही है.

Symbolbild- Proteste in Pakistan Elektrizitätsknappheit
तस्वीर: Getty Images

तकरीबन 22.5 करोड़ की आबादी वाला पाकिस्तान कई दशकों से बिजली की भारी कमी के कारण परेशान रहा है. अब सरकार ने एलान किया है कि इस हफ्ते से पाकिस्तान के आधे से ज्यादा इलाके में बिजली की कोई कटौती नहीं होगी क्योंकि पाकिस्तान के पास अब अतिरिक्त बिजली मौजूद है. पाकिस्तान के ऊर्जा मंत्रालय के प्रवक्ता जफर याब खान ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "अब हम देश की जरूरत से 2700 मेगावाट ज्यादा बिजली पैदा करने में सक्षम हैं." साल 2013 के मुकाबले यहां स्थिति बिल्कुल उलट गयी है. तब पाकिस्तान में पैदा होने वाली बिजली जरूरत से 2200 मेगावाट कम थी. नतीजा यह कि था कि कई इलाकों में 15 -15 घंटे बिजली काटने पर मजबूर होना पड़ता था.

2013 में मौजूदा सरकार के बनने के बाद से पाकिस्तान के नेशनल ग्रिड में करीब 7,500 मेगावाट बिजली जोड़ी गयी है. अगले साल गर्मी तक पाकिस्तान 25000 मेगावाट बिजली पैदा करने लगेगा. यहां जून से अगस्त तक बिजली की भारी मांग रहती है जो तकरीबन 24000 मेगावाट तक जाती है.

Pakistan Peshawar -  Ayesha Gulalai: Demonstration
तस्वीर: Imago/ZUMA Press

सत्ताधारी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज के लिए यह काफी बड़ी सफलता है, खासतौर से अगले साल होने वाले चुनाव को देखते हुए. राजधानी इस्लामाबाद में छोटी सी दुकान चलाने वाले 61 साल के दर्जी फजल हुसैन कहते हैं, "मैं 2018 में नवाज शरीफ को वोट दूंगा. उन्होंने संकट दूर कर दिया. लोड शेडिंग ने मेरा धंधा चौपट कर दिया था. हमारी मशीनें बिजली से चलती हैं जो तब आधे से ज्यादा वक्त गायब रहती थीं."

बिजली की कमी ने ना सिर्फ यहां उद्योग धंधों बल्कि लोगों के जीवन पर भी बहुत बुरा असर डाला. 2015 में जब गर्म हवाओं के चलते 1500 से ज्यादा लोग मारे गये तब यहां बिजली की कमी को ही कुछ हद तक इसका जिम्मेदार माना गया. गर्मियो में कई इलाकों में तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के पार चला जाता है और तब एयरकंडिशनर चलाने के लिए बिजली नहीं मिलती. राजनेताओं को भी इसकी वजह से लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ता रहा है.

Neelum-Jhelum Wasserkraftwerk
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Mughal

पाकिस्तान में बिजली की चोरी भी बहुत आम बात है. सरकार का कहना है कि जिन इलाकों में लोग बिजली का बिल नहीं देते वहां संकट अभी भी बना रहेगा. आर्थिक विश्लेषक साकिब शीरानी का कहना है कि बिजली उत्पादन की क्षमता बढ़ाने के साथ ही लोग बिजली का बिल चुकाये इसका इंतजाम करना भी बहुत जरूरी है. उनका कहना है कि बिना इस इंतजाम के यह व्यवस्था लंबे समय तक नहीं चल सकेगी. शीरानी ने कहा, "सरकार के पास पैसा ही नहीं होगा कि वह निजी उत्पादकों से बिजली खरीद कर लोगों को दे सके."

उधर विपक्षी नेताओं का कहना है कि सरकार ने बिजली कटौती बंद करने का एलान चुनाव को देखते हुए किया है. विपक्षी दल के प्रवक्ता फव्वाद चौधरी ने कहा, "केवल कुछ ही शहरी इलाकों की इस संकट से निजात मिली है."

एनआर/ओएसजे (डीपीए)