चीन की पीली नदी में घुला ज़हर
८ जनवरी २०१०यह पाइपलाइन चीन की सबसे बड़ी तेल उत्पादक कंपनी की है. लेकिन चाइना नेशनल पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने इसकी ज़िम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है.
चीन इस समय दो मोर्चों पर जूझता नज़र आ रहा है. एक तो जल प्रदूषण और दूसरे इस प्रदूषण से हो रही ख़राब छवि. डीज़ल का बह कर पीली नदी तक पहुंचना बड़ी चिंता का विषय है क्योंकि यह चीन की सबसे बड़ी नदियों में से है. लाखों लोग पीने के पानी के लिए इसी नदी पर निर्भर हैं. मा चुन पेइचिंग में इंस्टीट्यूट ऑफ़ पब्लिक एंड एनवायर्मेंटल अफ़ेयर्स के निदेशक हैं और वह डीज़ल के पानी में मिल जाने से चिंतित हैं.
पीने के पानी में तेल का मिल जाना बेहद नुक़सानदेह है और लोग अगर ऐसा पानी पीते हैं तो वे बीमार पड़ सकते हैं. इस समस्या पर क़ाबू पाने के प्रयास हो रहे हैं और लोगों को आगाह किया गया है कि वे ऐसे पानी को इस्तेमाल में न लाएं.
उधर श्रीलंका में इंटरनेशनल वाटर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट के पे ड्रेशल का मानना है कि अगर ऐसी घटनाओं को छोड़ भी दिया जाए तो भी चीन में जल प्रदूषण एक बड़ी समस्या है.
हम चीन में इस स्थिति से बड़े चिंतित हैं. घरों और कारखानों से निकलने वाला कचरा जल प्रदूषण को बढ़ा रहा है. कुछ शहरों को छोड़ दें, तो प्रदूषित पानी को साफ़ करने की व्यवस्था नहीं है और इससे प्रदूषण फैलता है.
वैसे कई विशेषज्ञों का मानना है कि घरों और कारखानों से आने वाले कचरे और पानी में बड़ी मात्रा में केमिकल और भारी धातु मिली होती हैं. अगर लोग या जानवर ऐसे पानी को पीते हैं तो इससे उनके स्वास्थ्य को ख़तरा हो सकता है. चीन में क़रीब 200 जल शोधन संयंत्र हैं लेकिन अधिकतर संयंत्रों में आधुनिक तकनीक नहीं है. कई छोटे शहरों में तो जल शोधन संयंत्रों की सुविधा ही नहीं है.
चीन की सरकार का अनुमान है कि 20 करोड़ लोगों को पीने का साफ़ पानी उपलब्ध नहीं है. ऐसे में अगर वहां इसी तेज़ी शहरों में जनसंख्या बढ़ती है तो फिर आधारभूत ढांचे और साफ़ पानी की सुविधा को भी बेहतर बनाना होगा.
रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़
संपादन: ए कुमार