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चीन और नेपाल करेंगे संयुक्त सैनिक अभ्यास पर चर्चा

२३ मार्च २०१७

चीनी रक्षा मंत्री हिमालय की गोद में बसे देश नेपाल जाकर संयुक्त सैनिक अभ्यास करने को लेकर चर्चा करेंगे. नजदीकी सहयोगी बनते दिख रहे नेपाल और चीन के नेताओं की इस मुलाकात पर होगी पड़ोसी देश भारत की भी पैनी नजर.

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Nepal Prozession Jahrestag Constitution Day
नेपाल की राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी 19 सितंबर 2016 को पहले संविधान दिवस के मौके पर सेना की सलामी लेती हुई.तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Maharjan

चीनी रक्षा मंत्री चांग वांक्वान गुरुवार शाम से नेपाल का अपना तीन दिन का दौरा शुरु करेंगे. पंद्रह सालों में ऐसा पहली बार हुआ है कि कोई चीनी रक्षा मंत्री नेपाल पहुंचा हो. चीन और नेपाल के रक्षा मंत्रियों की मुलाकात के अलावा वांक्वान नेपाली प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल से भी मिलेंगे.

नेपाल के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता उत्तम प्रसाद नगीला ने बताया, "दोनों पक्ष नेपाली सेना की मदद से लिए कुछ समझौते करने पर चर्चा करेंगे."  उन्होंने आगे बताया कि "मंत्रालय को संयुक्त सैनिक अभ्यास पर चर्चा के आगे बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन (यह) अभी तय नहीं हुआ है."

चीन और नेपाल के साथ सैनिक अभ्यास करने की संभावना पर भारत का भी ध्यान होगा. यह पहली बार होगा जब चीन-नेपाल सैनिक क्षेत्र में ऐसा सहयोग करेंगे. भारत पर खुद कई बार छोटे पड़ोसी देश नेपाल के साथ "बड़ा भाई"  जैसा व्यवहार करने का आरोप लगता रहा है.

समाचार एजेंसी एएफपी ने बिना नाम बताये एक सेना के सूत्र के हवाले से लिखा है कि इस संयुक्त अभ्यास को "सागरमाथा मित्रता" का नाम दिया जा सकता है और इसका मुख्य फोकस आपदा की घड़ी में प्रतिक्रिया देने पर होगा. नेपाली भाषा में माउंट एवरेस्ट को 'सागरमाथा' कहा जाता है.

नेपाल, चीन और भारत के बीच स्थित है. अब भी भारी गरीबी से दबे नेपाल को हाल के सालों में कभी चीन तो कभी भारत के ज्यादा करीब आता माना गया. पूरे दक्षिण एशियाई क्षेत्र में दोनों ही आर्थिक और सैनिक महाशक्तियां भारत और चीन इस इलाके में अपना प्रभाव कायम करने की कोशिश करते भी नजर आते हैं.

सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी के चीन विशेषज्ञ जेम्स चार बताते हैं, "इस हफ्ते चांग की यात्रा को सैन्य आदान-प्रदान से जोड़ कर ही देखना चाहिए." उन्होंने कहा कि, "(चीन में) शी जिनपिंग के नेतृत्व में यह बात ज्यादा आगे बढ़ी है."

नेपाल फिलहाल अपने ज्यादातर आयात के लिए भारत पर निर्भर है. लेकिन नेपाल की पिछली सरकार ने चीन के साथ नजदीकी बढ़ाने की सक्रिय कोशिशें की थीं, जिससे भारत पर उनकी निर्भरता कुछ हद तक कम हो सके.

चीन ने भी सकारात्मक प्रतिक्रिया देते हुए नेपाल में कई विशाल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट बनाने का वादा किया है. हाल ही में चीन ने नेपाल में 8.3 अरब डॉलर का निवेश करने का संकल्प किया, जो कि नेपाल के कुल सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 40 फीसदी हिस्से के बराबर होगा. वहीं भारत 31.7 करोड़ डॉलर का निवेश करने वाला है.

नेपाल की माओवादी पार्टी के नेता और प्रधानमंत्री दहल इसी हफ्ते चीन की यात्रा पर जा रहे हैं और अगले हफ्ते वहां चीनी राष्ट्रपति शी से मुलाकात करेंगे.

आरपी/ओएसजे (एएफपी)