चीज और ब्रेड पर छिड़ा यूरोप में घमासान
१७ मई २०१८कहीं प्रोडक्ट की क्वालिटी पर बहस हो रही है तो कहीं कुर्सी पर कब्जे की. हालांकि फ्रांस का झगड़ा भी कुर्सी और कमाई से जुड़ा है. कामेमबैर्ट फ्रांस के उत्तर में नॉरमंडी का एक इलाका है जहां 18वीं सदी में पहली बार गाय के ताजा दूध से नम, मुलायम, क्रीमी और सख्त सतह वाला चीज बनाया गया था. मारी हारेल ने 1791 में ताजा दूध से ये चीज बनाया था. इस बीच दार्जिलिंग टी की तरह इलाके के नाम से जाना जाने वाला कामेमबैर्ट चीज इतना मशहूर हो गया है कि बड़ी कंपनियां भी उससे कमाना चाहती हैं.
असली कामेमबैर्ट जिस दूध से बनता है उसमें 38 प्रतिशत फैट होता है और दूध नॉरमंडी की गायों का होता है जिन्हें स्थानीय घास और भूसा खिलाया जाता है. लेकिन इलाके में इतना दूध तो होता नहीं कि असली कामेमबैर्ट बनाया जा सके तो उन्होंने पस्चुराइज्ड दूध से कामेमबैर्ट बनाना शुरू कर दिया. फिर क्या था. असली नकली का झगड़ा शुरू हो गया. ये झगड़ा दरअसल परंपरागत छोटे उद्यमों और आधुनिक उद्यमों के बीच का भी है.
ऐसा झगड़ा यूरोप की दूसरी जगहों पर चल रहा है, ब्रेड बनाने वाली परंपरागत बेकरी और आधुनिक बेकरी उद्यमों के बीच या फिर परंपरागत तरीके से वाइन बनाने वाले छोटे उद्यमों और बड़े पैमाने पर वाइन का उत्पादन करने वाले उद्यमों के बीच. जर्मनी में तो बड़े सुपर बाजारों के उदय ने छोटी पड़ोस की दुकानों की रीढ़ ही तोड़ दी. अब टांटे एम्मा लाडेन (एम्मा आंटी की दुकान) के नाम से विख्यात रही छोटी दुकानें कहीं नहीं दिखतीं. तो क्या फ्रांस का दूसरा सबसे लोकप्रिय चीज भी अपने असली रूप कामेमेबैर्ट दे नॉरमंडी के रूप में जल्दी ही खत्म हो जाएगा?
अच्छी बात ये है कि फ्रांस में चीज बनाने वाले छोटे उद्यमों को बाहरी समर्थन मिल रहा है. फ्रांस लजीज खाने के लिए जाना जाता है और सेबास्टियान ब्रास, ओलिवियेर रोएलिंगर और आने सोफी पिक जैसे कई स्टार शेफ का नॉरमंडी चीज के समर्थन में आना छोटे उद्यमों के लिए अच्छी बात है. उन्हें डर है कि भविष्य में अच्छे और खराब काममेबैर्ट में फर्क करना मुश्किल होगा. दूसरी ओर पस्चुराइज्ड दूध से बनाए जाने के कारण चीज अपना स्वाद और चरित्र खो बैठेगा. एक साझा अपील में उन्होंने कहा है, "ये बिना स्वाद वाला अश्लील नरम पेस्ट बनकर रह जाएगा." उन्होंने इसे किसानों और उपभोक्ताओं के लिए घातक जोखिम बताया है.
फ्रांस में इस बीच हर साल कामेमबैर्ट चीज का 36 करोड़ चक्का बनाया जाता है, लेकिन इनमें से सिर्फ 1 प्रतिशत ही असली होता है. असली कामेमबैर्ट बनाने वाले उद्यमों की तादाद लगातार घटती जा रही है. हाल ही में खाद्य पदार्थों के परंपरागत उत्पादन पर निगाह रखने वाले संस्थान इनाओ ने तय किया था कि पस्चुराइज्ड दूध से बने चीज भी नॉरमंडी में बने होने की मुहर लगा सकते हैं. आलोचकों का कहना है कि इस फैसले के बाद असली कामेमबैर्ट लक्जरी अइटम बन जाएगा जबकि ज्यादातर उपभोक्ताओं को नकली कामेमबैर्ट से संतुष्ट होना होगा. देश के कई स्टार शेफ ने एक साझा बयान में कहा है, "हम पूरे देश में अच्छे खाने के अधिकार की मांग करते हैं." बयान के आखिर में उन्होंने लिखा है, "स्वतंत्रता, समानता, कामेमबैर्ट."