चार गुना बढ़े डायबिटिक मरीज
७ अप्रैल २०१६इस अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में मधुमेह यानि डायबिटीज के रोगियों की संख्या पिछले चार दशकों में चार गुना बढ़ गई है. ये आंकड़ा अब तकरीबन 42 करोड़ बीस लाख तक जा पहुंचा है और खासकर गरीब देशों में यह रोग लगातार बढ़ती समस्या बनता जा रहा है. डायबिटीज के हालातों को जांचने के लिए हुए इस सबसे बड़े अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा है कि दुनिया भर में डायबिटिक मरीजों की बढ़ती तादाद वैश्विक स्वास्थ्य के लिहाज से बेहद चिंताजनक है.
अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि अगर रोकथाम के प्रयास नहीं हुए तो 2025 तक दुनिया भर में प्रत्येक 5 वयस्कों में से एक को डायबिटीज की शिकायत होगी. अभी हालत ये है कि हर 8 वयस्कों में से एक व्यक्ति को डायबिटीज की शिकायत है.
डायबिटीज लंबे समय में होता है और इसे रोगी चिकित्सा और खान पान के जरिए नियंत्रित कर सकते हैं. लेकिन ये बीमारी अक्सर सारी उम्र चलती है और इसके चलते अंधापन, किडनी का काम न करना, और हार्ट अटैक जैसी कई दिक्कतें हो सकती हैं.
इंपीरियल कॉलेज ऑफ लंडन की प्रोफेसर माजिद एजाती इस शोध के प्रमुख रहे हैं. वे बताते हैं, ''टाइप टू डायबिटीज के लिए मोटापा सबसे बड़ा खतरा है. और मोटापे को रोकने के हमारे प्रयास अब तक सफल साबित नहीं हुए हैं.''
संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर लेंसेट जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन के लिए दुनियाभर के 200 देशों के 44 लाख वयस्कों के आकड़ों का इस्तेमाल किया है. इसमें पता चला है कि 1980 और 2014 के बीच डायबिटीज महिलाओं और पुरूषों दोनों में ही बेहद आम हुआ है. साथ ही उन देशों में इसमें बहुत ज्यादा इजाफा हुआ है जहां लोगों की आमदनी कम है या औसत है. चीन, भारत, इंडोनेशिया, पाकिस्तान, मिस्र और मेक्सिको के अलावा इस तरह के कई देशों में डायबिटीक मरीजों की तादाद बढ़ी है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक मार्गेरेट चान कहती हैं कि ये निष्कर्ष दर्शाते हैं कि दुनिया भर में अस्वास्थ्यकर भोजन और जीवन शैली को बदलने के लिए कोशिश किए जाने की जरूरत है.
जेनेवा स्थित डब्लूएचओ के हेडक्वार्टर से जारी अपने एक बयान में चान ने कहा है, ''अगर हमें बढ़ते डायबिटीज को किसी तरह रोकना है तो हमें अपने रोजमर्रा की ज़िंदगी के बारे में फिर से सोचना होगा. स्वस्थ भोजन खाना होगा, शारिरिक रूप से सक्रिय रहना होगा और मोटापे से बचना होगा. सरकारों को इस बात को सुनिश्चित करना होगा कि गरीब लोग अपने स्वास्थ्य का ध्यान रख पाएं और उनका इलाज हो पाए.''
प्रशांत द्वीपीय देश, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका के देशों जैसे मिस्र, जार्डन और सउदी अरब में डायबिटीज के आंकड़ों में सबसे अधिक इजाफा हुआ है. हालांकि अध्ययन के मुताबिक किसी भी देश में डायबिटीज के प्रसार में कोई खासी गिरावट नहीं देखने को मिली है लेकिन उत्तर पश्चिमी यूरोप में डायबीटीज सबसे कम है.
अध्ययन यह भी बताता है कि डायबिटीज से पीड़ित वयस्कों में से आधे लोग महज इन पांच देशों में रह रहे हैं, चीन, भारत, अमरीका, ब्राजील और इंडोनेशिया. वहीं 1980 से 2014 के बीच भारत और चीन में पुरूषों डायबिटीज मरीजों की संख्या दोगुनी से अधिक हो गई है. भारत में यह समस्या इतनी गंभीर है कि दुनिया का हर चौथा डायबिटिक भारतीय है. दुनिया के 42 करोड़ डायबिटिक लोगों में 10 करोड़ लोग भारत में रहते हैं.
आरजे/एमजे (रॉयटर्स)