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चाबहार से चिढ़ा पाकिस्तान

ओंकार सिंह जनौटी२७ मई २०१६

भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच हुए चाबहार समझौते से पाकिस्तान परेशान हो रहा है. तेहरान ने पाकिस्तान को भी चाबहार प्रोजेक्ट में साझेदारी का न्योता दिया.

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तस्वीर: A. Kenare/AFP/Getty Images

पाकिस्तान में तैनात ईरान के राजदूत मेहदी हुनरदुस्त को चाबहार बंदरगाह समझौते पर सफाई देनी पड़ी. हुनरदुस्त ने कहा कि ईरान, भारत और अफगानिस्तान के बीच हुआ समझौता अभी पूरा नहीं हुआ है. ईरानी राजदूत ने यह भी कहा कि, "यह समझौता सिर्फ तीन देशों तक सीमित नहीं है."

इस्लामाबाद के साथ साथ बीजिंग को भी दिलासा देते हुए उन्होंने कहा, "हम नए सदस्यों का इंतजार कर रहे हैं. पाकिस्तान पड़ोसी भाई है और चीन ईरान का बड़ा साझेदार है व पाकिस्तान का दोस्त भी है. दोनों का स्वागत है."

Iran Rohani, Modi und Ghani in Teheran
मोदी, रोहानी और गनीतस्वीर: IRNA

तेहरान ने यह भी भरोसा दिलाया है कि चाबहार, ग्वादर पोर्ट को टक्कर देने के इरादे से नहीं बनाया जा रहा है. पाकिस्तान का ग्वादर पोर्ट चीन बना रहा है. बीजिंग चाहता है कि ग्वादर के जरिए वो अरब सागर तक पहुंचे. वहीं भारत चाबहार पोर्ट के जरिए मध्य एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंचना चाहता है.

23 मई 2016 को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और ईरानी राष्ट्रपति हसन रोहानी के बीच तेहरान में चाबहार पोर्ट पर समझौता हुआ. भारत इस बंदरगाह में 50 करोड़ डॉलर का निवेश करने जा रहा है. ईरान और भारत के बीच कई क्षेत्रों में करोड़ों डॉलर के द्विपक्षीय समझौते भी हुए हैं.

दक्षिण ईरान के चाबहार बंदरगाह के जरिए भारत पाकिस्तान को बाईपास कर मध्य एशिया तक पहुंच सकेगा. भारत के कजाखस्तान, तुर्कमेनिस्तान जैसे देशों से मजबूत संबंध हैं. भारतीय अधिकारी चाहते हैं कि मध्य एशिया से पाइप लाइन के जरिए तेल और गैस भारत तक आए. लेकिन पाइपलाइन शुल्क और उसकी सुरक्षा को लेकर पाकिस्तान की ओर से भरोसेमंद आश्वासन नहीं मिला है. ऐसे में अगर पाइपलाइन पूरी नहीं हुई तो भी भारत चाबहार तक ईंधन ला सकता है. वहां से आगे जहाजों के जरिए ईंधन भारत पहुंच सकता है.

Pakistan Hafen Gwadar
पाकिस्तान का ग्वादर पोर्टतस्वीर: picture-alliance/dpa

इस्लामाबाद को लगता है कि अगर मध्य एशिया से कोई भी चीज जमीन के जरिए भारत तक जाएगी तो उसे राजस्व मिलेगा. चाबहार समझौता इस लिहाज से भी पाकिस्तान को निराश कर रहा है. दूसरा कारण है अफगानिस्तान. काबुल को लेकर भारत और पाकिस्तान की प्रतिस्पर्धा किसी से छुपी नहीं है. चाबहार पोर्ट के जरिए भारत पाकिस्तान के ऊपर से उड़े बिना भारी साजो सामान अफगान धरती पर पहुंचा सकता है, इस्लामाबाद को यह बात भी चुभ रही है.