चांसलर ने कहा परमाणु कचरे का निर्यात नहीं
५ जनवरी २०१३एक जर्मन अखबार ने खबर दी थी कि यूरोपीय संघ के नियमों को लागू करने की प्रक्रिया में जर्मन सरकार परमाणु कानून में एक वाक्य जोड़ने जा रही है. इसके बाद परमाणु कचरे को अंतिम रूप से किसी विदेशी भंडार में रखना संभव होता. इसके लिए दूसरे किसी देश के साथ द्विपक्षीय समझौता जरूरी होता जो रेडियोधर्मी कचरा लेने को तैयार हो. पर्यावरण संगठनों और परमाणु ऊर्जा विरोधियों ने इस पर नाराजगी का इजहार किया और आरोप लगाया कि सरकार उस सहमति को तोड़ रही है जिसमें जर्मन बिजलीघरों में पैदा हुए कचरे को जर्मनी में रखने की बात थी.
जर्मनी में अब परमाणु बिजली घरों में इस्तेमाल के बाद बचने वाले कचरे को अंतिम रूप से रखने के बारे में कोई फैसला नहीं हुआ है. ऐसी कोई जगह नहीं चुनी गई है जहां इस जहरीले कचरे को अनिश्चित काल के लिए रखा जा सके. अब तक कचरे को अंतरिम गोदाम में रखा जा रहा है, लेकिन स्थानीय लोग उसे स्थायी गोदाम बनाने का विरोध कर रहे हैं.
चांसलर अंगेला मैर्केल ने इस रिपोर्ट के बाद छिड़ी बहस के बीच कहा है कि जर्मन सरकार का इरादा यह है कि "हम अपने कचरे को अपने ही यहां रखें." उन्होंने कहा कि यह इरादा बहुत ही पक्का है जो विदेशों में परिष्करण के बाद बचे कचरे को वापस लाने के प्रयासों में भी दिखता है. चांसलर ने उम्मीद जताई की लोवर सेक्सनी में होने वाले चुनावों के बाद परमाणु कचरे के स्थायी गोदाम के बारे में जल्द फैसला हो पाएगा. चांसलर के प्रवक्ता श्टेफान जाइबर्ट ने कहा कि जर्मनी उस यूरोपीय नियम को परमाणु कानून में शामिल करने को बाध्य है, लेकिन उसकी उसका इस्तेमाल करने की कोई योजना नहीं है.
यूरोपीय संघ की परमाणु कचरे को निबटाने की नीति को विवादास्पद बहस के बाद जुलाई 2011 में मंत्रियों की परिषद ने पास कर दिया था. यूरोपीय आयोग द्वारा पेश मसौदे में रेडियोधर्मी कचरे को यूरोपीय संघ से बाहर भेजने पर रोक थी. लेकिन उसके लिए यूरोपीय परिषद में बहुमत नहीं मिला. इसलिए कचरे के निर्यात को उसे निबटाने की संभावना के रूप में नियमों में शामिल कर लिया गया. अधिकारी इसे उन देशों के लिए एक संभावना बता रहे हैं जो अपने इलाके पर कोई परमाणु गोदाम नहीं बना सकते.
जर्मनी में सालों से परमाणु कचरे को रखने के लिए स्थायी गोदाम पर बहस चल रही है. नवंबर 2011 में केंद्र और राज्य सरकारों के बीच स्थायी गोदाम की खोज के लिए नए सिरे से शुरू करने पर सहमति हुई थी. लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है. जर्मन पर्यावरण मंत्री पेटर अल्टमायर को अभी भी भरोसा है कि 2030 तक राष्ट्रीय गोदाम बनाने के आश्वासन को पूरा किया जा सकेगा. उन्होंने लोवर सेक्सनी के चुनाव के बाद 20 जनवरी को एसपीडी और ग्रीन पार्टियों के साथ इस संबंध में बातचीत शुरू करने का अपना इरादा दोहराया है.
एमजे/ओएसजे (डीपीए, रॉयटर्स, एएफपी)