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चर्च जाना है तो करो जेब ढीली

२५ सितम्बर २०१२

जर्मनी में रोमन कैथोलिक चर्च के एक नए नियम के अनुसार केवल उन्हीं लोगों को चर्च की सेवाएं उपलब्ध कराई जाएंगी जो चर्च को टैक्स जमा कराते हैं. यानी चर्च से नाता रखना है तो चर्च को पैसा देना ही होगा.

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तस्वीर: Bilderbox

यह नया नियम सोमवार से लागू हुआ है. हालांकि चर्च का कहना है कि यह कदम लोगों को चर्च की तरफ दोबारा लाने के लिए लिया गया है, लेकिन कई संगठन इसकी आलोचना कर रहे हैं. "वी आर चर्च" नाम के एक संगठन ने बयान जारी कर कहा है, "बजाए इस बात का पता लगाने के कि आखिर लोग इतनी बड़ी संख्या में चर्च क्यों छोड़ रहे हैं, बिशप ने इस तरह का फरमान जारी कर दिया. यह चर्च जाने वाले लोगों के लिए एक धमकी है. यह लोगों को चर्च से जुड़े रहने या टैक्स जमा करने के लिए प्रोत्साहित नहीं करती."

दरअसल जर्मनी में लोगों को चर्च टैक्स जमा करना होता है जो उनकी आय का करीब दस फीसदी होता है. यह कैथोलिक और प्रोटेस्टैंट ईसाइयों के साथ साथ यहूदियों पर भी लागू होता है. कुछ लोग पैसा बचाने के लिए इस से बचते हैं. लेकिन ऐसे में उन्हें "गैर धार्मिक" का दर्जा दे दिया जाता है. हालांकि कई लोग इस दर्जे के बावजूद चर्च जाते हैं. अब कैथोलिक चर्च का कहना है कि यदि लोग चर्च की सेवाएं लेने के लिए पैसा नहीं दे रहे हैं तो उन्हें चर्च से दूर ही रहना चाहिए. चर्च कर नहीं देने वाले लोगों को बच्चों के बप्तिस्मा में शामिल नहीं होने दिया जाएगा और वह कैथोलिक बच्चों के गॉडपेरेंट्स यानी धर्म माता-पिता भी नहीं बन सकेंगे. इसके अलावा

अंतिम संस्कार के लिए भी पादरी तभी उपलब्ध होंगे जब लोगों ने कर भरा होगा.

जर्मनी की 8.2 करोड़ की आबादी का एक तिहाई हिस्सा कैथोलिक है और एक तिहाई प्रोटेस्टैंट. आंकडें कहते हैं कि हर साल करीब एक लाख बीस हजार लोग चर्च छोड़ रहे हैं. माना जाता है कि 2010 में पादरियों द्वारा बच्चों के यौन शोषण की खबरों के बाद इस संख्या में इजाफा आया और यह बढ़ कर एक लाख अस्सी हजार पहुंच गयी. हालांकि चर्च से दूर होने वाले लोगों में से कितने टैक्स बचाने के लिए और कितने अन्य कारणों से ऐसा करते हैं इस बारे में कोई आंकड़े उपलब्ध नहीं हैं.

जर्मन बिशप्स कॉन्फरेंस के अध्यक्ष रेफ हांस ने कोलोन में कैथोलिक रेडियो स्टेशन को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "यह सोच बकवास है कि आप चर्च की संस्था को छोड़ कर भी कैथोलिक बने रहेंगे. जो भी चर्च को छोड़ना चाहता है उसे इसे पूरी तरह छोड़ना होगा." जर्मनी में चर्च को टैक्स देने का चलन नया नहीं है. 19वीं सदी की शुरुआत से ही यहां ये प्रथा रही है. 2010 में कैथोलिक चर्च ने टैक्स के जरिए 5 अरब यूरो कमाए जबकि प्रोटेस्टैंट चर्च ने 4.3 अरब. प्रोटेस्टैंट चर्च का कहना है कि उनकी इस तरह की कोई योजना नहीं है.

आईबी/एएम (रॉयटर्स/एएफपी/डीपीए)

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