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घर बैठे जान सकेंगे एचआईवी पॉजिटिव है या नहीं

२१ जून २०१८

एक बूंद खून, एक स्ट्रिप और 15 से 20 मिनट बाद रिजल्ट कि आप एचआईवी पॉजिटिव है या नहीं. यानि शुगर की जांच की तरह जल्द ही एचआईवी की घर बैठे जांच हो सकेगी.

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HIV-Selbsttest
तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen

जर्मनी में बड़े पैमाने पर हुई स्टडी के बाद इस साल से एचआईवी का सेल्फ टेस्ट शुरू हो जाएगा. अगर किसी को जानना है कि वह इस बीमारी की चपेट में है या नहीं तो वह बिना अस्पताल जाए ही इसकी जांच कर सकता है.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/B. Pedersen

बोखुम स्थित सेंटर ऑफ सेक्सुअल हेल्थ एंड मेडिसिन के प्रमुख नॉर्बर्ट ब्रॉकमायर के मुताबिक एचआईवी सेल्फ आसान और सुरक्षित है. सेल्फ टेस्ट की इजाजत मिलने को विशेषज्ञ सेक्सुअल हेल्थ की दुनिया में बड़ी उपलब्धि मान रहे हैं. 

जर्मनी में करीब 13 हजार लोगों को मालूम ही नहीं है कि वे एचआईवी पॉजिटिव हैं. अपनी स्थिति के बारे में जानकारी न होने के कारण वे अपने स्वास्थ्य को जोखिम में तो डालते ही हैं, उन्हें भी नुकसान पहुंचता है जिनके साथ उन्होंने शारीरिक संबंध बनाए हैं. आज कई ऐेसे एचआईवी पॉजिटिव लोग हैं जिनका इलाज हो रहा है और वे किसी सामान्य व्यक्ति जैसा जीवन जी रहे हैं. शर्म और डर के कारण बहुत से लोग डॉक्टर के पास नहीं जाते हैं.  

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दूसका टेस्ट कराना होगा जरूरी

ब्रॉकमायर का कहना है कि एचआईवी का सेल्फ टेस्ट भरोसेमंद है, लेकिन हर जांच की तरह इसकी दूसरी बार जांच करानी जरूरी होगी. हर जांच में कुछ गलतियां होने की आशंका रहती है. इसका मतलब यह है कि अगर किसी की जांच का नतीजा पॉजिटिव आ रहा है तो वह वाकई एचआईवी पॉजिटिव हो ही. लैब में दोबारा जांच कराने के बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुंचना सही होगा. 

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तस्वीर: Reuters

इस बात को भी जानना जरूरी है कि शारीरिक संबंध बनाने के अगले ही दिन अगर एचआईवी का सेल्फ टेस्ट कराया जाए तो हो सकता है कि रिजल्ट निगेटिव आए और आप सोचें कि सब ठीक है. शारीरिक संबंध बनाने के कम से कम 6 हफ्ते बाद ही सेल्फ टेस्ट का नतीजा सही आ सकता है.

90-90-90 का लक्ष्य

विश्व स्वास्थ्य संगठन का लक्ष्य है कि साल 2020 तक एचआईवी पीड़ितों की संख्या पूरी दुनिया में कम की जाए. सबसे पहले, एचआईवी पॉजिटिव लोगों में से करीब 90 फीसदी को उनकी बीमारी के बारे में बताया जाएगा. इन 90 फीसदी में से 90 फीसदी का इलाज किया जाना दूसरा लक्ष्य होगा. इनमें से 90 फीसदी अपने इलाज के बाद बदलाव देखेंगे और जानेंगे कि उनके शरीर में वायरस कम हो रहे है. अगर यह लक्ष्य कामयाब होता है तो दुनिया में कोई भी इस घातक बीमारी से पीड़ित नहीं रहेगा. 

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तस्वीर: picture-alliance/dpa/O. Berg

ब्रॉकमायर कहते हैं कि जर्मनी के हालात बेहतर हैं. यहां एचआईवी पॉजिटिव पीड़ितों में से 94 फीसदी का इलाज किया जा रहा है. एचआईवी का सेल्फ टेस्ट शुरू होने के बाद व्यापक स्तर पर बदलाव देखने को मिलेंगे.

एचआईवी के लेकर भारत में स्थिति

भारत में एचआईवी को लेकर हालात अन्य देशों की तुलना में बेहतर है. 2014 में एड्स प्रीविलेंस रेट के मुताबिक, भारत में कुल 0.26 फीसदी लोग एचआईवी से पीड़ित हैं. यह दुनिया में 90वें स्थान पर आता है. देश में दक्षिण और पूर्वी उत्तर राज्यों में एचआईवी पॉजिटिव मरीजों की संख्या अधिक पाई जाती है. भारत को व्यापक रूप से एड्स विरोधी कैंपेन को चलाने के लिए सराहना भी मिल चुकी है.

(रिपोर्ट- लरिसा वॉर्नेक)