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गौरक्षकों पर केंद्र और छह राज्यों को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस

७ अप्रैल २०१७

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये केंद्र और छह राज्यों को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों न स्वघोषित गौरक्षक दलों पर प्रतिबंध लगा दिया जाये. इस मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी.

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Indien Oberstes Gericht in Neu Delhi
तस्वीर: picturealliance/AP Photo/T. Topgyal

कोर्ट ने कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला की याचिका पर सुनवाई करते हुये ये नोटिस जारी किये हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार और गुजरात, राजस्थान, झारखंड, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक से सवाल किया है कि क्यों नहीं स्वयंभू 'गौ रक्षकदलों' पर विभिन्न जातियों और समुदायों बीच विवाद पैदा करने और हिंसा करने के चलते प्रतिबंध लगा दिया जाए. याचिका पर सुनवाई कर रही जस्टिस दीपक मिश्रा की बेंच ने केंद्र और राज्य सरकारों से तीन हफ्ते में जवाब मांगा है.

मामले की अगली सुनवाई 3 मई को होगी. याचिकाकर्ता के वकील संजय हेगड़े ने कोर्ट को बताया कि आम लोग इन गौरक्षकों कि हिंसा का शिकार हो रहे हैं. पिछले हफ्ते अलवर इलाके में हुई घटना का हवाला देते हुए याचिककर्ता ने गोरक्षा के नाम पर दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के लिये कोर्ट से हस्तक्षेप की मांग की. याचिका में कहा गया है कि ये कथित गौरक्षक दल कानून के दायरे के बाहर काम करते हैं और कानून को अपने हाथ में ले लेते हैं. पूनावाला ने अपनी याचिका में गुजरात के उना इलाके में हुई घटना का भी जिक्र किया जिसमें सात दलितों की पिटाई की गई थी, जो पशुओं का चमड़ा उतारने का काम करते थे. उन्होंने बताया कि कुछ ऐसे ही मामले मध्य प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र और आंध्रप्रदेश में भी सामने आये थे.

पूनावाला ने अपनी याचिक में कहा, "अधिकतर घटनाओं में पुलिस और अन्य कानूनी एजेंसिया भी शामिल हो जाती हैं या मूक दर्शक बन इसे देखती रहती हैं. इसलिये केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे गुटों के खिलाफ आवश्यक और तत्काल कार्रवाई के लिये निर्देश दिये जाने चाहिये. ये गौरक्षक दल लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर हमला कर रहे हैं. पिटाई करना, उन्हें सजा देना, किसी पर पेशाब करना, किसी को गाय का गोबर खाने के लिये मजबूर करना, लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा पर हमला है और कोर्ट को इसमें हस्तक्षेप कर आम लोगों को ऐसे संगठनों से बचाना चाहिये."

वहीं गुरुवार को संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने अलवर की घटना पर राज्यसभा में दिये अपने जवाब में कहा था कि जिस तरह का मामला मीडिया में बताया जा रहा है, ऐसा कुछ भी अलवर में नहीं हुआ. नकवी के बयान के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा, "मुझे बहुत अफसोस है कि मंत्री जी को इतनी कम जानकारी है. यहां तक कि न्यूयॉर्क टाइम्स को भी यह बात पता है लेकिन मंत्री जी इस बारे में नहीं जानते."

शुक्रवार को भी नकवी के इस बयान से राज्यसभा में गहमागहमी बनी हुई है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस नकवी से माफी की मांग कर रहा है.

एए/एके