गोल्डमैन सैक्स पर 55 करोड़ डॉलर का जुर्माना
१६ जुलाई २०१०अमेरिका की वित्तीय नियामक संस्था एसईसी ने न्यूयार्क में बताया है कि विवादास्पद वित्तीय उत्पाद के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी गलत देने या छुपाने के कारण गोल्डमैन सैक्स पर यह ज़ुर्माना किया गया है. 55 करोड़ में से 25 करोड़ डॉलर उन निवेशकों को हर्जाने में दिया जाएगा, जिन्होंने इसमें धन लगाया था. बाकी 30 कोरोड़ डॉलर सरकारी खजाने में जाएगा.
वित्तीय संकट में बैंकों की भागीदारी और लापरवाही के कारण अब उन पर कड़ाई की जा रही है. एसईसी गोल्डमैन सैक्स पर सिविल मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहा था. निगरानी अधिकारी एबैकस नामक जिस वित्तीय उत्पाद की आलोचना कर रहे हैं, वह संदेहपूर्ण कर्ज़ों पर आधारित है जिसे बाद में वित्तीय संकट का कारण बताया गया है.
शेयर बाज़ार पर निगरानी रखने वाली अमेरिकी संस्था का गोल्डमैन सैक्स पर आरोप है कि उसने विवादास्पद उत्पाद ठीक उस समय शुरू किया जब अमेरिका का रियल इस्टेट बाज़ार चरमराना शुरू हो गया था. दुनिया भर में प्रसिद्ध इंवेस्टमेंट बैंक ने यह जानकारी छुपा ली कि उसके सबसे महत्वपूर्ण ग्राहक इंवेस्टमेंट फंड पॉलसन ने इस उत्पाद को बाज़ार में लाने के लिए दबाव डाला था और साथ ही इस बांड के भाव के गिरने पर दाव लगा रहा था.
एसईसी के अनुसार इस वित्तीय उत्पाद के पीछे तथाकथित एसेट बैक्ड सिक्योरिटी बांड थे जिन्हें वित्तीय संकट के लिए ज़िम्मेदार माना जाता है. इस तरह के बांड में कई प्रकार के कर्ज़ को जोड़ दिया जाता है कर्ज़ और पूंजी बाज़ार को एक दूसरे के साथ जोड़ने वाले इस उत्पाद का लक्ष्य भुगतान की समस्या के खतरे को कम करना है. ऐसे बॉन्ड का कारोबार सारे विश्व में हो रहा था. लेकिन चूंकि बैंकों ने अमेरिका में संकट से पहले बड़े पैमाने पर संदेहास्पद कर्ज़ दे रखा था, जिसमें कर्ज़ लेने वाले उसका भुगतान करने की स्थिति में नहीं थे, इनका भाव कम होता गया.
गोल्डमन सैक्स ने निवेशकों को आश्वासन दिया था कि इस उत्पाद को सुरक्षा देने वाले बॉन्ड का चुनाव स्वतंत्र कंपनी ने किया था. लेकिन दरअसल वह पॉलसन द्वारा प्रभावित था. एसईसी का आरोप है कि पॉलसन ने इस उत्पाद को बाज़ार में लाने के लिए गोल्डमैन सैक्स को डेढ़ करोड़ डॉलर दिया, जबकि इस उत्पाद में धन लगाने वाले निवेशकों का एक अरब डॉलर का नुकसान हुआ. प्रभावित बैंकों में जर्मनी का लगभग दिवालिया हो गया बैंक आईकेबी भी है.
रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा
संपादन: एन रंजन