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गोलीबारी से बचने बचाने की ट्रेनिंग का नायाब तरीका

३० दिसम्बर २०१७

अमेरिका के एक स्कूल के मुख्य दरवाजे से एक शूटर असॉल्ट राइफल से ताबड़तोड़ फायरिंग करता है और फिर धमाका करते हुए हॉल की तरफ बढ़ता है. बच्चे जान बचाने के लिए चीखते हैं और कुछ भय के कारण जम से गए हैं.

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USA East Peoria Virtuelles Training von Polizisten für Schießerein
तस्वीर: picture-alliance/AP/Journal Star/D. Zalaznik

ऐसी हालत में टीचर जल्दी से निर्णय लेने की कोशिश करते हैं. वे सोचते हैं कि दरवाजों को बंद करें या फिर अपने छात्रों के भागने के लिए रास्ता बनाएं. हाथों में बंदूक लिए पुलिस अधिकारी आते हैं और रास्ता बना कर स्कूल में घुसते हैं. आखिरकार उनका सामना शूटर से हुआ और फिर खतरे का अंत.

USA Utah - Polizisten suchen nach Schützen auf dem Campus der Universität von Utah
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/The Salt Lake Tribune/R. Egan

उच्च तकनीक वाली वीडियो गेम का इस्तेमाल कर अमेरकी सेना और होमलैंड सिक्योरिटी डिपार्टमेंट ने कंप्यूटर आधारित यह सिम्युलेटर तैयार किया है जो यह सिखाता है कि स्कूल में शूटिंग हो तो उस वक्त क्या करें. ट्रेनिंग सेंटर ऑरलैंडों की सेंट्रल फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी में है.

इस ट्रेनिंग में लोगों को अलग अलग भूमिकाओं में फिट होने का मौका मिलता है. इसकी मदद से दुनिया में किसी को भी कंप्यूटर के जरिए ट्रेन किया जा सकता है. इस प्रोजेक्ट की चीफ इंजीनियर तमारा ग्रिफिथ कहती हैं, "टीचरों के साथ क्या है कि वे कभी भी खुद को ऐसी जगह नहीं पाते कि जब उनके आसपास से गोलियां गुजर रही होंगी. दुर्भाग्य से यह सच्चाई बनती जा रही है. हम टीचरों को यह सिखाना चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं के वक्त कैसे हरकत में आना है."

56 लाख डॉलर के इस प्रोजेक्ट का नाम रखा गया है 'एनहेन्स्ड डायनेमिक जियो सोशल एनवायरनमेंट' या ईडीजीए. यह ठीक वैसा ही है जैसे कि सेना अपने सैनिकों को हमले की रणनीति और परिस्थितियों के बारे में बताने के लिए वर्चुअल एनवायरनमेंट का इस्तेमाल करती है.

वास्तव में इसे पुलिस और दमकल विभाग के लिए तैयार किया गया था लेकिन आम नागरिकों के लिए तैयार किए वर्जन का विस्तार कर इसे स्कूलों तक पहुंचाया गया है. होमलैंड सिक्योरिटी के अधिकारियों का कहना है कि स्कूल वाला संस्करण 2018 में वसंत ऋतु में लॉन्च कर दिया जाएगा.

प्रोजेक्ट मैनेजर बॉब वाकर ने बताया कि हर चरित्र के पास इसमें कई विकल्प है यहां तक कि इसमें विलेन के लिए भी. जैसे कि हर टीचर को अपने छात्रों को सुरक्षित रखने के सात विकल्प मिलते हैं और कुछ छात्र ऐसे भी होंगे कि डर के मारे कुछ करेंगे ही नहीं. तो ये एक और समस्या होगी जिससे उन्हें जूझना होगा. वाकर ने कहा, "जब आप बच्चों की चीख पुकार सुनते हैं तो यह बिल्कुल असल जैसा बन जाता है." प्रोग्राम में शूटर कोई बड़ा या फिर बच्चा भी हो सकता है.

USA Schießerei in Grundschule von San Bernardino
तस्वीर: Getty Images/D. McNew

प्रोग्राम तैयार करने वालों ने असल घटनाओं के टेप सुने ताकि ऐसी जगहों पर होने वाली उलझनों और अफरातफरी को समझ सकें. ग्रिफिथ ने बताया कि उन्होंने 2012 की गोलीबारी में मारे गए एक बच्चे की मां से भी बात की थी जिन्होंने पूरा ब्यौरा दिया था कि उस दिन क्या हुआ. ग्रिफिथ ने कहा, "आपके रोंगटे खड़े हो जाते हैं जब यह सोचते हैं कि टेप में शामिल आवाजों के साथ क्या हुआ था." हालांकि इससे एक प्रमुख मकसद पूरा हो रहा है, ट्रेनिंग दी जा रही है कि ऐसी स्थिति में टीचर को क्या करना है. 

जून में जारी ईडीजीई के एक दूसरे कार्यक्रम में एक गोलीबारी का दृश्य है जिसमें 26 मंजिलों वाले होटल में गोलीबारी की घटना है. इसें अलग अलग संभावित वातावरण दिखाए गए हैं जैसे कि कांफ्रेंस सेंटर, रेस्टोरेंट, या फिर ऑफिस की जगह. इसें एक साथ 60 लोगों को ट्रेनिंग दी जा सकती है. इन सब कार्यक्रमों का मकसद एक ही है कि गोलीबारी जैसी घटनाओं में हादसे की जगह पर मौजूद लोग जिन्हें सबसे पहले हरकत में आना है उन्हें ऐसी स्थितियों का सामना करने के लिए तैयार किया जाए.

एनआर/एके (एपी)