गुमनामी से शोहरत की ओर बफाना बफाना
६ जून २०१०बफाना का जुलू भाषा में मतलब है द बॉयज़ यानी लड़के. दक्षिण अफ्रीकी टीम के ये लड़के रोनाल्डो या जिदान जैसे बड़े नाम वाले तो नहीं हैं लेकिन पिछले मैचों में उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया है. 1992 में अच्छे प्रदर्शन के बाद दक्षिण अफ्रीका की टीम को ये नाम मिला. हाल में उनके ज़बरदस्त प्रदर्शन के कारण दक्षिण अफ्रीका के लोगों में टीम के लिए एक बार फिर प्यार जगा है. पिछले विश्व कप के बाद इसी टीम से प्रायोजकों ने मुंह मोड़ लिया था.
टीम के कप्तान आरोन मोकोएना अफ्रीका दक्षिण अफ्रीका के सबसे ज़्यादा मैच खेलने वाले खिलाड़ियों में हैं और वर्ल्ड कप के स्टार खिलाड़ी भी. 29 साल के मोकोएना म्बाज़ो यानी कुल्हाड़ी के नाम से मशहूर हैं और दक्षिण अफ्रीका की टीम में वे सेंट्रल डिफेन्डर के तौर पर खेलते हैं. वहीं इंग्लिश क्लब में वे अलग अलग मिडफील्ड पोज़िशन पर खेलते हैं. वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका की तरफ़ से वे एक बड़ा आकर्षण रहेंगे.
कोच की कामयाबी
ब्राज़ील में पैदा हुए कार्लोस अलबर्टो पारैया टीम के कोच हैं और उनके कोच बनने के बाद से टीम के प्रदर्शन में बहुत सुधार आया है. टीम में मैक्कार्थी, डेलरोन बकले,थेको मोडिसे, अनुभवी खिलाड़ी हैं तो त्सेपो, सिबोनिसो जैसे नए खिलाड़ी भी.
बफाना बफाना की फिलहाल दुनिया में 83वीं रैंकिंग है. मेज़बान होने की वजह से उसे ग्रुप ए में जगह मिली है. बढ़िया फॉर्म की वजह से उम्मीद बन गई है कि पहला राउंड जीत कर टीम दूसरे दौर में चली जाएगी. ये विश्व कप कोच पारैया के लिए भी एक चुनौती है.
फीफा के अध्यक्ष सेप ब्लैटर का कहना था कि ये देखना हमेशा उत्साह बढ़ाता है कि देश टीम के खिलाड़ियों के साथ है. हमेशा जीतने वाली पार्टी होना अच्छी तैयारी है. “मुझे लगता है कि अब दक्षिण अफ्रीका में बफाना बफाना के लिए माहौल बहुत अच्छा है और ये उनके लिए 12वें खिलाड़ी की तरह काम करेगा.“
मुश्किल मुकाबला
हालांकि ग्रुप ए में उनका मुकाबला दो पूर्व चैंपियनों फ्रांस और उरुग्वे से है. 11 जून को दक्षिण अफ्रीका का पहला मैच मेक्सिको से होगा. दक्षिण अफ्रीका की बफाना बफाना टीम भले ही अभी एक मशहूर टीम के तौर पर नहीं खड़ी हुई हो लेकिन उसके खिलाड़ी जर्मनी, इंग्लैंड, बेल्जियम, ग्रीस, इस्राएल, हॉलैंड और रूस के कई क्लबों में खेल रहे हैं.
इतिहास
ब्रिटिश सत्ता के साथ दक्षिण अफ्रीका में फुटबॉल आया ठीक वैसे ही जैसे भारत में क्रिकेट मशहूर हुआ. 26 सितंबर 1961 को फीफा कांफ्रेंस में दक्षिण अफ्रीका को फीफा से निलंबित कर दिया गया. फीफा की मांग थी कि दक्षिण अफ्रीका की टीम में नस्लभेद नहीं होना चाहिए. दक्षिण अफ्रीका का संविधान कहता था कि राष्ट्रीय टीम में या तो सिर्फ़ गोरे खेलें या फिर सिर्फ काले. इसी आधार पर वह 1957 के अफ्रीकन कप ऑफ नेशन्स में नहीं खेल सका.
लेकिन फिर फीफा के अध्यक्ष सर स्टेनले रो की बार बार कोशिश पर 1963 में दक्षिण अफ्रीका की टीम को फीफा की सदस्यता मिली. लेकिन टीम ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना पहला मैच 7 जुलाई 1992 को डरबन में कैमरून के खिलाफ खेला और 1996 में अफ्रीका कप की चैंपियन टीम बनी. 1998 और 2002 में वह विश्व कप के लिए क्वालिफाई तो हुई लेकिन ग्रुप मैचों से आगे नहीं बढ़ी.
2010 में विश्व कप की मेज़बानी के साथ बफाना बफाना (लड़के) ग्रुप ए में है. विजेता बनने का ख्वाब अभी सिर्फ ख्वाब है, इस बार तो सबसे बड़ी चुनौती पहले दौर को पार करने की ही है.