गुजरात में "हिटलर" से बवाल
२ सितम्बर २०१२राजेश शाह ने अपनी दुकान का नाम "हिटलर" रखा. दुकान की होर्डिंग पर नाम के साथ नाजी शासन के चिह्न के तौर पर इस्तेमाल की जाने वाली स्वास्तिक भी बनाई गई. शाह ने पत्रकारों को बताया कि अहमदाबाद में रह रहे करीब 500 यहूदी उनके पास आए और दुकान का नाम बदलने की मांग की. भारत में इस्राएली दूतावास ने भी दुकान के नाम पर कड़ी आपत्ति जताई है.
वास्तव में शाह को इस नाम की अहमियत का पता ही नहीं था. उन्होंने कहा, "हमारा मकसद किसी को ठेस पहुंचाना नहीं था. हम कुछ दिनों में दुकान के नाम को बदलने पर विचार करेंगे." शाह के मुताबिक उन्होंने अपने वकील से बात की है और भारतीय कानून के मुताबिक इसमें कोई परेशानी नहीं है.
शाह का कहना है कि उन्हें नाजी शासक हिटलर के बारे में कुछ खास नहीं पता था. उन्होंने दुकान का नाम अपने बिजनेस पार्टनर के दादा के बारे में सोच कर रखा था. वह बहुत सख्त मिजाज के थे और उनका परिवार उन्हें "हिटलर" बुलाया करता था. शाह का कहना है कि नाम से उन्हें फायदा हुआ, उनका बिजनेस काफी अच्छा चल रहा है.
इस्राएल के दूतावास को यह बात पसंद नहीं आई. राजदूत ओर्ना सागिव ने बीबीसी को बताया कि उन्हें इस असंवेदनशील व्यवहार से काफी हैरानी हुई है. भारत में भी फ्रेंड ऑफ इस्राएल नाम के एक संगठन ने इसके खिलाफ एक ऑनलाइन अर्जी जारी की है. संगठन के प्रमुख निकितिन कॉन्ट्रैक्टर ने कहा है कि गुजरात महात्मा गांधी का प्रदेश है और लोग यहां हिटलर जैसे नस्लवादी और यहूदियों के जनसंहार के लिए जिम्मेदार शख्स का प्रचार कर रहे हैं.
भारत और दक्षिण एशिया में ज्यादातर लोगों को नाजी शासक हिटलर के बारे में खास जानकारी नहीं है. अकसर लोग सख्त मिजाज वाले लोगों का मजाक उड़ाते हुए उसे हिटलर कहते हैं. लेकिन 1930 के दशक में जर्मनी में नाजी शासन के दौरान नस्लवादी सरकार ने लगभग 60 लाख यहूदियों को यातना शिविरों में कैद किया और उन्हें बेरहमी से मारा.
एमजी/एनआर(डीपीए)