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गाना गाने वाला रोबोट म्योन

२९ मई २०१४

थिएटर के बीचों बीच खड़ा एक रोबोट गाना सीख रहा है, या कहें गाने की नकल कर रहा है. म्योन नाम के रोबोट को ओपेरा स्टार बनाने की तैयारी है. क्या गाना गा पाएगा रोबोट.

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Projekt Myon

बर्लिन की हुम्बोल्ट यूनिवर्सिटी की कंप्यूटर साइंस लैब न्यूरोबोटिक्स रिसर्च लैबोरेट्री (एनआरएल) में खुद से काम करने वाले रोबोट तैयार किए जा रहे हैं. यानि ये ठीक उसी तरह सीखेंगे जैसे बिलकुल छोटे बच्चे सीखते हैं. चाहे वो भाषा हो या गाना. लैब की वेबसाइट पर लिखा है, "हमारी रुचि खास तौर पर माहौल के हिसाब से बदलने वाले और मजबूत व्यवहार में है. बदलाव का मतलब है कि व्यवहार माहौल और रोबोट के शरीर के हिसाब से बदल सके. इसलिए जरूरी है कि रोबोटों को सामान्य माहौल में घूमने फिरने दिया जाए."

इसी प्रयोग का अहम हिस्सा है म्योन नाम का रोबोट. सवा मीटर ऊंचा और 15 किलो का रोबोट ओपेरा स्टार बनने की राह पर है. गॉब स्क्वैड नाम की थिएटर कंपनी इसे स्टेज पर लाना चाहती है. फिलहाल ये बर्लिन के ओपेरा में ट्रेनिंग ले रहा है. 1950 के दशक में ब्रॉडवे म्यूजिकल माई फेयर लेडी काफी मशहूर हुआ था. अब करीब 60 साल बाद गॉब स्क्वैड का सपना है माई स्क्वायर लेडी का. इस समय नाटक की हिरोइन एक रोबोट है.

कंपनी की वेबसाइट पर नाटक की जानकारी में लिखा है, "हम इस आइडिया के काफी रोमांचित हैं क्योंकि म्योन की ट्रेनिंग के दौरान हमें निश्चित ही लगता है कि मानवता और उससे जुड़े कई सवाल हमारे दिमाग में पैदा होंगे. इंसान होना यानि क्या, भाव क्या हैं और हमें उनकी जरूरत क्यों है, क्या एक रोबोट को भी उसकी जरूरत है, हमें कृत्रिम इंटेलिजेंस की क्या जरूरत है. हमें ओपेरा ही क्यों चाहिए, क्या म्योन को भी एक स्टेज कॉस्ट्यूम की जरूरत है?"

गॉब स्क्वैड के साथ म्योन बर्लिन के ओपेरा में हर विभाग में जाएगा और संगीत और भावनाओं की जरूरत को समझेगा. रास्ता लंबा है और मुश्किलों से भरा भी. सफलता के साथ साथ कई विफलताएं खुशियां और आंसू होंगे, निश्चित ही म्योन के नहीं, बल्कि उसे ट्रेनिंग देने वालों के.

म्योन प्रोजेक्ट कितना सफल हो पाता है, इस बारे में 100 फीसदी जानकारी 2015 की गर्मियों में ही मिल सकेगी जब माई स्क्वायर लेडी नाम के ओपेरा के साथ म्योन स्टेज पर आएगा. ओपेरा हाउस और गॉब स्क्वैड दोनों के लिए ही ये प्रोजेक्ट एक बड़ी चुनौती होगा.

न्यूरोबोटिक लैब ने जानकारी दी, "म्योन के साथ हम दुनिया का पहला ऐसा ह्यूमैनॉयड रोबोट पेश कर रहे हैं जिसके शरीर के सभी हिस्सों को किसी भी प्रैक्टिस या प्रोजेक्ट के दौरान निकाला जा सकता है और फिर से लगाया जा सकता है. सभी हिस्से अपना काम फिर भी करते रहते हैं क्योंकि ये तीन मामलों में स्वायत्त हैं, ऊर्जा, गणन क्षमता और न्यूरल नेटवर्क. ये पूरे रोबोट में फैले हुए हैं यानि विकेन्द्रीकृत हैं." दोनों हाथ और पैर क्रॉस लिंक हैं और एक साथ काम करते हैं.

ओपेरा में गाना सीखने के दौरान म्योन से ज्यादा मुश्किलें इंसानी कलाकारों को आती हैं.

शोधकर्ता मानफ्रेड हिल्ड इसका कारण बताते हैं, "अगर आप ला या ले बोलते हैं, ओ ऑ या औ, यह रोबोट को बहुत अलग से लग सकते हैं." कलाकारों को रोबोट की मदद करनी होगी. बारको़ड की मदद से म्योन अपनी प्रतिक्रिया देता है या नए भाव सीखता है. यह बच्चे की तरह सीखता है, नकल करके. म्योन में कुछ भी प्रोग्राम नहीं किया गया है. यह कोई कठपुतली नहीं है, वह बाकी कलाकारों के साथ मिलकर गाएगा.

जाहिर है कि वह मनुष्य जैसा महसूस तो नहीं करता लेकिन हर बदलाव वह रजिस्टर जरूर करता है. हालांकि वैज्ञानिक अभी ये निश्चित नहीं बता सकते कि रोबोट कौन सी जानकारी इस्तेमाल करेगा और कौन सी नहीं.

रिपोर्टः आभा मोंढे

संपादनः ए जमाल