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गांधीवादी भारतीयों को वैकल्पिक नोबेल

२ अक्टूबर २००८

भारत के गांधीवादी दंपति को वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार से नवाज़ा गया है. तमिलनाडु के ये पति पत्नी कृष्णम्मास और शंकरलिंगम जगन्नाथन समाज सुधारक हैं.

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गांधीवादी कृष्णम्मल जगन्नाथनतस्वीर: AP

भारतीय दंपति कृष्णम्माल और शंकरलिंगम जगन्नाथन गांधीवादी समाज सुधारक हैं और विनोबा भावे के सर्वोदय आन्दलोन का 21वीं सदी में भी अलख जगाये हुए हैं. उनके नामों की घोषणा करते हुए राइट लावलीहुड संस्था के संचालक ओले फ़ॉन उएक्सक्युल ने कहा, "प्रथम विजेता हैं कृष्णम्माल और उन के पति शंकरलिंगम जगन्नाथन. दोनों ने मिल कर भारत में लाफ्टी नाम की संस्था बनायी है. लाफ्टी का अर्थ है लैंड फ़ॉर टिलर्स फ्रीडम, काश्तकारों की मुक्ति के लिए भूमि. उन्हें सामाजिक न्याय और टिकाऊ विकास के गांधीवादी दर्शन के लिए उनके आजीवन कार्य के सम्मान में यह पुरस्कार दिया जा रहा है". कृष्णम्माल इस समय 82 वर्ष की हैं. उनके पति 96 वर्ष के हैं.

Alternativer Nobelpreis 2008 für Amy Goodman
अमेरिकी पत्रकार एमी गुडमैनतस्वीर: picture-alliance/dpa

नोबेल पुरस्कार समिति की तरह ही स्वीडन की एक और संस्था है राइट लाइवलिहुड. यह 1980 से विश्व के ऐसे चुने हुए लोगों को पुरस्कृत करती है, जिन्होंने सामजिक विकास और मानवीय उत्थान की दृष्टि से अनुकरणीय कार्य किया है. यह पुरस्कार वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार के नाम से प्रसिद्ध हो गया है और अब तक 56 देशों के 128 लोगों को इससे सम्मानित किया जा चुका है.

कृषणम्माल एक भूमिहीन दलित परिवार में पैदा हुई थीं. उनके पति शंकरलिंगम जगन्नाथन एक धनी परिवार से थे. दोनो गांधीजी के सत्याग्रह आन्दोलन के समय एक दूसरे से मिले. शंकरलिंगम 1942 वाले भारत छोड़ो आन्दोलन के समय तीन साल जेल में भी रहे. दोनों 1950 में परिणय सूत्र में बंधे और उसके बाद संत विनोबा भावे के भूदान आन्दोलन के साथ जुड़ गये.

विनोबा भावे के बाद भी जगन्नाथन दंपति ने समाज सुधार और ग्रामीण विकास का व्रत छोड़ा नहीं. 1981 में उन्होंने अपनी संस्था लाफ्टी की नींव डाली, जिसका मुख्य उद्देश्य भूमिहीन काश्तकारों को उचित मूल्य पर भूमि दिलना और उनके जीवन में उत्थान लाना है. कृष्णम्माल के शब्दों में, जिन्हें लोग अब प्रेम और आदरभाव से अम्मा कहते हैं, "दलितों की मुक्ति के लिए उनके जीवन स्तर में उत्थान लाना ज़रूरी है...ग़रीबी बहुत अपमानजनक चीज़ है."

Monika Hauser gewinnt "alternativen Nobelpreis"
जर्मनी की मोनिका हाउज़रतस्वीर: AP

वैकल्पिक नोबेल पुरस्कार मिलने ख़बर के तुरंत बाद रेडियो डॉयचे वेले से टेलीफ़ोन पर उन्होंने कहा, "यह एक दैवीय उपहार है. मैं भगवान से प्रार्थना कर रही थी कि मुझे आय का कोई स्रोत दो. मेरी प्रार्थना ने ही अब मुझे यह उपहार दिलाया है." कृष्णम्माल अपने पुरस्कार का दलितों के उद्धार के लिए उपयोग करेंगी.

भारत के जगन्नाथ दंपति के अलावा वैकल्पिक पुरस्कार जर्मनी में कोलोन की रहने वाली डॉक्टर मोनिका हाउज़र, अमेरिका की पत्रकार एमी गुडमैन और सोमालिया में शांति स्थापना के लिए प्रयत्नशील असहा हाजी को भी मिला है. पुरस्कार की धनराशि 3 लाख 10 हज़ार डॉलर चारो विजेताओं के बीच बांट दी जायेगी.