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गर्भ निरोधक गोली के 50 साल

७ मई २०१०

कई इसे महिलाओं की आज़ादी के लिए बहुत बड़ा अविष्कार मानते हैं.कुछ कहते हैं प्रकृति से खेलना अच्छा नहीं, वहीं धार्मिक वृत्ति के लोग इसे भगवान की इच्छा में हस्ताक्षेप मानते हैं. बात है ऐंटीबेबी पिल यानी गर्भ निरोधक गोली की.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

50 साल पहले अमेरिका में पहली बार गर्भ निरोधक गोलियां प्रचलन में आई थी. नए आंकड़े कहते हैं कि इस वक्त दुनिया भर में करीब 10 करोड़ महिलाएं इन पिल्स का इस्तेमाल कर रहीं हैं और इसके साथ खुद फैसला कर सकतीं हैं कि कब उन्हें बच्चे चाहिए और कितने. तथ्य यह भी है कि यह गोली आपको यौन संबंधों से होने वाले गंभीर रोगों से, उदाहरण के लिए एड्स से, नहीं बचा सकती.

क्रांतिकारी अविष्कार

महिलाओं के समान अधिकारों के लिए लड़ने वाली कई कार्यकर्ता कहतीं हैं कि ऐंटीबेबी पिल का अविष्कार एक क्रांति जैसा था, उससे महिलाओं की ज़िंदगी में बहुत से बदलाव आये हैं. शुरू शुरू मे निर्माता कंपनियां विज्ञापनों में कहती थीं कि यह पिल ऐसी जादू की छड़ी के समान है, जिसके ज़रिए दुनियाभर में गरीबी, भुखमरी और बेरोज़गारी का सामना किया जा सकता है, खासकर विकासशील देशों में. वहां जब परिवारों में बच्चे कम होंगे, तब सभी बच्चे स्कूल जा पाएंगे. महिलाओँ की सेहत बेहतर बनेगी. परिवारों का जीवनस्तर सुधरेगा. फार्मास्यूटिकल कंपनी बायर शेरिंग फार्रमा के क्लाउस ब्रिल कहते हैं, "हमें सोचना चाहिए कि हम कैसे महिलाओं को सक्षम बना सकते हैं कि वे अपनी ज़िंदगी और अपने भविष्य का फैसला अपने हाथों में लें. वे खुद यह फैसला कर सकें कि कब बच्चा चाहतीं हैं और कब गर्भधारण से बच सकतीं हैं. यदि हम दुनियाभर में अनचाहे जन्मों की संख्या कम कर सकें, तो कहीं ज़्यादा बच्चों को शिक्षा मिल सकती हैं, हम उनका पेट भर सकते हैं और उनका अपना भविष्य रोशन हो सकता है."

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अनचाहे गर्भ से बचने का उपायतस्वीर: picture-alliance/ZB

मुश्किलें और भी

किसी हद तक यह सच भी है. लेकिन यह भी सच है कि बहुत सारे विकासशील देशों में, उदाहरण के लिए भारत में भी, गर्भनिरोधक गोली पाना आसान नहीं है.लोगों में व्याप्त रूढ़िवादी ख़यालों के चलते इस गोली का इस्तेमाल करना उचित नहीं माना जाता और वह काफी मंहगी भी है. यौन संबंधी विषयों पर बातचीत करना भी उचित नहीं माना जाता और ज़्यादा बच्चों का होना बुढ़ापे का सहारा माना जाता है.

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कई तरह की गर्भ निरोधक गोलियां बाज़ार मेंतस्वीर: picture alliance / dpa

कैसे काम करती हैं

वैसे, गर्भनिरोधक गोली कैसे काम करती है? वह वास्तव में स्त्री हॉर्मोन गेस्टाजन के आधार पर बनी एक दवा है. उसे लेने पर शरीर को ऐसा लगता है कि उसके अंदर गर्भ पल रहा है, क्योंकि, जैसा कि गर्भ ठहर जाने पर होता है, वह डिंबाणु कहलाने वाले स्त्री बीजाणु के पकने और डिंबाशय से उसके स्खलन की क्रिया को दबाती है और साथ ही शुक्राणुओं को गर्भाशय में पहुंचने से रोकती है. महिलाओं को 21 दिन तक हर दिन एक गोली लेनी होती है और फिर 7 दिन का ब्रेक होता है. यह महिलाओं के मासिकधर्म वाले 28 दिनों के प्राकृतिक चक्र की नकल के समान है. जर्मनी की ऊटे श्टालमाईस्टर का कहना है कि महिलाओं को पिल के सही इस्तमाल के बारे में अवगत कराना बहुत ज़रूरी है, "अगर आप पिल और कंडोम की तुलना करें, तो मैं कहूंगी कि पिल लेने वाली महिलाओं को ज़्यादा ज़िम्मेदारी दिखानी होती है क्योंकि उन्हे नियमित रूप से हर दिन अपनी गोली लेनी होती है. अफसोस की बात यह है कि आजकल की महिलाओं को पिल के साईड ईफेक्ट्स को लेकर ग़लतफ़मियां हैं. इसलिए इस पिल की तरफ आकर्षित हुई आधी से ज़्यादा महिलाएं अंत में उसे छोड़ देने का फैसला करतीं हैं.

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कई देशों में अब भी एंटी बेबी पिल्स का विरोधतस्वीर: DW

साइड इफेक्ट्स

साईड ईफेक्ट्स के कुछ एक मामलों में रक्तवाहिकाओं में ख़ून के थक्के जम जाने, उबकाई या मितली आने, सिरदर्द होने और वज़न बढ़ने लगने की शिकायतें देखी गयी हैं. पश्चिमी देशों में एंटीबेबी पिल तब एक दवा के तौर पर भी महिलाओं को दी जाती है जब उनके शरीर में हॉर्मॉनों की गडबडी देखने में आती है. साथ में यह भी देखा गया है कि जिन महिलाओं की त्वचा में बहुत गडबडी है, उनकी त्वचा भी किसी हद तक इस पिल से ठीक हो सकती है, जैसे कि चेहरे पर के मुहांसे. जर्मनी में पिल प्रचलन में आने के दशकों बाद तक सिर्फ शादीशुदा महिलाओं को ही मिल सकती थी. प्लैंड पैरंटहुड नाम की संस्था की पूर्व निदेशक इंगार ब्रुएगेमान कहतीं हैं कि पिल के अविष्कार के पहले बहुत सी महिलाओं पर हमेशा दो तरफा बोझ रहता था. एस तरफ वे अपने पति को खुश करना चाहतीं थीं, दूसरी तरफ वे खुद आनंद नहीं ले पाती थीं, क्योंकि उन्हें हमेशा यह डर रहता था कि वे कहीं गर्भवती न हो जायें. गर्भ से उनके करियर या निजी ज़िंदगी में समस्याएं पैदा हो सकती थीं. आंकड़ें दिखाते हैं कि पिल गर्भपात से बचने के लिए सबसे सुरक्षित माध्यम है. “विवाह बेशक एक अनिवार्यता थी. लेकिन, यह भी था कि किसी एक ग़लत रात के कारण ग़लत लोग शादी कर बैठते थे. तो, इस तरह महिलाओं पर भारी दबाव रहता था. मैं ऐसी कई युवा महिलाओं के बारे में जानती हूँ, जिन्होंने गर्भ के कारण आत्महत्या तक कर ली.“

जर्मनी की मुश्किल

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परिवार नियोजन का अच्छा साधनतस्वीर: AP

जर्मनी जैसे विकसित देशों में जन्मदर इतनी गिर गयी है कि कई बार वह मृत्युदर की भरपाई तक नहीं कर पाती. लेकिन, संसार के 49 सबसे कम विकसित देशों में जनसंख्या सबसे अधिक तेज़ी बढ़ रही है. अफ्रीकी महाद्वीप पर की जनसंख्या अगले 40 वर्षों में दुगुनी हो जायेगी. वहां सहारा रेगिस्तान के दक्षिण में पड़ने वाले देशों में हर महिला के औसतन 5.3 बच्चे होते हैं. दूसरी ओर, गर्भ संबंधी कारणों से अफ्रीका के नाइजर देश में मृत्यु का अनुपात सात के पीछे एक है, जबकि स्वीडन में 17 हज़ार के पीछे केवल एक.

संयुक्त राष्ट्र के आंकड़े

संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गर्भनिरोधक उपायों से संसार में हर साल क़रीब 30 लाख बच्चों की ज़िंदगी बच जाती है. कारण यह है कि जन्मनिंयंत्रण से ग़रीबी घटती है, जनसंख्या वृद्धि की दर कम होती है और इस सबसे पर्यावरण पर बोझ भी घटता है.

गर्भनिरोधक उपाय परिवार नियोजन में सहायक बनते हैं. विकसित देशों में 1960 में दस प्रतिशत से भी कम शादीशुदा महिलाएं गर्भनिरोधक उपाय अपना रही थीं, सन 2000 में यह अनुपात 60 प्रतिशत हो गया था.

रिपोर्टः प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः आभा मोंढे

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