1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

गठिये की जड़ तक पहुंचते वैज्ञानिक

२४ अप्रैल २०१७

गठिया अब तक लाइलाज बीमारी बना हुआ है. डॉक्टरों को असल में पता ही नहीं चल पाता कि दर्द छुपा कहां हैं. जर्मन वैज्ञानिक इसकी काट खोजने के काफी करीब हैं.

https://p.dw.com/p/2bn7z
Medizin Muskelmann
तस्वीर: Colourbox

जर्मन शहर कोलोन के फंक्शनल डायग्नोस्टिक इंस्टीट्यूट में दर्द के कारणों का पता करने के लिए डॉक्टर मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम के जरिये मांशपेशियों और जोड़ों के मूवमेंट पर ध्यान देते हैं. इसमें मरीजों को स्कैन किया जाता है. इंफ्रारेड कैमरे की मदद से उनकी नाप ली जाती है.

इंस्टीट्यूट में ऑर्थोपेडिक्स के विशेषज्ञ डॉक्टर पॉल क्लाइन बताते हैं, "अब तक मरीजों में संरचनात्मक गड़बड़ियों का पता लगाने के लिए उन्हें खड़ा कर या सुला कर जांचा जाता था.  अब हमें पता है कि बहुत से मरीजों में कोई डिफेक्ट नहीं होता हालांकि वे दर्द से पीड़ित होते हैं. इसलिए गड़बड़ी का पता करने के लिए नये तरीकों की जरूरत है."

चलने और दौड़ने के लिए मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में जोड़, मांशपेशियां और लिगामेंट अत्यंत जटिल कोरियोग्राफी करते हैं. इसी वजह से दर्द का कारण आसानी से पता करना मुश्किल होता है. इसलिए कोलोन के डॉक्टर मरीजों के मूवमेंट को मापने वाला एक नया तरीका आजमा रहे हैं. इस बेहद जटिल विश्लेषण के लिए मरीज के शरीर पर मार्कर लगाये जाते हैं. इस प्रक्रिया में अत्यंत संवेदनशील इंफ्रारेड कैमरे हर मूवमेंट को तीनों आयामों में रजिस्टर करते हैं.

DW fit&gesund Krampf
दर्द के कई कारण हो सकते हैं.तस्वीर: NDR

साथ ही नीचे रखी एक मशीन जोड़ों पर पड़ रहे दबाव को और उसके इलेक्ट्रोड, मांशपेशियों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं.  इन आंकड़ों की मदद से डॉक्टर ज्यादातर मामलों में दर्द की वजह का पता कर लेते हैं. यहांम काम करने वाली डॉक्टर अंगेला होएने के मुताबिक, "हमारे पास बहुत से ऐसे मरीज आते हैं जिन्हें परंपरागत तकनीक से मदद न मिली हो. मरीजों की चलते समय जांच करने के हमारे तरीके से हम ज्यादातर मामलों में उनकी मदद कर सकते हैं और दर्द के कारणों का पता कर लेते हैं."

फंक्शनल डायग्नोस्टिक खासकर तब मदद करता है जब क्लासिकल ऑर्थोपेडी अपनी हदों तक पहुंच जाती है. एकदम छोटी गड़बड़ियां या गलत दबाव का भी पता चल जाता है. एक और नई खोज है शरीर के बाहरी हिस्से का ठीक ठीक मापा जाना. एक अत्यंत संवेदनशील 3-डी स्कैनर इंसानी शरीर की बाहरी सतह की ठीक ठीक तस्वीर देता है.

इससे मांशपेशियों और जोड़ों में गड़बड़ी वाली जगहों का पता चल जाता है. बाहरी सतह के स्कैन की मदद से जोड़ों में सूजन का पता चल जाता है. पहले यह काम इंच टेप से किया जाता था, लेकिन अब कुछ ही सेकंड में शरीर का पूरा ढांचा मिल जाता है. दर्द का इलाज करने करने की राह पर मूवमेंट के विश्लेषण से उपचार की नई संभावनाएं खुलती हैं.

(दर्द को मामूली न समझें)

महेश झा