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'गंदे धंधे' में फंसा एचएसबीसी

२२ जुलाई २०१२

भारतीय वित्त मंत्रालय की फाइनेंशियल इंटेलीजेंस यूनिट ने बहुराष्ट्रीय बैंक एचएसबीसी के खिलाफ जांच शुरू की. आरोप हैं कि ब्रिटेन के इस बैंक ने भारत के जरिए भारी मात्रा में संदिग्ध रकम का लेन देन करवाया.

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तस्वीर: dapd

काले धन पर काबू पाने वाले कानून के तहत फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (एफआईयू) ने एचएसबीसी के खिलाफ जांच शुरू की है. वित्त मंत्रालय के एक उच्च अधिकारी ने कहा, "जांच के नतीजे प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग जैसे संस्थानों के साथ बांटे जाएंगे." दुनिया के दूसरे सबसे बड़े सार्वजनिक बैंक पर आरोप है कि उसने आतंकवादियों के पैसे ट्रांसफर किए. उसने हवाला के जरिए लेन-देन किया. इसके अलावा बैंक पर काले धन को बाजार में लगाकर सफेद बनाने के आरोप भी हैं.

भारत ने एचएसबीसी पर लगे आरोपों को नियमों का गंभीर उल्लंघन करार दिया है. भारत के मुताबिक एचएसबीसी के कर्मचारियों ने वित्तीय लेन देन के लिए बनाये गए नियमों का उल्लंघन किया है. भारत के गृह सचिव आरके सिंह के मुताबिक सरकार मामले की तह तक जाएगी.

एचएसबीसी के खिलाफ ये आरोप हफ्ते भर पहले लगे. अमेरिका की एक संसदीय सब कमिटी ने जांच में पाया कि ब्रिटेन के इस बैंक ने भारत और अमेरिका के वित्तीय बाजारों का इस्तेमाल माफियाओं और आतंकवादियों के पैसे का लेन देन करने के लिए किया. बैंक पर मनी लॉड्रिंग और हवाला के आरोप भी हैं. जोखिम से बचने के लिए बैंक के कमजोर इंतजामों के चलते अरबों डॉलरों का संदिग्ध लेन देन हुआ.

अमेरिकी संसद की सब कमिटी के अध्यक्ष सीनेटर कार्ल लेविन ने कहा, "एचएसबीसी ने अपने अमेरिकी बैंकों को अमेरिकी वित्तीय बाजार के दरवाजे की तरह इस्तेमाल किया. दुनिया भर में एचएसबीसी की कुछ शाखाओं ने अमेरिकी बैंकिंग नियमों को तो़ड़ते हुए अपने ग्राहकों को अमेरिकी डॉलर मुहैया कराए."

रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको के एचएसबीसी ने 2007 से 2008 के बीच अपनी अमेरिकी शाखाओं को सात अरब डॉलर ट्रांसफर किए. मेक्सिको के अन्य बैंकों के ट्रांसफर की तुलना में यह रकम दोगुनी है. शुरूआती जांच में पता चला कि एचएसबीसी ने मेक्सिको, सऊदी अरब और बांग्लादेश जैसे देशों में बिना किसी नियंत्रण के अरबों डॉलर भेजे.

रिपोर्ट के मुताबिक एचएसबीसी ने भारत और अमेरिका के लचीले नियमों का फायदा उठाते हुए ये लेन देन किया. जांच रिपोर्ट के मुताबिक एक तिहाई संदिग्ध लेन देन एचएसबीसी इंडिया ने क्लीयर किए. 2007 में यूएस ऑफिस ऑफ द कम्पट्रोलर ऑफ द करेंसी के अधिकारी भारत आए. तब उन्होंने कहा कि भारत में एचएसबीसी का ढांचा वित्तीय लेन देन की निगरानी करने में कमजोर है.

भारतीय वित्त मंत्रालय के सूत्र के मुताबिक, "बैंक की यह जिम्मेदारी है कि वह संदिग्ध लेन देन के बारे में एफआईयू को जानकारी दे. अगर इसमें वह चूक गये तो एफआईयू भी चूकता है. अब एफआईयू ऐसे ही मामलों की जांच करेगा."

आरोपों के बाद एफआईयू एचएसबीसी इंडिया के 2007 से खाते खंगालना शुरू करेगी. बीते पांच सालों में बैंक की संदिग्ध लेन देन रिपोर्ट (एसटीआर) और नकद लेन देन संबंधी रिपोर्ट (सीटीआर) जांची जाएगी. यह पता लगाने की कोशिश होगी कि क्या बैंक ने अनिवार्य नियमों का पालन किया. एसटीआर में सभी खाताधारकों और उनके लेन देन की विस्तृत जानकारी होती है. सीटीआर में एक ही महीने के भीतर 10 लाख रुपये से ज्यादा के लेन देन या इतनी ही मात्रा में विदेशी मुद्रा के लेन देन की जानकारी होती है. एफआईयू प्रवर्तन निदेशालय और खुफिया विभाग को संदिग्ध वित्तीय लेन देन की जानकारी देता है. यह जानकारी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थानों से जुटाई जाती है.

ओएसजे/एमजे (पीटीआई, एपी)

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