खोरोकोस्की गबन के मामले में दोषी करार
२७ दिसम्बर २०१०रूसी समाचार एजेंसियों इतरतास और इंटरफैक्स की रिपोर्टों में कहा गया है कि खोरोकोस्की और उनके साथी प्लेतन लेबेदेव पर गबन और पैसे को गैर कानूनी रूप से बाहर भेजने के आरोप साबित हुए हैं. उन पर 1998 से 2003 के बीच खोरोकोस्की की युकोस तेल कंपनी से 21.8 करोड़ टन तेल के गबन करने के आरोप लगे.
बचाव पक्ष ने इन आरोपों को गलत बताया है. दोनों पर 16 अरब डॉलर बाहर भेजने और तेल के गबन से 7.5 अरब डॉलर हासिल करने के भी आरोप थे. बचाव पक्ष के वकीलों का कहना है कि वह अदालत के फैसले के खिलाफ अपील करेंगे.
अदालत के इस फैसले पर सब की नजर थी. खासकर इससे संकेत मिलता है कि प्रधानमंत्री व्लादिमीर पुति और राष्ट्रपति दिमित्री मेद्वेदेव के नेतृत्व में रूस किस दिशा में जाएगा. काफी समय से अटकलें जारी हैं कि पुतिन 2012 में फिर से राष्ट्रपति चुनाव लड़ कर क्रेमलिन में लौटना चाहते हैं. किसी जमाने में रूस के सबसे अमीर व्यक्ति रहे 47 वर्षीय खोरोकोस्की अब सबसे अहम कैदी हैं.
वह हेराफेरी से आरोपों में आठ साल से जेल में हैं. वहीं उनके समर्थक कहते हैं कि खोरोकोस्की को फंसाया गया है. अगले साल उन्हें रिहा होना था. लेकिन पिछले साल ही उन पर गबन और पैसे को गैर कानूनी रूप से बाहर भेजने के आरोप में नया मुकदमा शुरू हुआ. अब उन्हें 2017 तक जेल में रहना पड़ सकता है.
रूस की अहम मानवाधिकार कार्यकर्ता ल्युदमिला एलेक्सेयेवा का कहना है, "मुझे इसी तरह के फैसले की उम्मीद थी. लेकिन इससे मुझे निराशा हुई है." सोवियत संघ के पतन के बाद रूस में खोरोकोस्की का मुकदमा सबसे विवादास्पद मामला समझा जाता है. असल में खोरोकोस्की के समर्थकों का कहना है कि वह विपक्षी पार्टियों की आर्थिक मदद कर पुतिन को चुनौती देने की सजा भुगत रहे हैं. वहीं रूस के अधिकारी उन्हें एक ऐसे कारोबारी के तौर पर देखते हैं जिसने कानून तोड़ कर मुनाफा कमाया है.
अफरा तफरी के बीच सिर्फ चुनिंदा पत्रकारों को ही फैसले के वक्त अदालत में मौजूद रहने की अनुमति दी गई. जज विक्टर दानिलकिन ने अपने फैसले में कहा, "अदालत ने पाया है कि एम खोरोकोस्की और पी लेबेदेव ने कई लोगों के साथ मिल कर गबन किया."
सोमवार को फैसले से पहले अदालत के बाहर जमा खोरोकोस्की के समर्थकों ने "पुतिन के बिना रूस" और "स्टेट पुलिस मुर्दाबाद" के नारे लगाए. इंटरफैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिस ने 20 लोगों को गिरफ्तार किया है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः एस गौड़