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खेल खेल में बैंकिंग और शेयर बाजार के गुरुमंत्र

१८ अक्टूबर २०१०

हिसाब किताब की बात होती है तो युवा क्या, बड़े बड़े भी चकरा जाते हैं. इसीलिए कुछ जर्मन बैंक यूरोप के युवाओं के लिए खास कार्यक्रम चला रहे है जिसमें खेल खेल में बैंकिंग और शेयर बाजार से जुड़ी बारीकियां सिखाई जाती हैं.

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तस्वीर: dpa

वित्तीय संकट के बाद तो जर्मनी के युवाओं को बैंकों और शेयर बाजार पर बहुत कम भरोसा रह गया है. लेकिन ऐसे तो बात नहीं बनेगी. इसीलिए यह खास कार्यक्रम तैयार किया गया है जिसमें जीतने वाली टीम को 800 यूरो का ईनाम भी मिलता है. 800 यूरो यानी लगभग 50 हजार रुपये.

शेयर बाजार की ए बी सी

इसके तहत बेहद दिलचस्प तरीके से नौजवानों को शेयर बाजार के काम करने के तौर तरीकों के बारे में बताता है. 12 से 25 साल की उम्र के लोगों को म्युचुअल फंड, शेयर बाजार और बैंकों से जुड़ी सभी तकनीकी और व्यवहारिक बातें बताई जाती हैं. वह भी बहुत ही आकर्षक और आसान शब्दों में. जर्मन शहर ड्यूसलडॉर्फ में शेयर बाजार के प्रमुख डिर्क एल्बर्सकिर्श कहते हैं, "मुझे लगता है कि युवा लोग शेयरों के बारे में ज्यादा बात नहीं करते हैं क्योंकि वे उसके बारे में ज्यादा नहीं जानते. अब हाल ही में हम वैश्विक संकट से उबरे हैं, तो लोग लगभग रोज ही अख़बार में पढ़ते हैं कि वित्त बाजार को कितनी मुश्किलें झेलनी पड़ रही हैं और शेयर भी मार्केट का हिस्सा हैं."

Symbolbild Euro Geldscheine Löhne Lohn
तस्वीर: picture-alliance/chromorange

एल्बर्सकिर्श मानते हैं कि वित्त बाजार के बारे में युवाओं को समझाया जाना चाहिए. उन्हें बताना चाहिए कि कैसे शेयर बाजार से जुड़े जोखिमों को कम कर सकते हैं. खास कर हमेशा निवेश को अलग अलग क्षेत्रों में लगाया जाए ताकि खुद करके सीखने की इस प्रक्रिया में कोई बड़ा नुकसान न हो.

फायदा ही फायदा

श्पार्कासे बैंक जर्मनी और यूरोप में इस कार्यक्रम को 1983 से चला रहा है. इस खेल के तहत एक टीम में छह से आठ बच्चे होते हैं. हर टीम को काल्पनिक तौर पर 50 हजार यूरो दिए जाते हैं और अगर कॉलेज के छात्र हैं तो हर टीम को एक लाख यूरो दिए जाते हैं. हर टीम को 10 हफ्तों के समय के दौरान इन पैसों को वित्त बाजार में लगाना होता है. इस कार्यक्रम से जुड़ी ड्यूसलडॉर्फ के श्पार्कासे में मिशाएल होमायर कहती हैं, "वे अपने हिसाब से म्यूचुअल फंड खरीद सकते हैं, बेच सकते हैं. और इसे लंबे समय तक अपने पास रख सकते हैं. फायदे के लिए कारोबार कर सकते हैं. इस तरह वे खेल खेल में शेयर बाजार के बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं."

असल जीवन की तरह ही यहां कारोबार होता है. मसलन शेयर बाजार खुलता और बंद होता है. उसी तरह डिपो खुलने की घोषणा की जाती है और भागीदारों के पास 200 म्यूचुअल फंड के कारोबार का विकल्प होता है. अब वे अपनी पसंद की कंपनी का म्युचुअल फंड खरीदते हैं या फिर अपने जानकारी के मुताबिक बाजार का विश्लेषण करके कारोबार कर सकते हैं, यह उन पर निर्भर करता है. अगर वे चाहें तो अपने टीचर या श्पार्कासे के सलाहकार से मशिवरा कर सकते हैं. आखिरी दिन तक जो टीम सबसे ज्यादा मुनाफा कमाती है, उसे विजेता घोषित किया जाता है. विजेता टीम को इनाम के तौर पर 800 यूरो दिए जाते हैं.

निवेश का गुरुमंत्र

वैसे इनाम से कहीं बड़ी बात यह है कि इस तरह युवाओं को शेयर बाजार और बैंकिंग का अनुभव मिलता है. इस खेल में हिस्सा लेने अर्थशास्त्र अंटोनियो होफर कहते हैं, "किसी छात्र का वाकई यह सपना होता है कि उसे बाजार में निवेश करने के लिए एक लाख यूरो मिले और इस खेल में ये आपके पास होते हैं. आप उसका स्वतंत्र रूप से निवेश कर सकते हैं और अपने हिसाब कारोबार कर सकते हैं. यह बहुत अच्छी बात है कि इस तरह का खेल आयोजित किया जा रहा है. इसमें हमें पता चलता है कि हमारी सीमाएं कहां तक हैं किस तरह पैसे का उपयोग करना है और क्या इसका फायदा हो सकता है. इससे मुझे यह भी अनुभव मिलता है कि जब मैं व्यक्तिगत तौर पर शेयर मार्केट में काम करूंगा, तो मुझे कितना फायदा हो सकता है और मैं कैसे ठीक से निवेश करूं."

खेल में तो अंटोनियो को इनाम नहीं मिला, लेकिन इससे शेयर बाजार में निवेश करने और लाभ कमाने की उनकी इच्छा किसी भी तरह कम नहीं हुई. खेल खेल में सीखी हुई बातों को अब वह असल जिंदगी में उतारना चाहता है.

रिपोर्टः डीडब्ल्यू/ए कुमार

संपादनः एमजी